सांस्कृतिक सुरक्षा के लिए आयोजित “आया के गुहार मां दंतेश्वरी के द्वार यात्रा” में शामिल हुए वनमंत्री केदार कश्यप, कहा – आदिवासी संस्कृति, परंपरा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

वनवासी, आदिवासी का सामाजिक जीवन हिन्दू संस्कृति का जीवन दर्शन है – वनमंत्री केदार कश्यप

जगदलपुर। बस्तर के आदिवासी समुदाय अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए जाग उठे हैं। समाज को बाहर से आये लोगों के बारे में पता चल गया है, अब वे उनकी साजिश का पर्दाफाश कर रहे हैं और मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। उनका मुख्य एजेंडा आदिवासियों का धर्मांतरण करना है, लेकिन आदिवासी इस मकड़जाल को समझ चुके हैं। हमारी संस्कृति और परंपरा ही असली जड़ है। हमें इससे जुड़े रहना है। यह बात वन मंत्री केदार कश्यप ने कही।

दरअसल जनजाति सुरक्षा मंच ने जनजाति समाज में सांस्कृतिक चेतना के लिए “आया के गुहार मां दंतेश्वरी के द्वार’’ यात्रा का शुभारंभ नारायणपुर से किया गया। इस यात्रा में बड़ी संख्या में आसपास के क्षेत्रवासी शामिल हुए।
वहीं इस यात्रा में बस्तर संभाग के कद्दावर नेता, वनमंत्री व प्रदेश भाजपा महामंत्री केदार कश्यप गुरुवार को शामिल हुए। उन्होनें यात्रा में शामिल सभी परिवारजनों को शुभकामनाएं एवं बधाई दी।

वनमंत्री श्री कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति विश्व प्रसिद्ध है। जिसका आधार हमारी बस्तर की सांस्कृतिक परंपरा है। जो लोग हमें पिछड़ा हुआ समझते हैं, उन्हें ज्ञात नहीं है कि बस्तर ने आजादी की लड़ाई में भी अपना योगदान दिया है। हमारी जीवन शैली में आदिवासी परंपरा शामिल है। जो अवैध धर्मांतरण कल भी गलत था, आज भी गलत है, संस्कृति-परंपरा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।

केदार कश्यप ने कठोर शब्दों में कहा कि हमारी विरासत, हमारी आदिवासी परंपरा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। हमें बाहर से आये लोगों के द्वारा संस्कृति को समझने की आवश्यकता नहीं है। जब तक जड़ से जुड़े रहेंगे, तब तक मजबूत वटवृक्ष की भांति टिके रहेंगे। हमारी संस्कृति पर हमला करने वाले बाहरी तत्वों से सावधान रहना है। समाज को तोड़ने वाले शक्तियों के हर षड्यंत्र को समझ कर अपनों के लिए कार्य करना है।

वनवासी का सामाजिक जीवन हिन्दू संस्कृति का जीवन दर्शन

वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि हम लोग प्रकृति के उपासक हैं। हमारे जीवन शैली को हिन्दू संस्कृति का आधार माना जाता है। खेतों में फसल उगाने से लेकर काटने तक, सभी कार्यों में देवताओं और पूर्वजों का आह्वान किया जाता है। बस्तर का दशहरा, मौली मेला, माई दंतेश्वरी का मंदिर यहां की संस्कृति विश्व प्रसिद्ध है। ऐसे क्षेत्र का मुझे प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह मेरे लिए गौरव का क्षण है।

संस्कृति की रक्षा और सम्मान हम सबकी जिम्मेदारी

केदार कश्यप ने कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों से कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हम आगे बढ़े हैं। हमारे बस्तर क्षेत्र के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। उसी तरह हमारी यह सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम सभी अपने संस्कृति और परंपराओं को लेकर सजग रहें। बाहरी विचारों और लोगों से प्रभावित हुए बिना हम अपने संस्कृति में बने रहें। उन्होंने कहा कि आदिवासी परंपरा और हमारे चीर पुरातन संस्कृति की रक्षा के लिए “आया के गुहार मां दंतेश्वरी के द्वार” यात्रा का आयोजन सराहनीय पहल है। जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर अपनों के बीच गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने यात्रा में शामिल लोगों को शुभकामनाएं भी दी।

Dinesh KG (Editor in Chief)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

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