नहीं रहे फ्लाइंग-सिख ‘मिल्खा सिंह’, 91 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, 03 दिन पहले ही पत्नी का हुआ था निधन

नई दिल्ली। समूचे भारत के लिये आज बड़े दुख की बात है, कि खेल जगत की मिसाल, उड़न सिख पद्मश्री ‘मिल्खा सिंह’ अब हमारे बीच नहीं रहे। पी.जी.आई. चंडीगढ़ में भर्ती मिल्खा सिंह (91) की शुक्रवार रात 11.24 बजे मौत हो गई। कुछ दिन पहले ही उनकी रिपोर्ट कोविड नेगेटिव भी आ गई थी। बावजूद इसके उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। उन्हें पी.जी.आई. के कार्डियक सेंटर में ऑब्जर्वेशन में रखा गया था।

ज्ञात हो कि मिल्खा सिंह की 17 मई को कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी। हालत खराब होने के बाद पहले उन्हें फोर्टिस हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था, जहां कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद 31 मई को उन्हें डिस्चार्ज किया गया था। इसके बाद वह सेक्टर-8 स्थित अपने घर में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आराम कर रहे थे। 03 जून को उनकी तबीयत एक बार फिर बिगड़ गई। ऑक्सीजन लैवल गिरने के बाद उन्हें पी.जी.आई. के कोविड हॉस्पिटल में लाया गया। इसके बाद यहीं उनका इलाज चल रहा था।

तीन दिन पहले पत्नी हार चुकी थीं कोरोना से जंग

मिल्खा की पत्नी निर्मल कौर भी कोरोना संक्रमण से पीडित थी। उनका मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में इलाज चल रहा था। 13 जून को कोविड के कारण स्थिति बिगड़ने पर उनकी मौत हो गई थी। मिल्खा सिंह पी.जी.आई. में एडमिट में होने की वजह से संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया गहरा शोक

महान ऐथलीट के निधन पर पीएम मोदी ने तस्वीर शेयर करते हुए शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया- मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया, जिसने देश की कल्पना पर कब्जा कर लिया और अनगिनत भारतीयों के दिलों में एक विशेष स्थान बना लिया। उनके प्रेरक व्यक्तित्व ने उन्हें लाखों लोगों का प्रिय बना दिया। उनके निधन से आहत हूँ।

एशियाई खेलों में 04 और कॉमवेल्थ गेम्स में 01 गोल्ड है ‘मिल्खा सिंह’ के नाम

एशियाई खेलों में 4 स्वर्ण पदक और कॉमनवेल्थ गेम्स में 01 गोल्ड मेडल जीतने वाले ‘मिल्खा सिंह’ की रफ्तार की दीवानी दुनिया थी। फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर इस धावक को दुनिया के हर कोने से प्यार और समर्थन मिला। मिल्खा का जन्म अविभाजित भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ, लेकिन वह आजादी के बाद हिंदुस्तान आ गए। मिल्खा की प्रतिभा और रफ्तार का यह जलवा था कि उन्हें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान ने दिया था।

सम्मान हासिल करने वाली पिता-पुत्र की पहली जोड़ी

जीव मिल्खा सिंह को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका है। ऐसे में मिल्खा सिंह और उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह देश के ऐसे इकलौते पिता-पुत्र की जोड़ी हैं, जिन्हें खेल उपलब्धियों के लिए पद्मश्री मिला है।

दिग्गज धावक ‘मिल्खा’ के संघर्ष पर बन चुकी है फिल्म

भारतीय खेल जगत की मिसाल, दिग्गज धावक ‘मिल्खा सिंह’ के जीवन पर ‘भाग मिल्खा भाग’ नाम से फिल्म भी बनी है। उड़न सिख के नाम से प्रसिद्घ मिल्खा सिंह ने कभी भी हार नहीं मानी। हालांकि मिल्खा सिंह ने कहा था कि फिल्म में उनकी संघर्ष की कहानी उतनी नहीं दिखाई गई है जितनी कि उन्होंने असल जीवन में झेली थी।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
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