गिरता जलस्तर, प्यासे बेजुबान और झुलसता बस्तर, अब जागने का वक्त है..
हर बूंद की है कीमत, हर जान की है अहमियत

भीषण गर्मी में बस्तर की पुकार : अब जल संरक्षण और बेजुबानों की प्यास बुझाने की बारी आपकी
तपती दोपहरें, सूखते जलस्रोत और प्यासे बेजुबान… देश के अधिकांश हिस्सों सहित बस्तर की जमीन भी इन दिनों गर्मी से झुलस रही है। तापमान तेजी से बढ़ रहा है और अभी से ही 40 डिग्री को पार कर रहा है। भूजल स्तर चिंताजनक रूप से गिरता जा रहा है। रिकार्ड तोड़ गर्मी से कभी कलकल करती नदियाँ और भरे-पूरे तालाब अब सूखने लगे हैं। इस विकराल स्थिति का सबसे ज्यादा असर बेजुबान जानवरों और पक्षियों पर पड़ रहा है, जिनके लिए पीने का पानी तक मयस्सर नहीं हो पा रहा। ऐसे वक्त में केवल सरकार नहीं, बल्कि हर आम नागरिक को एक जिम्मेदार भूमिका निभाने की ज़रूरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ हफ्ते और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। ऐसे में जल संरक्षण की दिशा में छोटा सा प्रयास भी बड़ी राहत बन सकता है। घरों में पानी की बचत, सार्वजनिक स्थलों पर वाटर बाउल रखना, पशुओं के लिए छायादार स्थान और पीने के पानी की व्यवस्था जैसे कदम आज की सबसे बड़ी ज़रूरत हैं।
आप भी बन सकते हैं बदलाव का हिस्सा :
गर्मी की इस तपिश में अगर हम सब मिलकर एक-एक कदम उठाएं, तो न सिर्फ प्रकृति को राहत मिल सकती है, बल्कि यह हमारी इंसानियत की भी मिसाल बनेगी। बस्तर की मिट्टी, यहाँ की नदियाँ और यहाँ के जीव-जंतु आज आपकी ज़िम्मेदारी की तरफ देख रहे हैं। नदियाँ सूख रही हैं, तालाब सिमट रहे हैं और बेजुबान जानवर-पक्षी प्यास से तड़प रहे हैं। ऐसे समय में केवल सरकार पर निर्भर रहना काफी नहीं होगा, अब हर नागरिक को जिम्मेदारी से आगे आना होगा।
अब समय है, जब हम केवल बातें न करें, बल्कि धरातल पर उतरकर पानी बचाएं और बेजुबानों की प्यास बुझाने का जिम्मा उठाएं।
- प्रकृतिं नश्येत्, नश्यन्ति सर्वे।
प्रकृतिं रक्षेत्, सर्वे रक्षितः॥
यदि प्रकृति नष्ट होती है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। यदि हम प्रकृति की रक्षा करते हैं, तो सभी की रक्षा होती है।
इस श्लोक का गहरा संदेश यह है कि प्रकृति और जीवन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर हम पेड़, पानी, हवा, मिट्टी यानी प्रकृति के तत्वों को नष्ट करते रहेंगे, तो अंत में उसका नुकसान पूरे समाज, मानव जीवन और अन्य सभी जीवों को भुगतना पड़ेगा।
लेकिन यदि हम प्रकृति की रक्षा करें, तो वही प्रकृति हमें जीवन, सुरक्षा और सुख प्रदान करेगी।
यह श्लोक पर्यावरण संरक्षण की महत्ता को दर्शाता है और हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति को बचाना, खुद को बचाना है।
जल स्तर घटने और तापमान बढ़ने के पीछे कई वैज्ञानिक और मानवीय कारण होते हैं..
जल स्तर घटने के कारण :
- अत्यधिक भूजल दोहन:
लोग खेतों की सिंचाई, घरेलू और औद्योगिक कार्यों के लिए ज़रूरत से ज़्यादा ज़मीन के नीचे का पानी निकाल रहे हैं। - वर्षा में कमी:
बारिश का असमान वितरण और मानसून में देरी या कमी से जल स्रोत रिचार्ज नहीं हो पाते। - तालाबों-नालों का अतिक्रमण और भराई:
पुराने जल स्रोत जैसे कुंए, तालाब, बावड़ियाँ नष्ट हो गए हैं या कचरे से भर दिए गए हैं, जिससे जल संचयन नहीं हो पाता। - पेड़ों की कटाई (वनों की कमी):
जंगल पानी को ज़मीन में समाहित करने में मदद करते हैं। जब पेड़ कटते हैं, तो भूजल स्तर गिरने लगता है। - शहरीकरण और कांक्रीट का फैलाव:
ज़मीन में पानी सोखने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे बारिश का पानी सीधा बह जाता है।
तापमान बढ़ने के कारण :
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change):
पृथ्वी का औसत तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जिससे मौसम असामान्य और अधिक गर्म हो रहा है। - पेड़ों की कटाई:
पेड़ वातावरण को ठंडा रखने में मदद करते हैं। जब पेड़ कम हो जाते हैं तो गर्मी बढ़ जाती है। - ग्लोबल वार्मिंग:
गाड़ियों, फैक्ट्रियों और अन्य मानव गतिविधियों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसें (CO2, CH4) धरती को गरम करती हैं। - बढ़ती आबादी और शहरीकरण:
अधिक जनसंख्या का मतलब अधिक निर्माण, गाड़ियाँ, एसी, बिजली की खपत—जो सब गर्मी बढ़ाने में योगदान करते हैं। - पानी की कमी खुद तापमान बढ़ाती है:
जब तालाब और झीलें सूख जाती हैं, तो उनकी ठंडी हवा भी खत्म हो जाती है, जिससे आसपास का तापमान और चढ़ जाता है।
क्या कर सकते हैं आम लोग..
1. पानी की बर्बादी रोकें : नल खुला छोड़ना, ओवरफ्लो होने देना, कार धोने में ज्यादा पानी खर्च करना—ऐसी आदतें तुरंत बदलें।
2. बेजुबानों के लिए पानी रखें : अपने घर की छत, आंगन या गली में मिट्टी या स्टील के बर्तन में रोज़ पानी भरकर रखें।
3. पौधों और पेड़ों को बचाएँ : पेड़ लगाएँ और पुराने पेड़ों को पानी देकर उन्हें ज़िंदा रखें।
4. सामूहिक प्रयास करें : मोहल्लों, कॉलोनियों में मिलकर जल संरक्षण के छोटे-छोटे अभियान शुरू करें।
5. बच्चों को जागरूक करें : बच्चों को भी पानी की कीमत समझाएँ ताकि नई पीढ़ी जिम्मेदार बने।
6. सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएँ : जागरूकता पोस्ट, वीडियो और फोटो के ज़रिए दूसरों को प्रेरित करें।
बस्तर की गर्मी में पसीजिए दिल, जल बचाइए-जान बचाइए
अब नहीं तो कभी नहीं..
बस्तर आज पुकार रहा है। ये सिर्फ मौसम की मार नहीं, बल्कि हमारी लापरवाहियों का नतीजा है।
आइए, जल बचाएँ – जंगल बचाएँ – ज़िंदगी बचाएँ।~CGTIMES.IN