जगदलपुर। आदिवासियों का उनके खान-पान तथा जीवन शैली का दातों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के एक शोधार्थी ने बस्तर के 409 आदिवासियों पर अध्ययन के उपरांत उक्त निष्कर्ष निकाला है। शोधार्थी के अध्ययन में महिला और पुरुषों के साथ-साथ गैर आदिवासियों को भी शामिल किया गया था।विश्वविद्यालय मेंं शोधार्थी के. रवि कुमार द्वारा मौखिकी परीक्षा में बताया गया कि किस प्रकार आदिवासियों की विविधता पूर्ण जीवन शैली का उनके दांतो पर प्रभाव पड़ता है। आदिवासियों की सांस्कृतिक विविधता, खानपान, पोषण व रहन-सहन का दांतो की संरचना एवं बनावट पर पड़ने वाले प्रभाव पर शोध करने वाले शोधार्थी को शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की जाएगी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित थे।

बकावंड विकासखंड के जिन गांवों के निवासियों का अध्ययन किया गया है, उनके नाम हैं छोटे देवड़ा, ढोढरेपाल, झारउमरगांव, सरगीपाल, मसगांव, भेजरीपदर, दसापाल व राजनगर। उन्होंने अपने अध्ययन में यह भी पाया है कि गैर आदिवासियों की तुलना में आदिवासियों के जबड़े आकार में बड़े होते है। आदिवासियों के दांतो की बनावट, जबड़े का आकार आदि पर जापान एवं अमेरिका की पुस्तकों को भी संदर्भ ग्रंथ के रूप में अध्ययन पूरा करने के लिए उनका सहारा लिया गया है।

बाह्य परीक्षक डॉ. प्रशांत कुमार पात्रा ने कई सवाल पूछे, जिसका शोधार्थी द्वारा उत्तर दिया गया। कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव ने इस अनूठे रिसर्च पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने मानव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर स्वपन कुमार कोले की भी सराहना की। इस दौरान डॉ. शरद नेमा, डॉ. विनोद कुमार सोनी, डॉ. सुकृति तिर्की, डॉ. आनंद मूर्ति मिश्रा, सहायक कुलसचिव श्री देव चरण गावड़े, डॉ. रामचंद्र साहू, शोभाराम नाग, केशव तिवारी एवं छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

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By दिनेश के.जी. (संपादक)

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