पवन दुर्गम, बीजापुर। नक्सलगढ़ बीजापुर जिले में दशकों से जहां सड़को की मांग ग्रामीण करते रहे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान यहां जगदलपुर-बीजापुर से भोपालपटनम तक सिंगल लाइन डामरीकरण सड़क बनाई गई थी। मुख्यालय से लगे धनोरा-तोयनार होते फरसेगढ़ क्षेत्र नक्सली घटनाओं और नक्सल ख़ौफ़ से जाना जाता रहा है। वहीं जिले के अतिसंवेदनशील बासागुड़ा, तरेम, उसूर और इलमिडी होते मद्देड पक्की सड़कों से महरूम रही है। नक्सली दहशत के कारण यहां सड़क निर्माण कठिन काम था। बिना सुरक्षा सड़क की कल्पना बेमानी थी। बीते कुछ वर्षों में भाजपा सरकार में विधायक और मंत्री महेश गागड़ा ने अंदरूनी इलाकों को सड़कों से जोड़ने राशि स्वीकृत करवाई लेकिन चुनावी माहौल में सड़कें बनाना मुश्किल था। सत्ता परिवर्तन के साथ ही विधायक बने विक्रम मंडावी ने इन अंदरूनी क्षेत्रो में धन्यवाद जनसंपर्क के माध्यम से सड़कों को लेकर अपने वादों को अमलीजामा पहनाना शुरु किया जिसके परिणामस्वरूप आवापल्ली- उसूर तक 12.5 किमी सड़क, लागत 8.36 करोड़, आवापल्ली- संकनपल्ली तक 11 किमी सड़क, लागत 8.06 करोड़, धनोरा से तोयनार होते फरसेगढ़ की सड़कों का काम शुरू हुआ।
ग्रामीणों के अरमानों को कुचलता रहा कीस्टोन
सड़क निर्माण कार्यो के साथ ही गुणवत्ता और डामर के उपयोग की मात्रा को लेकर ग्रामीणों का रोष और विरोध शुरू हो गया। अवैध खनन मामले में भाजपा- कांग्रेस के निशाने पर रही कीस्टोन ने बेतरतीब सड़कों का निर्माण कार्य जारी रखा जिसका परिणाम यह हुआ कि सड़कें महीनेभर में ही उखड़ने लगी, ग्रामीणों ने बदहाल घटिया निर्माण कार्य को लेकर सोशल मीडिया और कलेक्टर, विधायक, सांसद और मंत्रियों तक को व्हाट्सअप कर सूचना दी। बावजूद कीस्टोन पर जूं तक नही रेंगी। मदमस्त कीस्टोन अपने स्वार्थ को साधने ग्रामीणों के अरमानों को कुचलता रहा।
दो बार जान दांव पर लगाया जवानों ने
सैकड़ों सुरक्षाबल के जवानों ने सड़क निर्माण कार्य मे जान की बाजी लगाई। जान के खतरे के साथ बेहतर सड़क की उम्मीद कीस्टोन की कार्यशैली से टूट सी गई थी। सड़क निर्माण कार्य के दौरान मुस्तैद जवानों पर दोहरा बोझ डाला गया जब घटिया बनी सड़क को दोबारा मरम्मत करवाया गया। केंद्रीय सुरक्षाबल और स्थानीय पुलिस के समर्पण पर कंपनी की मनमानी भारी पड़ गई। सड़क की हालत को देखकर जवान भी नाखुश हैं। महीनों बारिश और धूप में तैनात जवानों को घटिया सड़क से ज्यादा वहां सड़क बनने की भी ख़ुशी है। जवानों का मानना है कि ऐसे मुश्किल हालातों में बन रही सड़को को प्रशासन अपनी निगरानी में करे तो गांवो को अच्छी सड़क मिल पायेगी।
कंपनी / विभाग की दलील
कीस्टोन कंपनी के सुपरवायजर वेंकट राव की माने तो सड़क निर्माण कार्य जल्दी पूर्ण करने के दबाव के कारण सड़कें बारिश के मौसम में बनाई गईं थी जिस कारण नीचे का बेस नही सूख पाया। सड़क निर्माण कार्य के दौरान भारी वाहनों के गुजरने से सड़क कमजोर हो गई जिसकी वजह से सड़क उखड़ने लगी। वहीं लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों ने 12-15 टन की सड़क पर 30-45 टन भारी वाहनों के चलने से उखड़ना बताया।
बदहाल सड़क पर हो रही सियासत
भाजपा नेता श्रीनिवास मुदलियार ने क्षेत्रीय विधायक के संरक्षण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। जिसके बाद आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चल पड़ा था। जिला पंचायत सदस्य/ उपाध्यक्ष कमलेश कारम ने सड़क का मुआयना किया। साथ ही प्रशासन और विधायक ने भी विभाग और कीस्टोन पर नाराजगी जाहिर की है। आवापल्ली-उसूर सड़क पर दर्जनों जगह आधी सड़क के पैच को निकालकर कीस्टोन मरम्मत का दिखावा कर रहा है।
यही हालात इलमिडी और तोयनार कि सड़क पर भी देखे गए हैं। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और AIIC सदस्य नीना रावतिया उद्दे ने अपने क्षेत्र धनोरा से तोयनार तक सड़क की बदहाल हालत पर चिंता व्यक्त की है। शिकायत कर जल्द सड़क को सुधारने और कीस्टोन पर कार्यवाही करने की मांग की है।
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