शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय में मानवाधिकार दिवस का किया गया आयोजन : 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनोमी वाला देश होगा भारत, देश की प्रगति में बाधक है मानव अधिकारों का हनन, मानव अधिकार ही है प्राकृतिक अधिकार – कुलपति

जगदलपुर। शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन स्थित सभागार में समाज कार्य अध्ययनशाला द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस का आयोजन किया गया। आयोजन की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती वीनू हिरवानी, जिला महिला एवं बाल विकास संरक्षण अधिकारी तथा अन्य वक्ता श्री दुर्गा शंकर नायक, बस्तर जिला संयोजक, यूनिसेफ और श्री ईश नारायण पाण्डेय, प्रतिधारक अधिवक्ता, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जगदलपुर उपस्थित रहे. I समाज कार्य अध्ययनशाला के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. सुकृता कुजूर, सहायक प्राध्यापक (मानव विज्ञान) कार्यक्रम के संयोजक थी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संयोजक डॉ. सुकृता कुजूर ने वक्ताओं का परिचय देते हुए 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस के आयोजन का महत्त्व बताया. साथ ही 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ के योगदान की अलख जगाने वाले वीर सपूत अमर शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान दिवस पर उनके जीवन एवं योगदान में प्रकाश डाला.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव में कहा कि मानव अधिकार ही प्राकृतिक अधिकार है. द्वितीय विश्व युद्ध के विध्वंश के बाद विश्व में शांति और समृद्धि तथा मानव विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा 10 दिसंबर 1948 को मानव अधिकार की घोषणा किये जाने के उपलक्ष्य में मानव अधिकार दिवस के आयोजन किये जाने की जानकारी दी. उनके द्वारा बताया गया कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 14 से 31 तक में विभिन्न मौलिक अधिकार है, जो व्यक्ति के मूल मानव अधिकार है. मानवाधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। मानवाधिकार दिवस मनाने का मकसद लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल हैं। मानव अधिकार मनुष्य को जन्म से प्राप्त होता है. वर्ष 2022 में मानव अधिकार दिवस का थीम सभी के लिए प्रतिष्ठा, स्वतंत्रता एवं न्याय है. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में यह कथन था कि संयुक्त राष्ट्र के लोग यह विश्वास करते हैं कि कुछ ऐसे मानवाधिकार हैं जो कभी छीने नहीं जा सकते; मानव की गरिमा है और स्त्री-पुरुष के समान अधिकार हैं। मानव अधिकार घोषणा पत्र में कुल 30 अनुच्छेद है, भारत में मानव अधिकार क़ानून 1993 में अस्तित्व में आया और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया. वर्ष 2023 में भारत जी 20 सम्मलेन की मेजबानी करेगा. वर्ष 2023 में मानव अधिकार दिवस के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय स्तर में चरण बद्ध तरीके से मानव अधिकारों के प्रति जन जाग्रति के लिए कार्य किया जायेगा. विश्वविद्यालय के अध्ययन शालाओं और संबद्ध महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को पूरे बस्तर संभाग में जनजागृति अभियान चलाया जायेगा. भारत की इकोनामी 5 ट्रिलियन डॉलर होगा, मजबूत राष्ट्र बनेगा, परन्तु विभिन्न प्रकार से मानव अधिकारों के हनन से देश की प्रगति बाधित होती है.
मुख्य वक्ता श्रीमती वीनू हिरवानी ने बताया कि भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और सभी राज्यों में राज्य मानव अधिकार आयोग गठित है. इसके बाद भी महिलाओं के मानव अधिकारों का ज्यादातर हनन होता है. घर, परिवार, समाज में महिलाएं अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित है. उन्होंने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 लागू है. घरेलू हिंसा से पीड़ित की शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता के अनुसार दंड का भी प्रावधान है. विवाहित महिला को भरण पोषण का अधिकार है. कार्य स्थल पर महिलाओं के उत्पीडन होने पर अनुतोष प्राप्त करने का भी अधिकार है. निर्भया फण्ड के तहत प्रत्येक जिले में वन स्टॉप सखी सेंटर कार्यरत है. राष्ट्रीय महिला आयोग और सभी राज्यों में राज्य महिला आयोग गठित है. हेल्प लाइन नंबर 181, 112, 1091 के बारे में जानकारी दी. स्त्री धन और दहेज़ में अंतर को बताया. यह भी कहा कि दहेज़ एक बुरी सामाजिक प्रथा है.
अन्य वक्ता श्री दुर्गा शकर नायक ने बाल अधिकार एवं इसके संरक्षण के संबंध में जानकारी दी. श्री ईश नारायण पाण्डेय ने मानव अधिकार के संरक्षण के दिशा में जिला विधिक प्राधिकरण के कार्य के बारे में जानकारी दिया.
इस अवसर पर डॉ. स्वपन कुमार कोले, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (मानव विज्ञान एवं जनजातीय अध्ययनशाला), डॉ. संजय कुमार डोंगरे, सहायक ग्रंथपाल, श्री सी. एल. टंडन, सहायक कुलसचिव एवं जनसंपर्क अधिकारी, डॉ. नीलेश कुमार तिवारी, डॉ. रामचंद साहू, डॉ. सतीश कुमार, श्री पुन्केश्वर वैद्य सहित अन्य शिक्षक और समाजकार्य अध्ययनशाला, मानव विज्ञान अध्ययनशाला, शिक्षा अध्ययनशाला के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे. डॉ. सतीश कुमार, श्री पुन्केश्वर वैद्य कार्यक्रम के सह संयोजक रहे. कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. तुलिका शर्मा, अतिथि व्याख्याता, समाज कार्य अध्ययनशाला ने किया।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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