रायपुर। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में अतिथि शिक्षकों को नौकरी से निकाला जा रहा है। इसी क्रम में बस्तर के सुकमा व दन्तेवाड़ा जिले के अतिथि शिक्षकों को नौकरी से निकाले जाने का आदेश जारी किया है। इससे इन शिक्षकों के सामने नौकरी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में हमारी सरकार थी, तब युवाओं को रोजगार से जोड़ने 2016 में अतिथि शिक्षकों के भर्ती अभियान की शुरूवात की थी। इस योजना के तहत हजारों युवकों को शिक्षा अभियान से जोड़ा गया था। जो स्कूलों में जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन, गणित, वाणिज्य सहित अन्य विषयों की पढ़ाई करवाते हैं। लेकिन जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की आई है वह अतिथि शिक्षकों को लगातार नौकरी निकालने का फैसला ले रही है।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि नियम के मुताबिक अतिथि शिक्षकों को नौकरी से तब तक नही निकाला जा सकता है, जब तक उन स्कूलों में नियमित शिक्षक पदभार ग्रहण नही कर लेता है। साथ ही अतिथि शिक्षकों का तब तक नियुक्त भी प्रभावी रहेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूल में जहां पद रिक्त है उसके बाद भी अतिथि शिक्षकों को नौकरी ने निकाला जा रहे है जो चिंता का विषय है।जिसकी जितनी निंदा की जाये वो कम है।
उन्होंने कहा कि जब प्रदेश सरकार खुद ही दावा कर रही है कि उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है तो क्यों आतिथि शिक्षकों को नौकरी से निकाल रही है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषण पत्र में ही एलान किया था कि हर युवा को रोजगार देना उनकी प्राथमिकता होगी। य़ुवाओं के नव रोजगार सृजित करने के बजाय नौकरी से निकालना कहां का न्याय है। अब सत्ता का सुख प्राप्त करने के बाद खुद ही अपने वादे से मुकर रही है।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि प्रदेश के सरकार के कथनी और करनी काफी अंतर है। उन्होंने मांग की है कि सभी अतिथि शिक्षकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें नौकरी से नही निकाला जाना चाहिये। इस समय परिस्थियों को देखते हुए प्रदेश सरकार को गंभीरता से अतिथि शिक्षकों को नौकरी से निकालने का फैसला तुरंत वापस लेना चाहिये।