अखिल भारतीय 1000 सार्स-कोव-2 आरएनए जीनोम अनुक्रमण सफलतापूर्वक कर लिया गया है।
नई दिल्ली। बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा 5 राष्ट्रीय कोविड-19 जैव-भंडारों (बायोरिपोजिटरी) की स्थापना की गई है। यह देश में बायोटेक्नोलॉजी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् द्वारा स्थापित 16 कोविड-19 जैव-भंडारों के नेटवर्क का हिस्सा है।
इन जैव-भंडारों की सूची https://www.icmr.gov.in/cbiorn.html पर देखी जा सकती है। ये जैव-भंडार नैदानिक और वायरल नमूने एकत्रित कर रहे हैं। अब तक, 44452 नैदानिक नमूने और 17 वायरल वियोजन एकत्रित किए गए हैं जो कि नैदानिक, उपचारात्मक और वैक्सीन का विकास करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं और उद्योग के लिए उपलब्ध हैं।
अखिल भारतीय 1000 सार्स-कोव-2 आरएनए जीनोम अनुक्रमण सफलतापूर्वक कर लिया गया है जिसकी घोषणा बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा 1 अगस्त, 2020 की गई। इसका नेतृत्व बायोटेक्नोलॉजी विभाग के स्वायत्तशासी संस्थान, राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिकी संस्थान, (एनआईबीएमजी-कल्याणी), पश्चिम बंगाल सहित 5 अन्य समूहों; नैदानिक संगठनों और अन्य अस्पतालों द्वारा किया गया था।
ये अनुक्रमण पूरे विश्व में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा प्रयोग किए जाने के लिए ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इंडिया इंफ्लुएंजा डाटा पर अपलोड किए गए हैं। ये अनुक्रमण ‘अखिल भारतीय 1000 सार्स-कोव-2 आरएनए जीनोम अनुक्रमण संघ’ के तहत अपलोड किए गए हैं। जीआईएसएआईडी वेबसाइट का लिंक https://www.gisaid.org है। अब ये अनुसंधानकर्ताओं के उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।
राष्ट्रीय तौर पर, उद्योग और शैक्षणिक समुदाय द्वारा लगभग 30 वैक्सीन कैंडीडेट विकासाधीन है। ये वैक्सीन पूर्व-नैदानिक और नैदानिक विकास के विभिन्न चरणों में है जिसमें से 3 कैंडीडेट चरण I/II/III परीक्षण के अग्रिम चरण में और 4 अग्रिम पूर्व-नैदानिक विकास चरण में हैं। वैक्सीन संबंधी अनुसंधान संसाधनों, नैदानिक परीक्षण साइटों की स्थापना और समर्थ विनियामक दिशा-निर्देश अधिसूचित करने के लिए सहायता प्रदान की जा रही है।
वैक्सीन वितरण और प्रतिरक्षण से संबंधित मामलों की जांच एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह द्वारा की जा रही है। कोरोना वायरस वैक्सीन का वितरण और प्रतिरक्षण उपलब्धता पर निर्भर करता है। एक बार उपलब्ध होने पर, कोरोना वायरस वैक्सीन वितरण के लिए सर्वव्यापी प्रतिरक्षण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत वैक्सीन वितरण की वर्तमान कार्यप्रणाली में अपनाए जाने वाले क्रम का अनुकरण किया जाएगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और पृथ्वी विज्ञान मंत्री, डा. हर्ष वर्धन ने आज लोक सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी।