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सीजीटाइम्स।
दंतेवाड़ा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जीका वायरस एडीज मच्छरों के काटने से होने वाली वायरल बीमारी से बचाव हेतु अपील करने हेतु नियंत्रण के उपाय की जानकारी दी गयी है। नियंत्रण संबंधी जानकारी में अवगत कराया गया है कि जीका वायरस एक आरएनएस वायरस है,जो फ्लावी वरडाई प्रजाति की है। डेंगू,चिकनगुनिया,पित्त ज्वर,जापानी इन्सेफिलाईटिस आदि बीमारी भी इसी समूह के वायरस द्वारा होती है।
यह बीमारी एडीज एजिप्टी मच्छर के द्वारा फैलती है, वर्तमान में ब्राजील सहित अमेरिक और अफ्रीकी देश इससे प्रभावित हैं। जीका वायरस से होने वाली बीमारी के लक्षण तेज बुखार,बदन दर्द,बेचैनी,आंखे लाल होना त्वचा पर लाल चकते होना,जोड़ों में दर्द सहित मांसपेशियों में दर्द के साथ सिर दर्द होता है। बीमारी का फैलाव जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर काटने के पश्चात वायरस तंत्रिका कोशिका को प्रभावित करती है और ग्रंथी एवं रक्त वाहिनी के माध्यम से अन्य अंगों में होता है। जीका वायरस संक्रमण से होने वाली बीमारी के लक्षण सामान्यतःएक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
इस वायरस के संक्रमण का माध्यम जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने के कारण और यौन संक्रमण से होता है। प्रदेश में इसकी जांच सुविधा केवल एम्स रायपुर में उपलब्ध है। इस वायरस से होने वाली बीमारी का उपचार हेतु कोर्स विशेष दवा या वैक्सीन नहीं है, केवल लक्षण आधारित उपचार किया जाता है। इसके अतंर्गत शरीर में पानी की समुचित मात्रा बनाये रखने हेतु ओआरएस घोल तथा बुखार के लिए पेरासिटामोल की गोली दी जा सकती है। बचाव के लिए जीका प्रभावित देशों की यात्रा नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिला को प्रथम तिमाही जीका प्रभावित देशों में कतई प्रवास नहीं करना चाहिए।
एडीज मच्छरों की रोकथाम हेतु पानी जमा होने वाले स्त्रोतों का नियंत्रण जरूरी है। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग तथा चिकित्सक की सलाह पर दवाई का उपयोग करना चाहिए। मधुमेह,रक्तचाप अथवा अन्य बीमारी से पीडि़तों तथा गर्भवती माताओं को अनिवार्य रूप से तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। घरों के आस-पास एडीज मच्छर के लार्वा नियंत्रण के लिए एहतियात बरतना जरूरी है।