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इनसाइड स्टोरी: पांच दिन मौत के साये में बिताए, छठवें दिन रिहाई का फरमान, सातवें दिन जनअदालत में हुई रिहाई

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पेड़ के नीचे जमीन पर बीतती थी रात, सुबह दूसरे ठिकाने को कूच

मिलती रही रिहाई की तारीख पर तारीख, रिहाई के बाद सब इंजीनियर ने बताई आपबीती

पवन दुर्गम/ बीजापुर। दिव्यांग अजय लकरा 6 दिनों तक अपनी मौत के साये में नक्सलियों के कब्जे से रिहा हो गया। कुछ हिदायतों के साथ नक्सलियों ने लकरा को जनअदालत लगाकर पत्नी अर्पिता और मीडिया के लोगों को सौंपा। छह दिनों तक नक्सलियों के पास बंधक रहे सब इंजीनियर को हर रात कल सुबह छोड़ देंगे बोला जाता और सुबह होते ही ऊपर से मेसेज नहीं आया कहकर तारीख बढ़ा दी जाती। जब छठवें दिन ऊपर से रिहा करने का फरमान आ गया तब सब इंजीनियर को राहत और सुकून देने वाली खबर सुनाई गई और उन्हें सातवें दिन जन अदालत लगाकर रिहा कर दिया गया।

नक्सलियों के चंगुल से सकुशल वापस लौटे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के सब इंजीनियर अजय रौशन लकड़ा ने चर्चा करते हुए बताया कि नक्सली ठिकाना बदलते हुए उन्हें हर दिन एक गांव से दूसरे गांव ले जाते थे। उनके साथ हर वक्त 10 से 12 तीर धनुष वाले नक्सली हुआ करते थे। उन्हें जब एक गांव से दूसरे ले जाया जाता तो उन्हें उस गांव के कैडर को सौप दिया जाता था। रात होने पर उनकी निगरानी में तैनात नक्सली उन्हें हर दिन दिलासा देते की तुन्हें कल छोड़ दिया जाएगा। लेकिन सुबह होते ही ऊपर मेसेज भेजने की बात कहकर तारीख आगे बढ़ा दी जाती। ऐसे करते पांच दिन बीत गए और जब छठवें दिन सब इंजीनियर को छोड़ने का फरमान आ गया तब सातवें दिन यानी बुधवार को बीजापुर के जंगलों में नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर स्थानीय मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में उनकी पत्नी अर्पिता को उन्हें सौप दिया गया। सब इंजीनियर लकड़ा ने बताया कि इस बीच छह दिनों में नक्सली किसी भी तरह का उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाए।

  • डंडा बना सहारा

शारीरिक रूप से दिव्यांग सब इंजीनियर अजय रौशन लकड़ा को जब नक्सली अपने कब्जे रखकर जंगल जंगल घुमा रहे थे। तब ऐसे में उनके लिए डंडा सहारा बना और उसी डंडे को लेकर वे छह दिनों तक एक गांव से दूसरे गांव चला करते थे। सातवें दिन जब वह छूटकर आये तब भी उन्होंने डंडा लिया हुआ था।

अजय बाफना की शक में अजय लकरा को उठाया- गोरना- मनकेलि में बन रही सड़क के ठेकेदार का नाम अजय बाफना है। इंजीनियर का में अजय लकरा है। दोनो नामो में अजय के नाम को लेकर नक्सलियों अपहरण को अंजाम दिया था। अपहरण के बाद अपनी जेब मे रखी इंजीनियर की पहचान पत्र और विभागीय जानकारी मिलने के बाद नक्सलियों ने अजय लकरा को कोई नुकसान नही पहुंचाया।

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