सीजीटाइम्स। 31 जनवरी 2019
दंतेवाड़ा। दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले के जनसंपर्क विभाग के अधिकारी के अर्कमण्यता व पत्रकारों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया के चलते प्रशासन व पत्रकारों के बीच उचित तालमेल कायम नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते जिले के कई पत्रकार जनसंपर्क अधिकारी के क्रियाकलापों से नाखुश हैं। जनसंपर्क अधिकारी को हटाने की मांग भी होने लगी है।
गौरतलब है कि जनसंपर्क विभाग की अकर्मण्यता के चलते प्रशासन व पत्रकारों के बीच संवादहीनता की स्थिति निर्मित हो गई है। दंतेवाड़ा जनसंपर्क के वर्तमान उप संचालक कमल बघेल के रवैये व कार्यप्रणाली से पत्रकारों में असंतोष व्याप्त है। जबसे जनसंपर्क विभाग दंतेवाड़ा में कमल बघेल पदस्थ हुए हैं तब से जिले के पत्रकार व प्रशासन के बीच दूरी बढ़ गई है। प्रशासनिक अफसरों के साथ समय समय पर पत्रकारों की होने वाली प्रेस-कांफ्रेंस संबंधित जानकारी श्री बघेल द्वारा कुछ विशेष पत्रकारों को ही फोन पर एवं पर्सनल व्हाट्सअप पर दिया जाता है जबकि अन्य पत्रकारों के लिये ग्रूप में मैसेज छोड़ा जाता है। जनसंपर्क अधिकारी श्री बघेल कुछ पत्रकार विशेष को ही उपकृत करने में लगे रहते हैं। पत्रकारों को न तो अधिमान्यता संबंधी जानकारी समय पर मिलती है और न ही व्हीआईपी प्रवास के दौरान कव्हरेज के लिए वाहन या अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है।
जिले में कोई भी मंत्री अथवा सरकार का प्रतिनिधि सरकारी कार्यक्रम के तहत दंतेवाड़ा आते हैं तो इसकी भी कोई पूर्व सूचना पत्रकारों को नहीं दी जाती। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा समय समय पर शासन हित में जारी विज्ञापन वितरण में भी कुछ अखबारोंं के संवाददाताओं की उपेक्षा उक्त अधिकारी द्वारा किया जाता है। कई बार यह भी देखने में आया है कि पीआरओ कार्यालय द्वारा जारी समाचार मिडिया में जारी करने से पूर्व कुछ घनिष्ठ मिडिया साथियों को उपलब्ध करवाया जाता है। जिसके चलते अन्य अखबारों में समाचार देर से प्रकाशित होता है। इस तरह पत्रकारों के बीच भेदभाव की नीति जनसंपर्क अधिकारी श्री बघेल द्वारा अपनाई जाती है। जिसके वजह से पत्रकार आक्रोशित हैं।
जनसंपर्क अधिकारी की भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली यहीं नहीं थमती, जानकारी के मुताबिक कार्यालय में प्रतिदिन उपलब्ध कराये जाने वाले दैनिक अखबार के भुगतान में भी इनके द्वारा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जाता है। कुछ ही अखबारों का भुगतान किया जाता है। जबकि शासन द्वारा 10 अखबार की राशि जनसंपर्क विभाग को हर माह उपलब्ध कराई जाती है। किन अखबारों का भुगतान होना है किनका नहीं इसकी जानकारी भी नहीं दी जाती। श्री बघेल के आने के बाद से अखबारों का मासिक भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है। प्रशासन द्वारा जारी विज्ञापन बिल लेने से वे मना करते हैं उनके द्वारा पत्रकारों से बिल संबंधित विभाग में ले जाकर जमा करने को कहा जाता है। ऐसा कर श्री बघेल अपनी जवाबदारी से बचने का प्रयास करते हैं। पूर्व के पीआरओ ने ऐसा कभी नहीं कहा। सरकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं की जानकारी लेने पीआरओ कार्यालय जाने पर इनके द्वारा पत्रकारों के साथ उचित व्यवहार एवं संवाद नहीं किया जाता। पीआरओ की अकर्मण्यता व पत्रकारों के साथ तालमेल नहीं बन पाने के वजह से क्षुब्ध कई पत्रकार पीआरओ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शिकायत कलेक्टर एवं मुख्यमंत्री से करने पर विचार कर रहे हैं।
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