जगदलपुर। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सदस्य “यशवंत जैन” ने आज 13 सितम्बर को जगदलपुर कलेक्टोरेट के प्रेरणा कक्ष में बस्तर सहित दन्तेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले में बाल अधिकारों को उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की सुनवाई की गई। यहां 393 प्रकरण पंजीकृत हुए। प्रकरणों की सुनवाई करते हुए बेंच द्वारा एक माह के भीतर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। यहां जरुरतमंदों को ट्राइसिकल का वितरण भी किया गया। अनाथ बच्चों को तत्काल बाल गृह में प्रवेश के लिए बाल कल्याण समिति को निर्देशित किया गया। बेंच के समक्ष आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, जाति एवं निवास प्रमाण पत्र बनाने में आ रही समस्याओं को भी प्रमुखता से रखा गया, जिस पर कार्यवाही के संबंध में निर्देशित किया गया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री अरविंद एक्का, एसडीएम श्री जीआर मरकाम, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री एलआर कच्छप सहित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्री यशवंत जैन ने कहा कि सभी विभागों के अधिकारियों सहित जनसामान्य को बच्चों के संबंध में प्रावधानित विभिन्न अधिनियम एवं कानूनों की जानकारी होनी चाहिए, जिससे बच्चों के अधिकारों का समुचित ढंग से संरक्षण हो सके और उनके प्रति किसी प्रकार का कोई अपराध नहीं होने पाए। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए पोस्को एक्ट के तहत व्यवस्था की गई है वही उनके लिए निःशुल्क शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित किया गया है। बच्चों के प्रति किसी प्रकार की लैंगिक हिंसा एवं अन्य प्रकार की हिंसा न हो, इसके लिए बाल अधिकार संरक्षण हेतु बनाए गए नियमों की धाराओं में कार्रवाई करने के प्रावधान किए गए है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों के साथ किसी प्रकार की हिंसा होती है तो उसकी सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए, उन्होंने यह भी कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी बच्चों के अधिकारों से संबंधित बनाए गए विभिन्न कानूनों की जानकारी प्रशिक्षण या बैठक के दौरान अपने प्राचार्य, शिक्षकों, विकासखंड शिक्षा अधिकारी को भी दें।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्री जैन ने कहा कि बच्चों को गोद लेने के लिए प्रावधान है जिसके तहत आवेदन कर विधिवत सारी प्रकिया पूर्ण करने बाद गोद लेना चाहिए। उन्होंने पुलिस विभाग सहित महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विशेष रूप से सजग रहकर बच्चों के अधिकार संरक्षण की सुरक्षा के लिए आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को नशा आदि से बचाने के लिए अभियान चलाना चाहिए। बच्चों को ’’गुड टच-बैड टच’’ के संबंध में भी जानकारी होनी चाहिए और यदि बैड टच की स्थिति आती है तो बच्चों को सबसे पहले स्ट्रिक्टली नो या मना करना, सुरक्षित स्थानों पर चले जाना और घर में अपने अभिभावकों को इसकी जानकारी देना चाहिए।
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