कांग्रेस नगर सरकार की कमजोर इच्छा-शक्ति का ख़ामियाजा जनता भुगत रही, चौपट सफाई व्यवस्था ने फैलाया डेंगू का प्रकोप, महापौर दें जवाब- पार्षद आलोक अवस्थी

निगम के सफाई बेड़े में 720 स्वच्छता कर्मी, प्रति माह 50 लाख से अधिक खर्च, फिर भी सफाई इंतजाम बेहाल

डेंगू के साथ अब टाइफाइड के मरीज भी बड़ी संख्या में सामने आ रहे

जगदलपुर। बदहाल चौपट सफाई व्यवस्था के कारण ही शहर में डेंगू का कहर टूटा है। नगरपालिक निगम की सर्वोच्च प्राथमिकता शहर का स्वच्छता कार्य होता है और जिसमें नगर निगम पूरी तरह विफल हो चुका है। जिसका खामियाजा शहर वासियों को डेंगू के फैले प्रकोप के रूप में भुगतना पड़ रहा है,यहाँ तक कि डेंगू से दुखद मौतें भी हो चुकी है। एक माह बीतने को है,लेकिन डेंगू का फैलाव कम नहीं हो रहा। अब डेंगू के साथ साथ टाइफाइड के पीड़ित भी बड़ी संख्या में निकल रहे हैं। कांग्रेस नगर सरकार की कमजोर ईच्छा शक्ति व लापरवाही ने शहर को जानलेवा डेंगू के हवाले कर दिया है। महापौर की बड़ी जवाबदारी बनती है कि डेंगू की बढ़ती रफ्तार व उससे हो रही आमजन की मौतों के लिए शहर की जनता को जवाब दें। भाजपा पार्षद आलोक अवस्थी ने शहर में बने डेंगू के प्रकोप के लिए निगम की लचर सफाई व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया है और महापौर से जवाब मांगा है।

पार्षद आलोक अवस्थी ने कहा कि विपक्षी भाजपा पार्षदों ने बदहाल सफाई इंतजाम को दुरूस्त करने बारंबार आगाह किया, आवाज़ उठायी, मगर निगम में सत्तासीन कांग्रेस नगर सरकार ने जनस्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषय को हर बार अनसुना कर दिया। सामान्य सभा में प्रश्न पूछे जाने पर बहुमत की दादागिरी से विपक्ष के सवाल किनारे कर दिये गये। आज जगह-जगह पसरी अस्वच्छता के कारण जगदलपुर डेंगू के मच्छरों का पनाहगार बन गया है। ऐसे कौन से कारण है कि नगर निगम शहर को स्वच्छ-साफ रखने में फेल है, जबकि निगम ने चंद माह पूर्व डिंडोरा पीट पीट कर जगदलपुर को स्वच्छता की रेटिंग में अव्वल नंबर लाने जगदलपुर में निरंतर स्वच्छता अभियान भी चलाया था। इसी के तहत 36 लाख रुपये की भारी भरकम राशि से डस्टबिन शहर के समूचे चौक चौराहों में निगम ने लगाये थी, जिसमें अधिकांश डस्टबिन गायब है या टूट-फूट गये है। यह एक उदाहरण शहर की स्वच्छता के प्रति नगर निगम की घोर लापरवाही को दर्शाता है।

श्री अवस्थी ने कहा कि डेंगू के पसरे प्रकोप के विपरीत समय में जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी से डेंगू की रोकथाम के लिए व्यापक उपाय कर रहा है। सभी 48 वार्डों में दवा छिड़काव के दो-दो मशीनें प्रत्येक वार्ड में दी गयी है। मेडिकल टीम की तैनाती भी वार्डवार की गयी है, जो घर घर पहुँच कर डेंगू मरीजों की जानकारी ले रही है। इधर महापौर व निगम आयुक्त भी शहर के वार्डों का नियमित दौरा कर रहे हैं, मगर इसके बाद भी शहर का स्वच्छता कार्य पटरी पर नहीं आया है।

भाजपा पार्षद आलोक अवस्थी ने कहा कि निगम के सफाई बेड़े में वर्तमान में कुल 720 स्वच्छता कर्मी है, जिसमें निजी ठेके के 213, एमपीसी के 332, नियमित सफाई कर्मी 150 व कंमाडो फोर्स के 25 सफाई कर्मचारी है। इसके अतिरिक्त 43 आटो है, जो वार्डों में घरों से कचरा एकत्र करती है। यहाँ शहर की जनता को मालूम हो कि नगर निगम प्रति महीने 50 लाख से अधिक राशि सिर्फ स्वच्छता के लिए खर्च करता है, बावजूद इसके गंदगी से पटा शहर डेंगू की चपेट में है। बडा़ पद बड़ी जिम्मेदारी भी लेकर आता है, महापौर को शहर की जनता को जवाब देना होगा।

Dinesh KG (Editor in Chief)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

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