आवासीय परिसर में सो रही थी छात्राएं, आधी रात तकरीबन एक बजे लगी आग, स्टाफ और ग्रामीणों ने किया बचाव कार्य
बीजापुर। जिले के चिंताकोंटा बालिका आवासीय पोटाकेबिन में आधी रात को आग लग गयी। आग इतनी भीषण थी कि घंटो की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। स्टाफ एवं स्थानीय लोगों द्वारा बचाव कार्य करते हुए लगभग 300 छात्राओं को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया। जहां दुर्भाग्यवश एक मासूम की आग में झुलसने से मौत हो गयी। घटना के बाद उक्त स्थान पर बच्ची के अवशेष मात्र मिले हैं। बहरहाल आगजनी के कारण का पता नहीं चल पाया है।
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ज्ञात हो कि आवापल्ली थानाक्षेत्र के चिंताकोंटा आवासीय गर्ल्स पोटाकेबिन में बच्चे सोये हुए थे। देर रात को अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग की लपटें फैलती गई। इसकी भनक लगते ही आवासीय परिसर के कर्मचारी जाग गए और छात्राओं को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। आगजनी की घटना को देखकर ग्रामीण भी पहुंच गए। इस दौरान सभी छात्राओं को सुरक्षित बाहर तो निकाल लिया गया, लेकिन चार साल की एक मासूम लिपाक्षी उइके यहां ज़िंदा जल गई। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस की टीम व दमकल की गाड़ियां भी यहां पहुंची। काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
जिस बच्ची की मौत हुई है वह पोटाकेबिन की छात्रा नहीं थी। दरअसल इस पोटाकेबिन में पढ़ने वाली एक छात्रा छुट्टी में अपने गाँव तिम्मापुर गई हुई थी, उसी के साथ ‘लिपाक्षी’ भी आई थी और कुछ दिन से पोटाकेबिन में रह रही थी। बच्ची के परिजन उसे लेने के लिए आये हुए थे लेकिन बच्ची ने जाने से मना कर दिया था।
बीजापुर पुलिस ने बताया कि आगजनी की घटना में एक बच्ची की ज़िंदा जलने से मौत हो, बाकी बच्चे सुरक्षित हैं। घटना के संबंध में मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। फॉरेंसिक टीम को भी सूचित कर दिया गया है। जांच के बाद ही इसके कारणों का पता चल पायेगा। बहरहाल आग की घटना की वजह सामने नहीं आ सकी है लेकिन प्रथम दृष्टया आग की वजह शार्ट सर्किट बताई जा रही है।
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बताते चलें कि उक्त पोटाकेबिन का निर्माण बांस की संरचना (बाम्बू स्ट्रक्चर) के रूप में बना हुआ था। ऐसे सैकड़ों पोटाकेबिन और भी हैं जो जिले में संचालित हो रहे हैं। लाखों की लागत से बनने के बीद भी यहां सुरक्षा मानकों को दरकिनार किया गया है। प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती तस्वीर आपको सचेत भी करती है कि निकट भविष्य में ऐसी गंभीर लापरवाहियों की पुनरावृति न हो।