चक्रव्यूह में वीरता की अमिट गाथा : कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल की रचना ‘चक्र-व्यूह और अभिमन्यु’ को मिला पाठकों का प्रेम

रायपुर। छत्तीसगढ़ की चर्चित कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल की नई कविता “चक्र-व्यूह और अभिमन्यु” इन दिनों साहित्य प्रेमियों के बीच चर्चा का केंद्र बनी हुई है। इस रचना में कवयित्री ने महाभारत के वीर योद्धा अभिमन्यु की असाधारण शौर्यगाथा को गहन संवेदना और अद्भुत शब्दशक्ति से जीवंत किया है।
कविता में न केवल युद्धभूमि का चित्रण है, बल्कि सत्य, धर्म और साहस की गूंज भी है। ‘सुषमा के स्नेहिल सृजन’ श्रृंखला की यह काव्य रचना वीरता, आदर्श और यथार्थ के मेल को प्रस्तुत करती है। अभिमन्यु के बलिदान को कवयित्री ने श्रद्धा और भावनाओं की माला में पिरोया है, जिससे पाठकों के हृदय में गहरा असर होता है।
‘सुषमा के स्नेहिल सृजन’
चक्र-व्यूह और अभिमन्यु
रण में होती जीत से, करते सब जयकार।
सत्यमेव विजयी सदा, शौर्य सहित हथियार।।कपटी की हर चाल पर, करता वीर प्रहार।
धर्म जीत मन में लिए, रहता था तैयार।।संघर्षों के पथ चले, साहस होता साथ।
न्याय हेतु उठते सदा, सच्चे रण के नाथ।।छल से कायर रच रहे, चक्रव्यूह का जाल।
कैसे अब अंजाम दें? अर्जुन सुत का काल।।’सुषमा’ गाथा कह रही, सच्चाई का मोल।
सत्य मार्ग में नित चलें, बजे विजय का ढोल।।प्रथम द्वार जयद्रथ था, करता तीखे वार।
कुछ पल में अभिमन्यु ने, किया द्वार को पार।।धैर्य शौर्य का साथ हो, बढ़े सदा विश्वास।
रण में जो रहते अडिग, वही रचे इतिहास।।चाप चढ़ाकर धनुष पर, रण में भर हुंकार।
कौरव सेना देह से, बहे रक्त की धार।।अंतिम क्षण तक युद्ध वह, लड़ता था अविराम।
शूर-वीर की वीरता, गूँजे चारों धाम।।नाश पाप का हो सके, संकल्पित था वीर।
’सुषमा’ गाथा याद कर, हुए भाव गंभीर।।बढ़ा तेज अभिमन्यु का, झुकता अंबर माथ।
छोड़ गए कौरव तभी, सत्य-धर्म का साथ।।धीर-वीर छल में फँसा, बचता कैसे प्राण।
अंत हुआ अभिमन्यु का, मिला आत्म को त्राण।।चक्र-व्यूह में फँस गया, गया स्वर्ग अब धाम।
इस बालक अभिमन्यु को, बारम्बार प्रणाम।।_कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल, रायपुर छ.ग.
रचना की पंक्तियाँ जैसे –
“धैर्य शौर्य का साथ हो, बढ़े सदा विश्वास।
रण में जो रहते अडिग, वही रचे इतिहास।।”
– पाठकों को प्रेरित करती हैं और अभिमन्यु के अंत तक लड़ने की भावना को उजागर करती हैं।
इस कविता को सोशल मीडिया पर पाठकों का भरपूर स्नेह मिल रहा है। साहित्य जगत भी इसे एक प्रेरणादायी और स्तरीय काव्य कृति के रूप में देख रहा है।
साहित्य, संस्कृति और वीरगाथा के संगम से रची गई यह कविता, आने वाली पीढ़ियों को भी धर्म, साहस और आत्मबल का संदेश देती रहेगी।
“सुषमा के सृजन” की यह नई प्रस्तुति निश्चित रूप से कवयित्री की लेखनी को और ऊँचाइयों तक पहुँचाएगी।