बाँस की राखियों सहित बाँस के अनूठे गहनें भी होंगे उपलब्ध
जगदलपुर। कहा जाता है कि बस्तर अंचल में बड़े पैमाने पर बांसों का आच्छादन था, जिसके कारण इस अंचल का नाम बस्तर पड़ा, शायद यही कारण है कि बांस यहां की संस्कृति में रचा बसा है। बांस का उपयोग यहां के धार्मिक विधि-विधानों को पूरा करने में भी आमतौर पर किया जाता है। बस्तर के इन्हीं बांसों से बने राखियों को इस वर्ष बहनें अपने भाईयों की कलाईयों को बांधेंगी और उनकी लंबी आयु की कामना करेंगी।
बस्तर अंचल में बांस को अत्यंत पवित्र स्थान प्राप्त है और इन्हीं पवित्र भावनाओं के साथ ये राखियां तैयार की जा रही हैं। यह राखियां देखने में भी बहुत ही आकर्षक हैं। जिला प्रशासन बस्तर द्वारा स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिये लगातार विविध कार्य किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में अगस्त माह में आ रही राखी के त्योहार को देखते हुये राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत बस्तर विकासखंड की ग्राम रोतमा के स्व सहायता समूह की महिलाएं इन दिनों बाँस की अनूठी राखियाँ बना रहीं हैं। महिलाओं द्वारा राखी के अलावा बाँस के खूबसूरत गहने भी तैयार किये जा रहे हैं। जल्द ही अन्य समूहों को भी इस कार्य से जोड़ा जाएगा।
जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी ने बताया कि समूह की महिलाएं बड़े स्तर पर अनूठे व खूबसूरत डिजाइनर राखियों पर काम कर रहीं हैं। उन्होंने आगे बताया कि स्थानीय ए.पी.एस एवं ट्राइबल टिकनी संस्था द्वारा डिजाइनर बाँस की राशियों एवं गहने पर विशेष प्रशिक्षण और मार्केटिंग सहयोग दिया जा रहा है। महिलाओं को अधिक से अधिक लाभ मिले इसके लिये सटीक मार्केटिंग प्लान किया गया है। जल्द ही राखियां एवं गहने बाजार के विभिन्न काउंटर्स पर उपलब्ध होंगे। जिसे घर बैठे भी मंगाया जा सकेगा। जिला प्रशासन का पूरा प्रयास है कि अधिक से अधिक क्षेत्रवासी आत्मनिर्भर बने जिसके लिये स्थानीयों लोगों को भी उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये अधिक से अधिक राखियों का क्रय किया जाना मददगार साबित होगा। राखी के निर्माण में गांव के बांस और ग्रामीण औजारों का उपयोग किया जा रहा है जो बस्तर की प्राचीन हस्तशिल्प को भी प्रदर्शित करती है। इस बार रक्षाबंधन में बहन अपने भाई को बाँस की राखी बांधेगी और भाई अपनी बहन को बांस के गहने उपहार स्वरूप दे सकेंगे जिससे भाई बहन के रिश्ते में एक अनूठापन बना सकेगा। जल्द ही बांस के गहने और राखियों को प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भी पर्यटकों को भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।