बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिये पूर्व विधायक ‘बाफना’ की पहल, रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री व रेलमंत्री से की हस्तक्षेप की मांग

जगदलपुर। बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार हेतु रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन परियोजना को लेकर वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक संतोष बाफना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर बस्तर की बहुप्रतिक्षित एवं महत्वाकांक्षी परियोजना रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन मार्ग को जनहित में शीघ्र प्रारंभ करवाने हेतु हस्तक्षेप करने की मांग की है।

भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक बाफना ने कहा है कि छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग खनिज संपदा में देश में अग्रणी स्थानों में से एक है। इस कारण यहां विशाखापट्टनम से किरंदुल तक ही रेल कनेक्टिविटी तो है किन्तु यह केवल खनिज ढुलाई मात्र के मद्देनजर और यात्रियों की सुविधाओं के दृष्टिकोण से यह कनेक्टिविटी बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है। आजादी के 7 दशक बाद भी बस्तर के अनेकों लोगों को आज भी रेल के दर्शन तक नहीं हो पाये हैं। वर्ष 1995 में योजना आयोग ने दल्लीराजहरा से जगदलपुर तक रेल मार्ग को स्वीकृति दी थी जिसे लेकर पहली बार 1996-97 में और दूसरी बार 2007 में अनुबंध भी हुआ, किन्तु कार्य आज पर्यन्त शुरू नहीं हो पाया। और 2015 में प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद भी रेल मंत्रालय बस्तर के लोगों को रेल सुविधाएं देने में पूरी तरह से विफल साबित हुआ है, ऐसा प्रतीत होता है। और यह स्थिति तब है जब बस्तर रेलवे को सर्वाधिक राजस्व देने वाले स्थान में से एक है। इस राजस्व की तुलना में रेलवे यहॉ न तो स्टेशनों पर यात्री सुविधाएं दे रही है और न ही रेल कनेक्टिविटी में विस्तार कर रही है। यही कारण है कि, रावघाट-जगदलपुर रेल मार्ग की मांग उठते ही लाखों लोगों का समर्थन आंदोलनरत् यहॉ के संघ-संगठनों को मिलने लगा है।

गौरतलब है कि, वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के छत्तीसगढ़ आगमन पर दंतेवाड़ा जिले में उनकी मौजूदगी में ही दल्लीराजहरा से रावघाट होते हुए जगदलपुर तक रेल मार्ग के लिए इरकॉन व स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस योजना को दो चरणों में विभक्त करते हुए प्रथम चरण में दल्लीराजहरा-रावघाट तक रेल मार्ग एवं द्वितीय चरण में रावघाट-जगदलपुर तक 144 किलोमीटर रेल मार्ग निर्माण को लेकर योजना भी बनाई गई थी। किन्तु इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में रावघाट से जगदलपुर तक रेल लाईन के लिए अब तक एक भी पटरी नहीं बिछ पाई है। बीआरपीएल (बस्तर रेलवे प्राईवेट लिमिटेड) जिसे रेल लाईन निर्माण कार्य का जिम्मा सौंपा गया था उसके द्वारा 13 सितम्बर 2022 को रेल मंत्रालय को प्राप्त लिखकर रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन निर्माण कार्य से हाथ खड़े कर लिये हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में अनुमानित 1291 किमी ही केवल रेल लाईन नेटवर्क है। जो कि राज्य में रेल घनत्व राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है। दल्लीराजहरा-रावघाट 95 किमी, ईस्ट व ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर 311 किमी और रावघाट-जगदलपुर 144 किमी रेल लाईन का निर्माण कार्य ही स्वीकृत है। जबकि इसके मुकाबले रेलवे ने अन्य पड़ोसी राज्यों में रफ्तार से काम किया है। छत्तीसगढ़ में रेलवे के काम की धीमी रफ्तार की वजह से बड़ी योजनाओं के भविष्य पर जनता के बीच सवाल उठने लगे हैं। अब तक केन्द्र में जिस भी पार्टी की सरकार रही हो, जो सार्थक प्रयास छत्तीसगढ़ में रेल विस्तार को लेकर किये जाने थे वो नहीं हो पाये और हमेशा ही रेल सुविधाओं के विस्तार को लेकर अनदेखी की जाती रही है। एवं इस अनदेखी के कारण ही नक्सलवाद एवं पिछड़ेपन जैसी समस्या व मूलभूत सुविधाओं के लिए यहॉ की जनता जूझ रही है। रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन परियोजना पूर्ण होने से बस्तर की जनता को सुगम रेल यातायात की सुविधा मिलने के साथ ही, क्षेत्र में लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे एवं बस्तर को पिछड़ेपन की स्थिति से बाहर निकालने में व नक्सलवाद जैसी समस्या को मूल जड़ से खत्म करने में यह कदम कारगर साबित होगा। बाफना ने प्रधानमंत्री व रेल मंत्री से बीआरपीएल से निर्माण कार्य वापस लेकर रेल मंत्रालय के अधीन जनहित में कार्य शीघ्र प्रारंभ करवाने की मांग की है ताकि बस्तर के लोगों की वर्षों पूरानी मांग एवं सामूहिक नितांत की आवश्यकता की पूर्ति हो सके।

Dinesh KG (Editor in Chief)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

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