मुख्यमंत्री के बयान के बाद महापौर प्रत्याशियों का राजनैतिक समीकरण बिगड़ा, संभावित फैसले से कई नए महापौर के प्रत्याशी दौड़ में होंगे शामिल, पार्षद बनने महापौर प्रत्याशियों को उतरना पड़ेगा मैदान में

जगदलपुर। नगर पालिक निगम जगदलपुर के बनने के बाद महापौर पद के प्रत्याशी का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से होता रहा है। अब तक तीन महापौर प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से बनाए गए, जिसमें सबसे पहली महिला महापौर भाजपा की गीतेश मल्ल को बनने का सौभाग्य मिला था। दूसरे महापौर के रूप में जगदलपुर निगम को ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा के किरण देव को अवसर मिला था। जब कि तीसरे महापौर के रूप में कांग्रेस के जतिन जयसवाल जो वर्तमान जगदलपुर निगम के महापौर हैं,को अवसर प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान के बाद चौथे निगम के महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से नहीं होकर अप्रत्यक्ष मतदान अर्थात पार्षदों के द्वारा चुने जाने की संभावना लगभग तय है। इस संभावना के बाद महापौर प्रत्याशियों का राजनीतिक समीकरण बिगड़ गया है। इसके बाद अब नए महापौर के प्रत्याशी दौड़ में अनायास ही शामिल हो जाएंगे। महापौर प्रत्याशियों को अब पार्षद बनने के लिए मैदान में उतरना पड़ेगा और जीत कर निगम पहुंचने के बाद ही महापौर की दावेदारी होगी।
जगदलपुर निगम बनने के बाद चौथा महापौर अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से पार्षदों के द्वारा चुने जाने का यह पहला अवसर होगा, जिसकी प्रबल संभावना मुख्यमंत्री के बयान और इसके लिए गठित कमेटी से यह तय माना जा रहा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मतदान से महापौर बनने की प्रक्रिया में बड़े अंतर को समझने के लिए वर्तमान निगम के परिस्थितियों को देखकर समझा जा सकता है। प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से जनता के द्वारा सीधे चुनाव जीतकर अब तक महापौर बनते रहे हैं। लेकिन नई परिस्थितियों में पार्षदों का बहुमत जिस राजनैतिक दल को प्राप्त होगा उसका महापौर बनना लगभग तय हो जाएगा। वर्तमान निगम के महापौर कॉन्ग्रेस के जतिन जयसवाल प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से सीधे जनता के द्वारा चुनाव जीतकर महापौर बने थे। लेकिन कांग्रेस के पार्षद का बहुमत निगम में नहीं था। 48 पार्षदों का नगर निगम जगदलपुर कांग्रेस के मात्र 13 पार्षद जीत कर आए थे जबकि भाजपा के 27 पार्षद जीतकर निगम पहुंचे थे। बाकी आठ पार्षद निर्दलीय जीतकर निगम पहुंचे थे।
बदली हुई संभावित परिस्थितियों से यह तय है कि जगदलपुर निगम का चौथा महापौर अप्रत्यक्ष मतदान पार्षदों के माध्यम से चुना जावेगा। इस बदली हुई परिस्थिति में यह तय माना जा रहा है कि जगदलपुर निगम का अगला महापौर आरक्षण व्यवस्था के अनुसार महिला होगी यह तय है, लेकिन कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी के दावेदार कमल झज्ज, कविता साहू, सरला तिवारी,अनिमा अधिकारी, अर्पणा बाजपेई को अब किसी सामान्य या महिला आरक्षित वार्ड से पार्षद का चुनाव जीत कर आने के बाद ही पार्टी के माध्यम से महापौर बनाए जाएंगे। इसी तरह भाजपा के संभावित महापौर पद के दावेदारों में दीप्ति पांडे, दयावती देवांगन,लक्ष्मी कश्यप, अंजू राय, महेश्वरी ठाकुर, रानी चेरपा, पार्वती कश्यप, अनीता श्रीवास्तव को भी किसी सामान्य वार्ड से या महिला आरक्षित वार्ड से पार्षद का चुनाव जीतने के बाद ही महापौर की दावेदारी पार्टी स्तर पर तय की जावेगी। इससे यह स्पष्ट है कि महापौर बनने के लिए महिला नेत्रियों का पूरा समीकरण गड़बड़ा गया है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित वे महिला महापौर पद के प्रत्याशियों को हुई है जिन्हें टिकट मिलने की प्रबल संभावना थी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान के बाद बदली हुई परिस्थितियों की संभावना पर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा पहले यह कहां जाना कि प्रत्यक्ष मतदान जैसा जगदलपुर निगम बनने के बाद से जारी था, उसी आधार पर चुनाव कराए जाएंगे। इसके साथ ही निगम चुनाव के आरक्षण की पूरी प्रक्रिया को संपन्न करा लेने के बाद पुनः मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दूसरा बयान जिसमें अप्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से पार्षदों के द्वारा महापौर का चुनाव के निर्णय को यह माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस के सर्वे एवं अन्य रिपोर्टों के बाद शहरी क्षेत्रों में भाजपा का प्रभाव अधिक होने और उनके निगम पालिका मैं जीतकर आने की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री ने यू टर्न लिया है।
इस संबंध में भाजपा के नेता और पूर्व महापौर किरण देव ने महापौर चुनने की वर्तमान व्यवस्था को अच्छा बताया है। उन्होंने कहा कि इसमें महापौर की जवाबदेही सीधे जनता के प्रति रहती है। यदि पार्षदों के द्वारा महापौर का चुनाव किया जाएगा तो जनता की जवाबदेही महापौर की नहीं रहेगी।
कांग्रेस के वर्तमान महापौर जतिन जयसवाल ने कहां कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निगम चुनाव को लेकर मंत्रियों की कमेटी बना दी है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद जनहित को देखते हुए मुख्यमंत्री निर्णय लेंगे, वैसे भी मुख्यमंत्री और नगरी प्रशासन मंत्री हर नगर की समुचित और सर्वांगीण विकास की सोच रखकर योजना बनाकर कार्य करते हैं।