जगदलपुर। स्व. बलिराम कश्यप मेडिकल काॅलेज सह अस्पताल का नाम बदल कर उसे स्व. महेन्द्र कर्मा के नाम पर करने का भूपेश सरकार का फैसला व्यक्तिगत दुर्भावना से ग्रसित अत्यंत निन्दनीय फैसला है। बस्तर के विकास के लिए ताउम्र समर्पित रहे बलि दादा के कार्यों को मिटाने का यह दुस्साहस प्रदेश सरकार की असफलता एवं हताशा को दर्शाता है। अच्छा होता यदि भूपेश सरकार अपनी लकीर बड़ी करने का प्रयास करती।
पूर्व अध्यक्ष भाजपा जगदलपुर राजेन्द्र बाजपेयी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रदेश सरकार का यह फैसला इसलिए भी निन्दनीय है कि बस्तर के विकास के लिए स्व. बलिराम कश्यप जी एवं स्व. महेन्द्र कर्मा जी ने दलगत भावना से ऊपर उठ कर कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है और आज उनके नाम पर बंटवारे की ओछी राजनीति खेली जा रही है। मेडिकल कालेज के सामने ही एक और सुपर स्पेशियालिटी हास्पीटल बन रहा है उसका नाम स्व. महेन्द्र कर्मा के नाम पर किया जा सकता है।
श्री बाजपेयी ने आगे कहा है कि दुर्भाग्यपूर्ण झीरम घाटी हमले के कुछ ही दिनों बाद शुभारंभ किए गए काँग्रेस मुख्यालय के नवनिर्मित भवन का नामकरण हमले मे शहीद स्व. विद्या चरण शुक्ला, स्व. महेन्द्र कर्मा अथवा स्व. नन्दकुमार पटेल के नाम पर क्यों नहीं रखा गया। क्यों छत्तीसगढ़ के अपने प्रदेश कार्यालय का नाम राजीव भवन रख दिया। अपने ही पार्टी के शहीदों की शहादत का यह अपमान नहीं तो और क्या है। सरकार किसी की भी हो, अच्छे कामों एवं उन्हें करने वालों का सम्मान नहीं कर सकते तो अपमान भी ना करें। व्यक्ति सम्मान अपने कर्मों से पाता है किसी का नाम मिटा कर नहीं।