दशकों से जिस डोंगी से ग्रामीण आते थे ईलाज कराने अब डोंगिनुमा नाव से दवाइयां लेकर गाँव पहुँचे अधिकारी, देखें वीडियो..

पवन दुर्गम, बीजापुर। एक वक्त था जब दक्षिण बस्तर के अंदरूनी नक्सल प्रभावित गांवों से हेल्थ टीम को ग्रामीण बेरंग लौटा देते थे। कोरोना के अफवाहों से डरे आदिवासियों का डर अब हेल्थ टीम धीरे धीरे कम करने में कामयाब हो रही है। इसीका नतीजा है कि अब अतिनक्सल प्रभावित छत्तीसगड़- तेलांगाना इंटर स्टेट कॉरिडोर पामेड़ में स्वास्थ्य विभाग ने कैम्प लगाया।

दुर्गम और जंगली इलाके पामेड़, रासपल्ली, एर्रापल्ली में पहुंचकर कैम्प लगाना किसी चुनौती से कम नही है। नदी नाले और कीचड़भरे रास्तों से होकर टीम इन गांवों में स्वास्थ्य कैम्प लगाने पहुंची थी। खुद CMHO आर के सिंह, डॉ सुनील गौड़ अपनी टीम के साथ टीम में शामिल रहे हैं।

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डोंगिनुमा नाव में जान जोखिम में डालकर बीजापुर जिले का स्वास्थ्य अमला नक्सल प्रभावित पामेड़, एर्रापल्ली, रासपल्ली और धर्मारम पहुंचा। जहां गर्भवती महिलाओं बच्चों और ग्रामीणों कोविड टीकाकरण किया गया है। एक वक्त था जब ग्रामीणों कोविड टीकाकरण लगाने गांव पहुंची टीम को भगाते थे लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंचकर समझाइस दे रहे हैं जिसके बाद आदिवासी ग्रामीण टीकाकरण सहित अन्य इलाज के लिए तैयार हो रहे हैं।

उफ़नती चिंतावागु में डोंगिनुमा नाव से ईलाज कराने नजदीकी हॉस्पिटल लाते ग्रामीणों की नदी में डूब जाने से मौत होती थी। अभी भी वहां ऐसी स्तिथि बारिश के दिनों में होती है। नक्सल प्रभावित चुनौतीपूर्ण इलाको में ईलाज आसान नही होता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के उन डोंगिनुमा नाव से गाँव मे पहुंचने से ग्रामीणों का भरोसा अब लोगों में बढ़ेगा।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
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