जगदलपुर। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब अपने ही बड़बोले वादों के बोझ तले दबती जा रही है। प्रदेश का हर वर्ग वादे पूरा करने के लिए बार-बार आंदोलन करके भूपेश-सरकार को झकझोरने के लिए विवश हो रहा है और प्रदेश सरकार अपने ख़िलाफ़ उठ रही हर आवाज़ को दबाने में लगी है। श्री कश्यप ने कहा कि राजधानी में बस्तर संभाग के नक्सली क्षेत्रों समेत बिलासपुर संभाग में पदस्थ पुलिस कर्मियों के परिजनों के आंदोलन और उस दौरान आंदोलित परिजनों के साथ डंडे को ज़ोर पर की गई बदसलूकी प्रशासन तंत्र के बेज़ा इस्तेमाल की सबसे कलंकपूर्ण घटना है।
भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि विधानसभा चुनावों के समय कांग्रेस ने प्रदेश के हर वर्ग के लोगों को सब्जबाग दिखाए थे, लेकिन वादाख़िलाफ़ी करके कांग्रेस की भूपेश-सरकार ने सबके साथ धोखा और छलावा किया। जब भी सरकार को उसके किए गए वादे याद दिलाए गए, सत्तावादी अहंकार में चूर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत तमाम कांग्रेस नेता और मंत्री डींगें हाँकते रहे कि हमारे वादे पाँच साल के कार्यकाल के लिए है, लेकिन तीन साल के शासनकाल में कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने कोई वादे पूरे नहीं किए हैं। श्री कश्यप ने कहा कि पुलिस कर्मियों से किए गए वादे पूरे नहीं होते देख उनके परिजन जब अपनी मांगों को लेकर सोमवार को राजधानी की सड़कों पर उतरे तो पुरुष पुलिस कर्मियों ने आंदोलित महिलाओं के साथ ऐसी बदसलूकी की कि महिलाओं की साड़ियाँ फट गईं, चूड़ियाँ टूट गईं। धक्का-मुक्की करके उन्हें अस्थायी जेल में बंद करके रखा गया। यह प्रदेश सरकार के सत्ता-मद का सबसे शर्मनाक प्रदर्शन है। श्री कश्यप ने कहा कि पुलिस परिजनों के इस आंदोलन को लेकर प्रदेश सरकार का गर्हित आचरण यह साफ़ करता है कि प्रदेश सरकार अपने वादे पूरे करने में पूरी तरह निकम्मी साबित हुई है। अपने कार्यकाल के तीन साल बीत जाने के बाद प्रदेश सरकार बदहवास हो चली है क्योंकि कांग्रेस की प्रदेश सरकार को उसके वादे पूरा करने के लिए बाध्य करने प्रदेश का हर तबका अब सड़क पर उतरने लगा है। देश में यह संभवत: पहला उदाहरण ही होगा कि पुलिस कर्मियों के परिजन अपनी मांगों को लेकर पुलिस मुख्यालय घेरने के लिए विवश हुए हों।
भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि पुलिस जवानों के ये आंदोलित परिजन वेतनमान, ड्यूटी के घंटों और साप्ताहिक अवकाश आदि के मामले में व्याप्त विसंगतियों को दूर कर न्याय की चाह रखते हैं। यही पीड़ा प्रदेशभर में हर वर्ग की है। श्री कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार के कानों पर तो तब तक जूँ नहीं रेंगती जब तक कि लोग अपने साथ हो रहे अन्याय और प्रदेश सरकार को उसके वादे पूरा करने के लिए सड़क पर उतरने को विवश न हो जाएँ। कोरोना संक्रमण के भयावह दौर में भी प्रदेश सरकार ने किसानों, सफाई कर्मियों, चिकित्सकों, नियुक्ति पाने के लिए शिक्षक अभ्यर्थियों को आंदोलन के लिए विवश कर चुकी इस नाकारा प्रदेश सरकार ने अपने एक भी वादे पर ईमानदारी से काम नहीं किया है। श्री कश्यप ने कहा कि ऐन धान ख़रीदी के पहले सहकारी समितियों के कर्मचारी आंदोलन पर गए थे और उसके तुरंत बाद डाटा ऑपरेटर्स हड़ताल पर चले गए। श्री कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार इन आंदोलनों को ख़त्म करने के लिए आश्वासनों का झुनझुना तो बजा देती है पर ज़मीनी सच यह है कि सहकारी कर्मियों को आज भी महीनों से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। प्राधयापकों को भी सड़क पर उतरना पड़ा और अब कोरोना संक्रमण से मृत लोगों के परिजनों का फिर से हड़ताल पर जाना बताता है कि प्रदेश सरकार की अपने आश्वासनों के मामले में ही नीयत साफ़ नहीं है। हालत यह है कि वादे पूरे नहीं करने पर लोग आंदोलन पर जा रहे हैं, आंदोलन ख़त्म कराने आश्वासन दिए जा रहे हैं और फिर आश्वासन पर कोई पहल नहीं होने पर लोगों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है।