खड़े-खड़े सड़ रहे निगम के बिगड़े टेंकर, 26 टेंकरों में 9 खराब, 13 जर्जर, 6 ट्रेक्टरों में भी 2 खराब पडे़ हैं, सुधारने की चिंता नहीं – पार्षद आलोक अवस्थी

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कांग्रेस शासित नगर निगम में हाल बेहाल, सत्ता सुख में डूबे कांग्रेसी जनप्रतिनिधि

बेपटरी हुई वैकल्पिक जल आपूर्ति व्यवस्था, जनता की नाराजगी झेल रहे कर्मचारी

जगदलपुर। जेठ महीने की भीषण गर्मी में टेंकरों के जरिये होने वाली पानी सप्लाई की वैकल्पिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गयी है। कांग्रेस शासित नगर निगम में आपसी खींचतान का यह आलम है कि खराब टेंकर सुधारे तक नहीं जा रहे और खड़े खड़े ही कबाड़ हो रहे हैं। नगर निगम में वैकल्पिक जल आपूर्ति के लिये कुल 26 टेंकरों में मात्र 4 टेंकर ही सही हालत में हैं,13 टेंकर जर्जर हो चुके हैं और 9 टेंकर खराब होकर खड़े सड़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के पार्षद आलोक अवस्थी ने कहा कि नगर निगम में उच्च पदों पर आसीन कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों ने सीधे जनता से जुड़ी मूलभूत सुविधाओं की कमर तोड़ दी है। शहर की जनता को पेयजल जैसी आधारभूत सुविधा के लिये मुंह ताकना पड़ रहा है।

भाजपा पार्षद आलोक अवस्थी ने कहा कि गर्मी में विशेष रूप से पानी की व्यवस्था सुचारू रहे, यह प्राथमिकता में होता है। कांग्रेस शासित नगर निगम ने पूरी परिभाषा बदल दी है। टेंकरों से शहर होने वाली वैकल्पिक जल आपूर्ति व्यवस्था बैठ गयी है,जिस पर कोई भी ध्यान देने को तैयार नहीं है। खराब टेंकरों को सुधारा नहीं जा रहा,जो खड़े खड़े ही खराब हो रहे है। ऐसे ही टेंकरोंं के फेरों के लिये कुल 6 ट्रेक्टर में 2 खराब पडे़ है,जिनकी सुध भी नहीं ली जा रही और टेंकरों के माध्यम से होने वाली पानी सप्लाई बुरी तरह प्रभावित है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे निगम पीएचई के कर्मचारियों को जनता के गुस्से का कोपभाजन बनना पड़ता है।

श्री अवस्थी ने कहा कि शहर के 48 वार्ड में महज 4 ट्रेक्टर और 4 सही टेंकरों से पानी की सप्लाई संभव ही नहीं है। कांग्रेस काबिज नगर निगम में महापौर सहित सत्ता दल के पार्षद आंख कान बंद किये बैठे है। विपक्ष के रूप में भाजपा पार्षदों द्वारा जनता के हित से जुड़े सवाल उठाने पर उसे अनसुना कर दिया जाता है। प्रश्न यह है कि कांग्रेस के जनप्रतिनिधि क्या सत्ता का सुख लेने के लिये पदों पर काबिज़ है ? आमजन को पेयजल सुलभ कराने की अति महत्वपूर्ण व्यवस्था बेपटरी हो गयी है, यह स्थितियां दुर्भाग्यपूर्ण है।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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