विश्व प्रसिद्घ बस्तर दशहरा : रथ निर्माण के लिए वन परिक्षेत्रों से आने वाले पेड़ों के बदले लगाएं जाएंगे तीन गुना पेड़

जगदलपुर। विश्व प्रसिद्घ बस्तर दशहरा में रथ निर्माण के लिए वन परिक्षेत्रों से आने वाले पेड़ों के बदले संबंधित वन परिक्षेत्रों में प्रतिवर्ष रथ निर्माण हेतु काटे जाने वाले पेड़ो की तुलना में 3 गुना पेड़ लगा कर वन परिक्षेत्र हरा-भरा किया जाएगा। संबंधित वन परिक्षेत्रों में निवासरत समुदाय के लोगों द्वारा विगत एक दशक से यह माँग की जा रही है कि दशहरा उत्सव के लिए रथ निर्माण हेतु काटे जाने वाले पेड़ों के बदले नए पेड़ लगाने तथा उन पेड़ों को सुरक्षित किया जाए। इस संबंध में गत वर्ष सांसद बस्तर एवं पदेन अध्यक्ष दशहरा उत्सव समिति श्री दीपक बैज की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में गहन विचार विमर्श करते हुए निर्णय लिया गया कि रथ निर्माण में उपयोग किए जाने वाले पेड़ों के बदले संबंधित वन परिक्षेत्रों में ही वृक्षा रोपण किया जाए और उस क्षेत्र में निवासरत समुदाय की सक्रिय भागीदारी कर पेड़ों को सुरक्षित भी किया जाए।

ज्ञात हो कि रियासत काल से बस्तर रियासत के तत्कालीन महाराजा स्वर्गीय पुरुषोत्तम देव को वर्ष 1408 ईस्वी में रथपति की उपाधि प्राप्त होते ही 75 दिवसीय दशहरा उत्सव में रथ यात्रा की शुरुआत हुई। इस 75 दिवसीय दशहरा पर्व में गोंचा पर्व से दशहरा उत्सव तक रथ यात्रा की रस्म पूरे होते है। इस रथयात्रा के मध्य बस्तर की आराध्य देवी माई दंतेश्वरी की रथ यात्रा रस्म भी पूरा किया जाता है। दशहरा उत्सव रथ यात्रा रस्म लगभग 600 वर्ष से अधिक समय से सम्पन्न हो रहा है। हरे-भरे साल एवं अन्य प्रजाति के पेड़ों को काट कर रथ का निर्माण प्रति वर्ष किया जाता है। रथ निर्माण के लिए जिले के माचकोट, कांगेर और दरभा वन परिक्षेत्रों के 61 जगहों से साल, टीवंस और धामन के पेड़ काटे जाते है। कालान्तर में संबंधित वन परिक्षेत्रों में पेड़ों का घनत्व कम होता जा रहा है।

कलेक्टर रजत बंसल ने कहा कि इसलिए यह आवश्यक हो गया है कि रथ निर्माण हेतु काटे जाने वाले पेड़ो के बदले भूमि चिन्हित कर संबंधित वन परिक्षेत्रों में वन विभाग राजस्व विभाग तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग व उक्त क्षेत्र में रहने वाले समुदाय की सक्रिय भागीदारी से न केवल पेड़ लगाए बल्कि उसे सुरक्षित भी किया जाए। संबंधित वन परिक्षेत्रों में प्रतिवर्ष रथ निर्माण हेतु काटे जाने वाले पेड़ो की तुलना में 3 गुना पेड़ लगा कर वन परिक्षेत्र में निवासरत समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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