नाव के भरोसे दर्जनों गांव : विकास नाम की चिड़िया की परछाई तक यहां नहीं आती नज़र, एक तरफ देश मना रहा आजादी का अमृत महोत्सव, वहीं मासूम आदिवासी मना रहे सुविधाओं के अभाव में हुई मौतों का शोक, सरकार के बड़े-बड़े दावे सिर्फ सतही इलाकों तक, अंदरूनी क्षेत्र भगवान भरोसे

“39 मौतों की खबर से मचा छत्तीसगढ़ में हडकंप, पीड़ितों की सुध लेने जिला प्रशासन सहित इंद्रावती के उसपरी घाट पहुंचे विधायक विक्रम मंडावी”

दिनेश के.जी., बीजापुर। पूरा भारतवर्ष एक तरफ आजादी के 75 साल के बाद अमृत महोत्सव मना रहा है। वहीं आजाद भारत में कुछ ऐसे भी गांव हैं जो मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अपनी जिंदगी काट रहे हैं। एक ओर जहां हवाई जहाजों में सफर कर विदेशों तक इलाज के लिए पहुंचने वाले दौर में हम जी रहे हैं, वहीं भारत का एक हिस्सा ऐसा भी है जहां लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में आज भी अपनी जान जोखिम में डालकर आर्किमिडीज के सिद्धांत पर चलकर मात्र लकड़ी की एक पतली सी नाव से इंद्रावती नदी पार करने को मजबूर हैं। जी हां.. आपने बिल्कुल सही पढ़ा, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के भैरमगढ़ तहसील से लगे इन्द्रावती नदी के उस छोर पर बसे लगभग 30 गांवों के बारे में, जहां के मासूम आदिवासी आज भी स्वास्थ्य, बिजली, संचार और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रोजमर्रा की जरूरतों के अभाव में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं। वहीं हालही में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में 39 आदिवासियों की अज्ञात बीमारियों से मौत होने की खबर ने छत्तीसगढ़ सरकार को हिलाकर रख दिया है, हालांकि मौत के वास्तविक आंकडे और कारण अभी स्पष्ट नहीं हुए हैं।

वीडियो : विधायक व प्रशासन पहुंचा उसपरी घाट

मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद क्षेत्रीय विधायक विक्रम शाह मंडावी सहित पूरा प्रशासनिक अमला रविवार को इंद्रावती नदी के उसपरी घाट पर पहुंचा। जहां ग्रामीणों के बीच पहुंचकर विधायक और प्रशासन द्वारा मृत ग्रामीणों के मौत की वजह पर चर्चा हुई। जहां कोई भी खुलकर सामने आने से बचते नजर आए। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ मौतें लोगों के बीमार पड़ने के बाद हाथ पैर फुलने से हुई हैं और कुछ मौतें उम्रदराज होने की वजह से हुई हैं।

वीडियो : बोट के जरिये नदी पार कर रही मेडिकल टीम व आम लोग

प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद शनिवार को कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग की टीम को नदी के उस पार घटना की वास्तविकता और मौत के कारण की जांच कर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने भेजा था। साथ ही रविवार की सुबह विधायक, कलेक्टर और एसपी समेत पूरा प्रशासनिक अमला इन्द्रावती नदी की छोर पर पहुंचा व अन्य मेडिकल टीमों को भी नाव के जरिये उस पार के इलाकों में भेजा गया। जहां नगर सैनिकों की मदद से बोट के जरिये दिन-भर लोगों को नदी पार कराया जा रहा है। जिसके जरिये स्थानीय ग्रामीण और स्वास्थ्य विभाग की टीमें नदी के उस पार पहुंच पा रही हैं।

  • नदी के छोर पर मौजूद ग्रामीण गुड़साकल पंचायत के निवासी हिडमू पोयाम ने बताया कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के अभाव में अक्सर इस तरह के मौत के मामले इन गांवो से आते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम कुछ दिनों के अंतराल में इस क्षेत्र का दौरा करती है, लेकिन आपातकालीन मामलों में प्राथमिक उपचार तक नहीं मिलने से नदी के उस पार के 7 पंचायतों के लगभग 30 गांवों के लोग अपने परिजनों को बेबसी से दम तोड़ते हुए देखने को मजबूर हैं।


  • वहीं इतामपाल के निवासी सखाराम यादव ने बताया कि गांव में बिजली, सड़क, संचार और स्वास्थ्य व्यवस्था के अभाव में ग्रामीणों को उल्टी, दस्त और मलेरिया जैसी छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ती है, जिसमें कुछ मामलों में समय पर इलाज नहीं मिलने से लोगों की जान भी चली जाती है।


रविवार की सुबह विधायक विक्रम मंडावी भी संबंधित गांव के छोर तक पहुंचे और ग्रामीणों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। साथ ही उन्होंने वस्तु स्थिति का जायजा लेकर बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम अस्थायी कैंप लगाकर नदी के उस पार के गांवों में काम कर रही है। कुछ मौतें हुई हैं लेकिन इनके कारणों पर स्पष्ट कुछ कहना जल्दबाजी होगी। प्रशासन अपना काम कर रही है। उन्होंने विपक्ष से भी आग्रह किया कि वे इस मामले में राजनीति न करें और ग्राउंड जीरो पर आकर प्रशासन के कार्यों को देखें।

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कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने बताया कि मौत के कुछ मामले सामने आए हैं, जिनमें कुछ आत्महत्या, सांप का काटना और उम्रदराज बुजुर्गों की मौत के हैं। सूजन से हुई मौत का एक मामला ताकिलोड ग्राम से सामने आया है। एकाएक किसी अज्ञात बीमारी से मौतें नहीं हुई हैं। प्रशासनिक व स्वास्थ्य विभाग की टीम वन टू वन जांच कर रही है, जल्द स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।

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पूरे मामले को जब सीजीटाइम्स की टीम ने ग्राउंड जीरो से देखा तो पाया कि उक्त प्रभावित क्षेत्र भैरमगढ़ से 10 किमी की दूरी पर स्थित इंद्रावती नदी के उस पार अतिसंवेदनशील इलाके में मौजूद हैं। मात्र नाव की मदद से ही यहां पहुंचा जा सकता है। जहां नक्सली खौफ के साए में लोग गुजर-बसर कर रहे हैं। नदी के पार इस क्षेत्र में विकास की चिड़िया की परछाई तक दिखाई नहीं पड़ती, अर्थात ये कि इस इलाके के लगभग 30 गांवों में सड़क, बिजली, संचार व आवागमन के साधनों के अभाव में लोग अपनी जिंदगी जी रहे हैं। राजनीतिक चश्मे से देखने वाले नेता इन्हें मात्र एक वोट समझते हैं, इनके दुःख दर्द और समस्याओं से किसी को कोई सरोकार नहीं है। यही कारण है कि आए दिन किसी न किसी बीमारी के इलाज के अभाव में लोग अपनी जान गवां रहे हैं।

बहरहाल विधायक विक्रम मंडावी ने इस संवेदनशील इलाके में जहां से कुछ ही दूरी पर नक्सली शहीद स्मारक तक मौजूद है, वहां पहुंचकर अपने संवेदनशीलता व साहस का परिचय दिया है और पूरे मामले में भरपूर प्रशासनिक सहयोग करने की बात कही है। विधायक की दखल के बाद एक गांव के कुछ आंकडे तो स्पष्ट हो गये हैं, वहीं पूरी अपडेट आनी बाकी है।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
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