न्यूरोसर्जन डॉ. पवन बृज ने पेश की मिसाल : जॉइनिंग लेते ही सप्ताह भर में बचाई 06 जानें, कहा – गरीब तपके के लोगों की सेवा के लिए बस्तर में ही देना चाहता हूँ सेवा

हेड इंजरी सहित न्यूूरो संबंधी गंभीर मामलों का अब बस्तर में ही हो सकेगा इलाज

जगदलपुर। मेकॉज में नवपदस्थ न्यूरोसर्जन डॉ. पवन बृज ने महज सप्ताह भर में बड़ी मिसाल पेश की है। जहां मरणासन्न में पड़े मरीजों की उन्होंने न्यूरोसर्जरी की है। डॉ. पवन के आने के बाद मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में गंभीर रूप से घायल मरीजों के साथ ही दिमाग मे होने वाले इन्फेक्शन आदि का इलाज अब मेकाज में आसानी से हो पायेगा। सुकमा जिले के बारसेरास में पले बढ़े डॉ. पवन बृज ने रायपुर की नौकरी छोड़कर बस्तर के मेकॉज को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए चुना और यहाँ के लोगों की परेशानियों को देखते हुए बस्तर में अपनी सेवा दे रहे हैं।

ज्ञात हो कि शहीद महेंद्र कर्मा चिकित्सालय सह बलिराम कश्यप मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में न्यूरोसर्जन की लगातार कमी चल रही थी। यहाँ पर कोई भी न्यूरोसर्जन आना नहीं चाह रहे थे। ऐसे में बस्तर में लगातार होने वाले सड़क हादसे से लेकर दिमाग मे जमने वाले खून के थक्के को निकालने के लिए रायपुर या फिर विशाखापट्टनम जाना पड़ता था। ऐसे में कुछ दिनों पहले यहाँ पर बतौर न्यूरोसर्जन डॉक्टर पवन ब्रिज की नियुक्ति की गई। उनके आने के बाद से ही उन्होंने एक सप्ताह में छह न्यूरोसर्जरी करके मरणासन्न मरीजों को जीवनदान दिया है। जिसमें से तीन रोगी डिस्चार्ज होकर अपने घर भी जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से कई लोग सड़क हादसे में घायल होने के बाद से उन्हें मस्तिष्क में गंभीर चोट आने की बात भी सामने आई, मस्तिष्क में खून का थक्का भी जमा हो गया था और वे लोग बेहोशी की हालत में भी आये थे, ऐसे में डॉक्टर पवन बृज के द्वारा ऑपरेशन के बाद गंभीर रूप से घायल मरीज के इलाज के बाद उन्हें नया जीवनदान मिला है़। एक और मामले में एक रोगी को बीपी के कारण मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया था, जिसका आपरेशन हो तो गया है, लेकिन अभी भी उसकी स्थिति गंभीर ही बनी हुई है। अब तक लगभग 70 मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया गया है एवं वर्तमान में मस्तिस्क और स्नायु संबंधी मरीजों का प्रतिदिन ओपीडी में ईलाज किया जा रहा है। अब मेडिकल कॉलेज में सिर में चोट, रीढ़ की हड्डी का चोट, लकवा, कमर दर्द (सायटिका/स्लिप डिस्क), मिर्गी के दौरे, हाथ पैर में सुन्नपन, बच्चों के सिर का असामान्य रूप से बढ़ना, दिमाग की नस का फटना, ब्रेन स्ट्रोक आदि बीमारियों का इलाज मेकॉज में संभव हो रहा है।

डॉ. पवन बृज, न्यूरोसर्जन

न्यूरोसर्जन डॉ. पवन बृज ने बताया कि वे सुकमा जिले के बारसेरास में उनका जन्म हुआ। उन्होंने अपनी प्रायमरी की पढ़ाई भी वहीं गाँव से करने के बाद आगे की पढ़ाई दंतेवाड़ा के बालूद स्थित आदर्श विद्यालय से की। शुरू से लोगों की सेवा और बस्तर में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए डॉक्टर बनने की सोची। जहाँ एमबीबीएस की पढ़ाई रायपुर के पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से की। वहीं मास्टर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई उन्होंने असम के डिब्रूगढ़ से की। इस कोर्स को करने के बाद एमसीएच (सुपर स्पेशलिस्ट न्यूरोसर्जन) रायपुर के डीकेएस पीजीआई से की। डॉक्टर पवन बृज का कहना है कि वे बस्तर में मरीजों की स्थिति को देखते हुए रायपुर डीकेएस हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ बस्तर में सेवा दे रहे है। इसके अलावा वे हमेशा से बस्तर में ही जॉब करना चाह रहे थे, जिसके कि बस्तर के गरीब तपके के लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा दे सकें।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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Dinesh KG
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