‘संकल्प’ ने लिया पीड़ित को न्याय दिलाने का संकल्प, पान वाले द्वारा आग लगाकर खुदकुशी मामले में पीड़ित पक्ष के हक़ की लड़ाई लडेंगे ‘संकल्प दुबे’

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जगदलपुर। शहर के महारानी अस्पताल के सामने आज से 03 महीने पूर्व हुई आत्महत्या मामले में अब तक पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। पीडित का आरोप था कि उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया, जिसके बाद उसने यह कदम उठाया। जिसके बाद इलाज के दौरान कुछ दिनों में पीडित की मृत्यु हो गई थी। पीडित के गुजर जाने के तीन महीने बाद भी पुलिस को आरोपियों का कोई सुराग़ नहीं मिल पाया है। वहीं मामले में मृतक के परिजन न्याय की आस लिये यहां वहां भटक रहे हैं। इसी मामले में मृतक का भाई ‘संतोष सिंह’ शहर के जाने-माने वकील एवं वरिष्ठ अधिवक्ता ‘संकल्प दुबे से मिलकर पैरवी करने का आग्रह किया। जहां श्री दुबे ने पीड़ित पक्ष का हर संभव मदद निशुल्क ही करने का वचन संतोष को दिया।

उक्त केस में ‘संकल्प दूबे’ द्वारा पैरवी के लिये राज़ी होने से पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गयी है। बता दें कि संकल्प दूबे वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। कानून के बड़े जानकार माने जाते हैं जो अक्सर असहाय लोगों के हक़ की लड़ाई लडने में प्रतिबध्द व्यक्तित्व हैं। पहले भी कई मामलों में असहाय और न्याय के लिये भटकते लोगों को संकल्प न्याय दिला चुके हैं। यही कारण है कि पीडित पक्ष ‘संकल्प दुबे’ के साथ होने से आश्वस्त नजर आ रहा है।


25 जनवरी को घटना के बाद से कोतवाली पुलिस फ़रार आरोपी को गिरफ्तार करने में असमर्थ है। मेरा सवाल ये है कि क्या पुलिस इस मामले में रुचि नहीं ले रही या फिर सब कुछ करने के बाद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने में नाकाम है। आज सवाल फिर वही है कि गरीब को कब न्याय मिलेगा? पीड़ित का भाई मेरे पास आया है, उनके हक़ और न्याय की लड़ाई लडूंगा मैं। यदि कोतवाली पुलिस इस मामले में आरोपी को पकड़ने में असमर्थ है तो पुलिस अधीक्षक बस्तर को किसी अन्य योग्य पुलिस अधिकरी को इस मामले की जांच सौंपना चाहिए।

_संकल्प दुबे, सीनियर एडवोकेट


ज्ञात हो कि ‘संजीव सिंह’ नामक युवक कुछ बरस पहले यहां आकर पान दुकान का संचालन कर जीवनयापन करता था। जिसने व्यवसाय को बढाने कर्ज लिया था। लॉकडाउन में बीते वर्ष लंबे समय तक दुकान बंद होने से उसकी माली हालत पतली हो गई थी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद वह देर रात तक दुकान खोलता था ताकि कुछ अतिरिक्त आमदनी हो सके। संजीव ने दो माह पहले दुकान में ही खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली थी। उसे गंभीर अवस्था में मेकाज में भर्ती करवाया गया था। उसने मृत्यु पूर्व मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाए बयान में कहा था कि उसके दुकान के सामने रहने वाले रोहित शर्मा व उसकी बहन मेघा शर्मा ने उसके साथ दुकान में घुसकर मारपीट की। उसे लंबे समय से प्रताड़ित कर रहे हैं। वे आए-दिन पुलिस को बुलवाकर उसकी दुकान बंद कर देते थे। संजीव ने इकबालिया बयान में यह भी कहा था कि जिस युवक पर उसे जलाने का आरोप लगाया गया था, उसने उसे बचाने का प्रयास किया था।

मृतक – संजीव सिंह

घटना के पखवाड़े भर बाद उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी। मामले में शुरू में पुलिस ने रोहित शर्मा व मेघा शर्मा के विरूद्ध मारपीट का मामला दर्ज किया था, युवक की मौत के बाद आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण की धारा जोड़ी गई। दो माह तक पुलिस रसूखदार आरोपित भाई-बहनों तक नहीं पहुंच पाई है। उधर मामले में मृतक की पत्नी बिहार निवासी ‘बबीता सिंह’ ने एसपी बस्तर को पत्र लिखकर उसके पति की मौत के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।

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दिनेश के.जी. (संपादक)

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