बस्तर टाइगर शहीद ‘महेन्द्र कर्मा’ की जयंती पर कांग्रेसियों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि, ‘राजीव भवन’ सहित झंकार चौक स्थित आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया याद

जगदलपुर। बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर के द्वारा बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र कर्मा जी की जयंती स्थानीय “राजीव भवन” में सादगी व गरिमा के साथ मनाई गई। इसके उपरांत शहर के हृदय स्थल झंकार चौक में स्थित बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र कर्मा की आदमकद मूर्ति पर संसदीय सचिव/विधायक रेखचन्द जैन, छत्तीसगढ़ क्रेडा विकास विभाग के अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार, जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा, महापौर सफीरा साहू सहित जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की गरिमामय उपस्थिति में माल्यार्पण कर श्रद्धांसुमन अर्पित की गई।

इस दौरान शहीद ‘कर्मा’ की जीवनी पर प्रकाश डालते संसदीय सचिव/विधायक रेखचन्द जैन, छत्तीसगढ़ क्रेडा विकास विभाग के अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार, जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा, महापौर सफीरा साहू ने कहा कि शहीद महेंद्र कर्मा छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेताओं में से थे। परिवर्तन यात्रा के दौरान माओवादियों द्वारा किए गए झीरम नरसंहार में उन्होंने भी अपने प्राणों की आहुति दी आज उन्हीं की जयंती पर कांग्रेस परिवार के लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करने एकत्रित हुए हैं। उन्होंने बस्तर में कांग्रेस की मजबूती के लिए कई योगदान दिया था। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा दिए गए जवाबदारी का उन्होंने ईमानदारी के साथ निर्वहन किया। व्यावहारिकता और कुशल नेतृत्व उनके जीवन में कूट-कूट के भरी थी। अपने क्षेत्र में भी उन्होंने पार्टी की मजबूती के लिए कई कार्य किए। कार्यकर्ताओं में उनकी काफी अच्छी छवि और पकड़ थी। उनकी जीवनशैली को उनके समर्थक अपना आदर्श मानकर उसका अनुसरण कर रहे हैं। अपने विधानसभा क्षेत्र में बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र कर्मा की एक अलग छाप थी। सेवक बनके उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा की और उनके अच्छे बुरे वक्त में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते थे और क्षेत्रवासियों को ऐसे हालातों और विषम परिस्थितियों में भी अकेलापन महसूस होने का एहसास कभी नहीं दिलाया इसलिए लोग उन्हें पूजते थे तथा उन्हें बस्तर टाइगर के नाम से जाना पहचाना जाता था, वह अपने क्षेत्र के मसीहा भी थे।

बस्तर के कद्दावर नेता बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र कर्मा बस्तर की राजनीति में बस्तर टाइगर के नाम से जाने वाले महान नेता रहे है। शहीद महेंद्र कर्मा ने बस्तर के जनता के प्रति उनकी समर्पण भावना आदिवासियों के उत्थान की सोच और जरूरतमंदों के लिए हमेशा मददगार एवं सरकार पक्ष की हो या विपक्ष की हमेशा कार्यरत रहे हैं। शहीद महेंद्र कर्मा कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उनमें नेतृत्व की क्षमता विकसित हो गई थी। उनकी क्षमता के अनुसार ही इन्होंने राजनीति में कदम रखा। सन् 1980 में 30 वर्ष की आयु में उन्होंने दन्तेवाड़ा से विधायक की सीट पर जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने, 1994 में दंतेवाड़ा जिला पंचायत का चुनाव लड़ कर इन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल की, जब छठवीं अनुसूची बस्तर में लागू करने की बात उठी तो उन्होंने अपनी ही पार्टी से बगावत कर 1996 में संसद का चुनाव निर्दलीय लड़ा और सांसद बने। बस्तर के गैर आदिवासियों के बीच उनकी काफी अच्छी पैठ और भूमिका थी। बस्तरवासी उन्हें अपना कद्दावर नेता समझते थे और उन्होंने इस विश्वास और भरोसे को कायम भी रखा। इस बीहड़ अंचल की तरक्की और विकास में उन्होंने अपना लोहा मनवाने में सफल साबित हुए, अविभाजित मध्यप्रदेश में जेल मंत्री के पद पर कार्यरत रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाहन किया। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद वाणिज्य, उद्योग, ग्रामोद्योग और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री भी बने। 2003 से 2008 तक नेता प्रतिपक्ष के पद पर आसीन थे। सलवा जुडूम अभियान के जन्मदाता व नेता बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र कर्मा नक्सलियों के टारगेट में सबसे ऊपर पंक्ति में थे। महेंद्र कर्मा को नक्सलियों का विरोध करने की बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी। नक्सलियों ने उन पर कई बार जानलेवा हमले किए पर हर बार वे बच निकलते थे। नक्सलियों ने उनके परिवार पर भी हमला करना शुरू कर दिया था। कर्मा परिवार के दो दर्जन से ज्यादा सदस्यों की नक्सलियों ने निर्मम हत्या की, बावजूद इसके नक्सलियों से लोहा लेने में पीछे नहीं रहे। आखरी सांस तक उन्होंने बस्तर के माओवादियों का सामना किया।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी सतपाल शर्मा ने किया। इस दौरान वरिष्ठ कार्यकर्ता चंद्रभान झाड़ी, पार्षद यशवर्धन राव, विक्रम डांगी, बलराम यादव, मोइन अख्तर, दंतेश्वर राव, योगेश पाणिग्राही, अवधेश झा, हरीश साहू सहित भारी संख्या में कांग्रेसी मौजूद रहे।

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दिनेश के.जी. (संपादक)

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