जगदलपुर। समूचे भारत में जिन स्वास्थ्य कर्मियों को सरकार ने मुश्किल वक्त में ‘कोरोना वॉरियर्स’ का दर्जा देकर नवाज़ा, उनका मनोबल बढ़ाया था, आज उन्हीं वॉरियर्स को मुश्किल वक्त में शासन-प्रशासन की उदासीनता का खामियाज़ा भोगना पड रहा है। 02 माह से वेतन नहीं मिलने व वेतन वृद्धि न होने से परेशान डीएमएफटी कर्मचारी महारानी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज डिमरापाल, समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बस्तर जिले के कर्मचारियों का एक दल आज कलेक्टर से मिलने कलक्ट्रेट पहुँचा। जहां बस्तर कलेक्टर ‘रजत बंसल’ से मुलाकात न होने पर अपर कलेक्टर ‘अरविंद एक्का’ को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए अपनी समस्याओं से अवगत कराया व शीघ्र निराकरण हेतु आग्रह किया।
इस दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि बस्तर जिले में कार्यरत समस्त डीएमएफटी संविदा कर्मचारियों के वेतन का भुगतान विगत दो माह से नहीं किया गया है। जिस कारण इस कोरोनाकाल में संविदा कर्मियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व में हमारे वेतन का भुगतान दिनांक 25 से 28 तक किया जाता था, किन्तु पिछले कुछ महीनों से समस्त कर्मचारियों का वेतन भुगतान विलम्ब से किया जा रहा है।
बस्तर जिले में कार्यरत डीएमएफटी संविदा कर्मचारियों की पदस्थापना विगत दो वर्षों से हैं, इस दरमियान केवल एक बार वेतन वृद्धि करते हुए पूर्व में आश्वश्त किया गया था कि प्रतिवर्ष कलेक्टर दर के अनुसार वेतन वृद्धि की जायेगी किन्तु आज पर्यन्त तक किसी प्रकार की वेतन वृद्धि नहीं हुई है, जबकि वर्तमान में अन्य जिलों में पदस्थ डीएमएफटी संविदा कर्मचारियों को एवं नवीन पदस्थ डीएमएफटी संविदा कर्मचारियों को नियमानुसार नवीन दर पे भुगतान किया जा रहा है।
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कोरोना काल में वॉरियर्स का दर्जा देकर नवाज़ा, अब मुश्किल घड़ी में नहीं कोई सरोकार, कहां हो सरकार – दे दो पगार
ज्ञात हो कि डीएमएफटी के संविदा कर्मी ऐसे कर्मचारी हैं जिनकी बदौलत हमने कोरोना जैसे संकटकाल को पार कर जीवन के नैय्या में वापस पैर रखा है। जिन स्वास्थ्य कर्मियों को सरकार ने मुश्किल वक्त में कोरोना वॉरियर्स का दर्जा देकर उनका मनोबल बढ़ाया, आज उन्ही वॉरियर्स के मुश्किल वक्त की सुध लेने वाला कोई जिम्मेदार दिखाई नहीं दे रहा। गौरतलब है कि डीएमएफटी संविदा कर्मचारियों में स्टॉफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, ओ.टी. टेक्नीशियन, एक्स-रे/सीटी स्कैन टेक्नीशियन, वार्ड बॉय/वार्ड आया, रिसेप्शनिस्ट, ओपीडी अस्सिस्टेंट, कलीनर जैसे लगभग 500 से अधिक डीएमएफटी से कार्यरत् कर्मचारी जिले की सीमा के दूरस्थ अंचलों से आकर, कुछ किराये के मकानों में रहकर कोरोना जैसे संकटकाल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उक्त कर्मचारियों को कोरोना काल की तालाबंदी में काम के बावजूद आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। जिससे इन कर्मचारियों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिये दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिनकी संख्या पूरे जिले में लगभग 500 से अधिक है। शासन-प्रशासन की उदासीनता का खामियाज़ा इन फ्रंटलाइन वर्कर्स को भुगतना पड़ रहा है। शासन-प्रशासन को चाहिए कि वे अपनी संवेदनाओं का परिचय देते हुए इन कोरोना योद्धाओं के समस्याओं का निराकरण करे, जिससे कि इन स्वास्थ्य कर्मचारियों का मनोबल न टूटे।