जगदलपुर। बस्तर जिले के मावलीभाटा में रहने वाले एक आदिवासी मजदूर की मौत बीते रविवार को तमिलनाडू में हो गई। मजदूर की मौत के बाद उसकी लाश को वापस लाने के लिए एंबुलेंस का किराया 70 हजार रूपये लग रहा था। मजदूर के परिजनों के पास इतने पैसे नहीं थे, ऐसे में उन्होंने अपने खेत को गिरवी रखकर पैसों को जुगाड़ किया और मजदूर की मौत के पांच दिनों बाद शुक्रवार को उसका शव मावलीभाटा लेकर पहुंचे। मजूदर की मौत के बाद लाश को लाने के लिए खेत को गिरवी रखने की जानकारी जैसे ही बस्तर कलेक्टर रजत बंसल को मिली तो उन्होंने तत्काल मजदूर परिवार की आर्थिक सहायता के लिए प्रयास शुरू किये और रेडक्रास सोसयाटी से मजदूर परिवार को 70 हजार रूपये दिलवा दिये। यह राशि मजूदर के परिजनों को मिल गई है और अब वे अपना गिरवी रखा खेत छुड़वा रहे हैं।

रेडक्रास सोसायटी के उपाध्यक्ष अलेक जेंडर चरियन ने बताया कि मावली भाटा में रहने वाला सुकमन कवासी बोरगाड़ी में काम करने के लिए तमिलनाडू के नामक्कल गया हुआ था। वहां उसकी मौत हो गई उसकी मौत के बाद उसके शव को घर तक पहुंचाने के लिए परिजनों को ही जद्दोजहद करनी पड़ी और शव को यहां तक लाने के लिए परिजनों ने 70 हजार खर्च कर दिये। परिजनों ने पैसे अपना खेत गिरवी कर लाया था जिसे प्रशासन से आर्थिक मदद मिलने के बाद वापस परिजनों को दिलवाया जा रहा है। गौरतलब है कि बस्तर से भोले-भाले आदिवासियों को ज्यादा मजदूरी का लालच देकर दलाल तमिलनाडू, आंध्रा और ऐसे ही अन्य राज्यों में छोड़ आते हैं। इसके बाद हादसा होने की स्थिति में मजदूरों को कोई मदद नहीं मिल पाती। इससे पहले भी मजदूरों को बंधक बनाने जैसी कई घटनाएं हो चुकी हैं।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

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By दिनेश के.जी. (संपादक)

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