पवन दुर्गम, बीजापुर। अभी CMHO कार्यालय बीजापुर में फर्जी जॉइनिंग लेटर जारी कर रिश्वत की लेनदारी का खेल चल ही रहा था, पड़ताल शुरू भी नहीं हुई थी कि उसी विभाग में एक और वायरल ऑडियो का भूकंप आ गया। इस बार ऑडियो के केंद्र में एक बाबू और CMHO खुद संदिग्ध बताये जा रहे हैं। कलेक्टर ने इस मामले को संज्ञान लेते कार्यवाही की बात कही है।
घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में सेवा दे रही फ्रंट लाइन वर्कर मितानीनों को प्रमोशन के एवज में रिश्वत देने कहा जा रहा है। एक मितानीन के पति से कथित रिश्वत की रकम मांगने का ऑडियो वायरल हुआ है। वायरल ऑडियो में मितानीन से एएनएम बनाने के लिए 3 लाख रुपये बतौर रिश्वत देने कहा जा रहा है। पदोन्नति की सूची जारी होने से पहले रुपये पहुंचाने की बात ऑडियो में सुनी जा सकती है। वायरल ऑडियो में कथित रिश्वत की मांग करने का आरोप स्वास्थ्य विभाग के सहायक ग्रेड-2 के एक कर्मचारी पर लगा है।
बता दें कि पांच साल की सेवा दे चुकी मितानीनों को एएनएम पद पर प्रमोशन के लिए स्वास्थ्य संचालनालय रायपुर द्वारा विज्ञापन जारी किया गया था। इसके लिए बीजापुर में 04 अनुसूचित जनजाति और 01 ओबीसी वर्ग यानी कुल 5 पद बीजापुर जिले के लिए स्वीकृत है। इन पांच पदों के लिए एएनएम की ट्रेनिंग ले चुकी 19 मितानीनों ने आवेदन किया, जिनकी कुछ समय पहले ही विभागीय परीक्षा हुई, लेकिन अब तक नियुक्ति आदेश जारी नहीं किया जा सका है।
हर एक आवेदक को जा रही कॉल
आरोप लगे हैं कि इसी पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को विभाग के ही कर्मचारी द्वारा कॉल की जा रही है। वायरल ऑडियो में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अंकित नामदेव की आवाज बताई जा रही है। चर्चा है कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर कर्मचारी ने रिश्वत की रकम की मांग की है। मामले में सीएमएचओ की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। मामले में अंकित नामदेव से उनका पक्ष लेने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। बता दें कि कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग में सीएमएचओ के फर्जी लेटर हेड से रुरल हेल्थ कॉर्डिनेटर पद पर नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया गया था। इसके बाद अब रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है।
एफआईआर की तैयारी
बीजापुर कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने कहा कि एएनएम पद पर नियुक्ति के लिए रिश्वत मांगने का एक ऑडियो वायरल हो रहा है। ऑडियो में आवाज विभाग के ही एक कर्मचारी अंकित नामदेव की बताई जा रही है। मामले में प्रशासन द्वारा एफआईआर करवाकर जांच करवाई जाएगी, दोषियों पर कार्रवाई होगी। फिलहाल किसी उच्च अधिकारी की भूमिका को लेकर कुछ कहा नहीं सकता है। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
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