70 साल में विकास का लाभ बस्तर के आदिवासियों को नहीं बल्कि गैर छत्तीसगढ़ियों को हुआ है
सरकारी हिंसा से माओवादी हिंसा को नहीं दबाया जा सकता
जगदलपुर। बस्तर के नारायणपुर में डीआरजी के सिपाहियों की बस को माओवादियों द्वारा आईईडी ब्लास्ट से उड़ाने की घटना की छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने कड़ी निंदा करते हुए घटना में जान गंवाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजली देते हुए घायल डीआरजी के जवानों के लिये शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है,
माओवादी ब्लास्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एड. राजकुमार गुप्त ने भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़िया सरकार को आगाह किया है कि बस्तर में कार्पोरेट हितों की रक्षा करने के लिये छत्तीसगढ़िया आदिवासियों की बली न दे सरकार, ब्लास्ट में जान गंवाने और घायल होने वाले डीआरजी के सभी जवान स्थानीय आदिवासी ही हैं,
मंच के अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि बैलाडीला आयरन ओर माईंस और जगदलपुर से विशाखापट्टनम रेल लाईन को 70 साल से अधिक हो गये हैं लेकिन इस विकास का कोई लाभ बस्तर के आम आदिवासियों को आजतक नहीं मिला है, बस्तर की धरती से लाखों करोड़ों का लोहा निकाला जा चुका है करोड़ों पेड़ों की कटाई की गई है, नदियों का पानी का उपयोग कर रहे हैं लेकिन विकास के इस माडल का लाभ कौन लोग हड़प रहे हैं यह किसी से छिपा नहीं है, बस्तर के आम आदिवासियों की स्थिति पहले से बदतर हुई है और गैर छत्तीसगढ़ी, गैर आदिवासी मालामाल हो गये हैं बस्तर में आबादी का संतुलन बिगड़ गया है जिसके कारण आदिवासियों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम हुई है,
मंच के अध्यक्ष का कहना है कि बस्तर में विकास के पूंजीवादी माडल के कारण ही माओवादियों को पनपने का मौका मिला है और आज बस्तर की भूमि निर्दोष आदिवासियों के खून से लाल हो रही है, बस्तर में सशस्त्र बलों की नियुक्ति बस्तर के आदिवासियों के हितों की रक्षा करने के लिये नहीं बल्कि कार्पोरेट हितों की रक्षा करने के लिये की गई है, पहले केंद्रीय बलों की नियुक्ति की जाती रही है लेकिन अब आदिवासियों की बेरोजगारी का नाजायज फायदा उठाते हुए स्थानीय आदिवासियों को डीआरजी में सैनिक के रूप में भर्ती करके माओवादियों का सामना करने के लिये अग्रिम दस्ते के रूप में भेजकर उनकी बली दी जा रही है, मंच के अध्यक्ष ने सवाल किया है कि यदि सरकार बस्तर के आदिवासियों की इतनी ही हितैषी है तब उन्हें उद्योगों में नौकरियां क्यों नहीं देती है ?
छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने बस्तर से सशस्त्र बलों को तत्काल हटाने और विकास के पूंजीवादी माडल को बंद करके आदिवासी हितैषी विकास करने की मांग की है ऐसा करने से ही माओवादी हिंसा को नियंत्रित किया जा सकता है, माओवादियों की हिंसा को सरकारी हिंसा से नहीं दबाया जा सकता।