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सफलता का शिखर : बस्तर से खनिज विभाग के तीनों पदों पर चयनित होने वाले पहले युवा ‘शिखर चेरपा’ के संघर्ष की कहानी, पहले माइनिंग इंस्पेक्टर, असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट और फिर अब बने माइनिंग ऑफिसर

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कहते हैं “काम ऐसा करो जिससे आपकी पहचान बन जाए, चलो ऐसे कि निशान बन जाए, अरे जिंदगी तो हर कोई काट लेता है, मगर जियो तो ऐसे जियो कि मिसाल बन जाए।” इन पंक्तियों को यथार्थ में बदलकर सफलता का ये ‘शिखर’ बना बस्तर के लिए मिसाल

दिनेश के.जी., जगदलपुर। संघर्ष के शिखर से सफलता के शिखर तक, जी हां आज हम आपको बताने जा रहे एक ऐसे ही युवा ‘शिखर चेरपा’ की कहानी। जिसने न केवल रास्ते के अवरोधों को किनारे लगाया, बल्कि भाग्य पटल पर लिखे संघर्ष को मिटाकर सफलता के शिखर में बदल दिया और लगातार सफलता के सोपान चढ़ता गया। दरअसल शिखर चेरपा बस्तर संभाग के अतिसंवेदनशील क्षेत्र भोपालपट्टनम के भट्टपल्ली से निकला एक संघर्षशील युवा है। जिसने अपने दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम के बल पर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर खनि अधिकारी (माइनिंग ऑफिसर) का पद हासिल किया है। जिसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ भौमिकी तथा खनिकर्म द्वितीय श्रेणी सेवा में खनि अधिकारी के पद पर 03 वर्ष की परिवीक्षा पर अस्थाई रूप से नियुक्त करते हुये संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म नवा रायपुर में पदस्थ किया गया है।

  • शिखर के संघर्षों की है लंबी फ़ेहरिस्त

शिखर चेरपा की स्कूली शिक्षा के दौरान ही उनके पिताजी की मृत्यु हो गयी। जिसके बाद उनके परिवार में स्वास्थ्य और आर्थिक अस्थिरता का दौर शुरू हो गया। बावजूद इसके शिखर और उनके दोनों बड़े भाईयों ने हिम्मत नहीं हारी और एक दूसरे का सहारा बने। शिखर ने अपनी भूविज्ञान और एम.टेक. की पढ़ाई पूरी की और बतौर अतिथि प्राध्यापक के रूप में जगदलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाते हुए, स्वयं से ही अध्ययन कार्य भी शुरूआत की। शिखर के बड़े भाई हेमंत चेरपा ने पारिवारिक जिम्मेदारी के बोझ को उठाते हुए अपने भाइयों का मार्गदर्शन करना शुरू किया और स्वयं भी पीएससी परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे। आखिरकार 2011 की पीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर हेमंत चेरपा माइनिंग इंस्पेक्टर बने। फिर क्या था – जहां चाह है वहां राह है, रास्ते खुलते गये और शिखर ने भी पीएससी-2018 की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली, जिसमें माइनिंग इंस्पेक्टर और असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट के पदों पर चयनित हुए। दो वर्ष तक कॉलेज में पढ़ाने के बाद शिखर ने असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट की नौकरी जॉइन की, जहां चार वर्ष तक सेवा देते हुए वे दोबारा पीएससी-2022 की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर माइनिंग ऑफिसर के पद पर चयनित हुए और सफलता के शिखर पर पहुंचकर ऐसा कीर्तिमान रचा की लोग अब उनसे प्रेरणा लेने लगे हैं।

  • बस्तर संभाग के एक मात्र व्यक्ति जिनका खनिज विभाग के तीनों पदों पर हुआ चयन

शिखर चेरपा न सिर्फ 2018 की पीएससी परीक्षा में माइनिंग इंस्पेक्टर और असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट के पद चयन हुआ, बल्कि पीएससी-2022 की परीक्षा में माइनिंग ऑफिसर के पद पर भी चयन हुआ। जहां उनका ओवरऑल रैंक 6 और कैटेगिरी रैंक 2 है। माइनिंग ऑफिसर के पद पर चयनित होने के बाद से ही वे युवाओं के लिये मिसाल बन चुके हैं, जहां उन्हें बधाईयां देने वालों की फ़ेहरिस्त भी लंबी है। दोनों भाईयों के कठिन परिश्रम से उनके परिवार और संघर्षशील जीवन पर छाए दुविधाओं के बादल ऐसे छंटे की आज दोनों भाई माइनिंग ऑफिसर बन चुके हैं।


शिखर को बधाई देते हुए उनके बड़े भाई हेमंत चेरपा

वो कहते हैं ना – “काम ऐसा करो जिससे आपकी पहचान बन जाए, चलो ऐसे कि निशान बन जाए, अरे जिंदगी तो हर कोई काट लेता है, मगर जियो तो ऐसे जियो कि मिसाल बन जाए।” बस ऐसे ही दोनों भाई हेमंत और शिखर चेरपा अब बस्तर के लाखों युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं।


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