आपदा प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण के लिए तैयारियों की हुई समीक्षा, आपदा नियंत्रण के लिए मुस्तैद रहेेगा अमला

सीजीटाइम्स। 04 जून 2019

जगदलपुर। कलेक्टर डाॅ. अय्याज तम्बोली ने मानमून के दौरान आनेे वाले बाढ़ से होने वाली जन-धन की क्षति को नियंत्रित करने और त्वरित गति से राहत पहुंचाने के निर्देश दिए। 4 जून मंगलवार को कलेक्टोरेट में आयोजित बैठक में बाढ़ नियंत्रण तथा बचाव और राहत कार्य हेतु कार्ययोजना तैयार की गयी। जिले के जगदलपुर तहसील में इन्द्रावती नदी तथा बस्तर तहसील में मारकण्डी और नारंगी में अतिवर्षा की स्थिति उत्पन्न होने पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। इसे देखते हुए बाढ़ से प्रभावित होने वाले ग्रामों का चिन्हांकन कर लिया गया है। इन्द्रावती नदी का चेतावनी स्तर 7 मीटर और 8.30 मीटर होने पर खतरे की स्थिति उत्पन्न होती है तथा इन्द्रावती नदी में बाढ़ आने पर बकावंड विकासखंड के ग्राम तारापुर, बनियागांव, बेलगांव, उलनार, कोहकापाल, मालगांव और टलनार प्रभावित होते हैं। विकासखंड जगदलपुर में ग्राम धनपूंजी, नगरनार, भेजापदर, नदीबोड़ना, नगरनार का मोहल्ला उपनपाल और जगदलपुर शहर प्रभावित होते हैं। विकासखंड लोहंडीगुड़ा में टाकरागुड़ा, बड़ांजी, कुम्हली, बड़े धाराउर, चित्रकोट, चन्देला और ककनार ग्राम प्रभावित होते हैं। नारंगी नदी में बाढ़ आने पर विकासखंड बस्तर के ग्राम पालाबहार, बड़े आमाबाल, कोहका सिवनी, मुण्डागांव, भैंसगांव, मधोता, बाकेल और राजपुर प्रभावित होते हैं। मारकण्डी नदी में बाढ़ से किसी भी ग्राम की आबादी प्रभावित नहीं होती, किन्तु इससे आवागमन कुछ समय के लिए अवरूद्ध हो जाता है। इसे देखते हुए बाढ़ नियंत्रण और बचाव, राहत की कार्ययोजना बनायी गयी है।

बाढ़ नियंत्रण और आपदा प्रबंधन हेतु नियंत्रण कक्ष स्थापित

बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर स्थित कलेक्टोरेट में जिलास्तर पर बाढ़ आपदा प्रबंधन येाजना के क्रियान्वयन और नियंत्रण हेतु नए कम्पोजिट भवन के कक्ष क्रमांक-8 में नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है, जिसका दूरभाष क्रमांक 07782-223122 है। इसके साथ ही दूरभाष क्रमांक- 07782-222033, 07782-222044 और 07782-222304 में भी बाढ़ संबंधी जानकारी जनता को उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक तहसील और ब्लाक मुख्यालय में भी इसी प्रकार नियंत्रण कक्ष की स्थापना करते हुए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने तथा इसकी जानकारी बाढ़ नियंत्रण शाखा को तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं। जिला कार्यालय के साथ ही तहसील कार्यालयों में स्थापित सभी बाढ़ नियंत्रण कक्षों में सप्ताह के पूरे सात दिन चैबीसों घंटे के लिए अधिकारियों, कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये गये। ये नियंत्रण कक्ष 10 जून से 30 सितम्बर 2019 तक या वर्षा समाप्ति तक 24 घंटे खुले रहेंगे, जो स्थानीय स्तर से शासन स्तर तक समस्त सूचनाओं के आदान-प्रदान में अपनी भूमिका निभायेंगे।

बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिए जिला स्तरीय बाढ़ नियंत्रण समिति गठित

बस्तर जिले में बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिए जिला स्तर पर बाढ़ नियंत्रण समिति का गठन किया गया है। कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित इस समिति में 20 सदस्य हैं। जिनमें पुलिस अधीक्षक बस्तर, सीईओ जिला पंचायत, वन मण्डलाधिकारी, जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता, पंचायत, समाज सेवा के उप संचालक, संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, खाद्य नियंत्रक, जिला शहरी विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी, जगदलपुर नगर निगम के आयुक्त, लोक निर्माण विभाग जगदलपुर के कार्यपालन अभियंता, लोक स्वास्थ्य यंात्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता, नगर दण्डाधिकारी, नगर सेना के जिला सेनानी, रोटरी क्लब के अध्यक्ष, लायन्स क्लब जगदलपुर, चेम्बर आॅफ काॅमर्स के अध्यक्ष इसके सदस्य हैं। वहीं राजस्व शाखा कलेक्टोरेट के प्रभारी अधिकारी बाढ़ नियंत्रण समिति के सचिव हैं। जिला अध्यक्ष द्वारा जनप्रतिनिधियेां के साथ बैठक कर बाढ़ आपदा राहत से निपटने की जानकारी देने के साथ उनसे सुझाव प्राप्त किया जाएगा। इसी तरह अनुविभाग स्तर पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, आपदा प्रबंधन समिति का गठन करेंगे।
बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर प्रभावित परिवार को पहुंचाने के लिए जिला कार्यालय में दो ट्रक हमेशा तैयार रखने के साथ ही वाहन चालकों के मोबाईल नम्बर आदि की जानकारी रखने को कहा गया। बाढ़ नियंत्रण कार्य में मिट्टीतेल और डीजल के लिए कोई समस्या उत्पन्न न हो इस हेतु खाद्य नियंत्रक जगदलपुर को मिट्टीतेल और डीजल का पर्याप्त भण्डारण सुरक्षित रखने हेतु निर्देशित किया गया है। बाढ़ के समय ’’फूड-पैकेेट’’ उपलब्ध कराने हेतु ’’केटरर्स’’ को निर्देशित किया गया है। बैठक में सभी विभाग वर्षाकाल के समय अत्यधिक सचेत रहने को कहा गया। साथ ही कहीं से भी अथवा मैदानी अमले से बाढ़ और रास्ता बंद होने की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल बाढ़ नियंत्रण कक्ष को सूचित करने को कहा गया।

16 स्थानों पर बनेंगे अस्थायी शिविर

बाढ़ प्रभावित ग्रामों में प्रभावित व्यक्तियेां के लिए 16 स्थानों पर अस्थायी शिविर स्थापित किए जाएंगे। जिसमें बाढ़ प्रभावितों को अस्थायी रूप से रखा जाएगा। स्थापित होने वाले प्रत्येक अस्थायी शिविर के लिए एक प्रभारी अधिकारी अभी से नामजद कर दिया गया है। धनपूंजी और भेजापदर में बाढ़ की स्थिति मेें धनपूंजी के प्राथमिक शाला भवन में स्थापित होने वाले अस्थायी शिविर में लोगों को रखा जाएगा तथा इसके लिए जगदलपुर के वनमण्डलाधिकारी को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। नगरनार और उपनपाल क्षेत्र के लोगों को रखने के लिए नगरनार स्थित प्राथमिक शाला भवन को चिन्हांकित कर कृषि विभाग के उप संचालक को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। जगदलपुर शहर के पुत्रीशाला में स्थापित होने वाले अस्थायी शिविर के लिए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री को, गोयल धर्मशाला में स्थापित होने वाले अस्थायी शिविर के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को, भगतसिंह स्कूल लालबाग जगदलपुर में स्थापित होने वाले अस्थायी शिविर के लिए सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को तथा उत्कल भवन के अस्थायी शिविर के लिए जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया है। बड़ांजी और कुम्हली में बाढ़ की स्थिति आने पर लोगों के लिए तराई भाटा प्राथमिक शाला भवन को अस्थायी शिविर के रूप में चिन्हांकित कर सेतु निर्माण के कार्यपालन अभियंता को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। टाकरागुड़ा में बाढ़ आने पर प्राथमिक शाला भवन टाकरागुड़ा को चिन्हांकित कर जिला योजना अधिकारी को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। भैंसगांव में बाढ़ आने की स्थिति में लोगों के अस्थायी तौर पर रहने के लिए माध्यमिक शाला भवन भैंसगांव चिन्हांकित कर उद्यान विभाग के सहायक संचालक को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। हिरलाभाटा और सिवनी क्षेत्र में बाढ़ आने की स्थिति पर पालाबहार प्राथमिक शाला भवन को अस्थायी शिविर के रूप में चिन्हांकित कर मत्स्य विभाग के उप संचालक को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। कोहकासिवनी में बाढ़ आने की स्थिति पर प्राथमिक शाला भवन मुण्डागांव को अस्थायी शिविर के रूप में चिन्हांकित कर जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। राजपुर में बाढ़ आने की स्थिति पर प्राथमिक शाला भवन राजपुर को अस्थायी शिविर के रूप में चिन्हांकित कर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के कार्यपालन यंत्री को, आसना एवं डोंगाघाट में बाढ़ की स्थिति आने पर प्राथमिक शाला भवन आसना को अस्थायी शिविर के रूप में चिन्हांकित कर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना जगदलपुर संभाग-2 के कार्यपालन अभियंता को, जगदलपुर के नयामुण्डा स्थित मंगल भवन के लिए एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के अधिकारी को, पनारापारा स्थित प्राथमिक शाला भवन के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी जगदलपुर को, पथरागुड़ा प्राथमिक शाला भवन के लिए वन मण्डलाधिकारी (सामान्य) को और प्राथमिक शाला भवन छेपरागुड़ा के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी जगदलपुर को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। प्रभारी अधिकारियों के सहयोग हेतु खाद्य, चिकित्सा, स्वास्थ्य, विद्युत, वन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एक-एक कर्मचारी को भी अनिवार्य रूप से लगाने के निर्देश दिये गये हैं। अस्थायी शिविरों के लिए नियुक्त किए गए प्रभारी अधिकारियों को 15 जून के पूर्व प्रभावित स्थानों का भ्रमण कर 20 जून तक पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया है।

तैनात रहेगा बचाव दल

बाढ़ और अतिवर्षा से उत्पन्न स्थितियों को ध्यान में रखकर बाढ़ बचाव राहत दल की तैनाती सुनिश्चित की गयी है। कमाण्डेंट नगरसेना इसके प्रभारी अधिकारी बनाये गये हैं। उन्हें निर्देशित किया गया है कि 20 जून के पूर्व बाढ़ बचाव की तमाम सामग्रियों को सुधार करवा लें। यह भी निर्देशित किया गया है कि वे बाढ़ बचाव सामग्रियों की सूची तथा प्रशिक्षित जवानों की संख्या नाम सहित बाढ़ नियंत्रण कार्यालय को राजस्व शाखा में प्रस्तुत करेंगे, ताकि विषम स्थिति उत्पन्न होने पर दल को तत्काल राहत कार्य हेतु लगाया जा सके। विभाग के पास उपलब्ध नाव और नगरनिगम की नाव को भी चालू हालत में रखने के निर्देश दिए गए हैं।
वर्षा पूर्व नालियों की सफाई करा ली जाए
15 जून के पूर्व निगम क्षेत्र के समस्त नालियों की साफ-सफाई सुनिश्चित करवाने के निर्देश जगदलपुर के नगरनिगम आयुक्त दिये गये। साथ ही आसानी से नष्ट न होकर नालियों को चोक करने और शहर में जल भराव की स्थिति उत्पन्न करने वाले वस्तुओं की सफाई बेहतर ढंग से करने को कहा गया। इसी तरह ग्राम पंचायतों में भी तालाबों, नालों, पुल-पुलियों के निकासी मार्ग में जलप्रवाह को अवरूद्ध करने वाली पत्तियां और छोटी-छोटी झाड़ियों को भी साफ करने के निर्देश दिये गये और कहा गया कि जल प्रवाह नहीं होने की स्थिति में भी बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है।
स्वास्थ्य विभाग जीवन रक्षक दवाओं और खाद्यान्नों का किया जाएगा भण्डारण
वर्षा के दिनों में पहुंचविहीन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जीवन रक्षक दवाईयां, खाद्यान्न एवं अन्य सभी आवश्यक वस्तुएं सतत् रूप से उपलब्ध होती रहे, इसके लिए इनका भण्डारण पहुंचविहीन क्षेत्रों में अभी से सुनिश्चित किये जाने को कहा गया है। स्वास्थ्य विभाग को मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया है कि वे सभी स्वास्थ्य केन्द्रों और गांवों के पंचायतों, डिपो होल्डरों के पास तथा मितानिनों के पास दवाईयों का पर्याप्त मात्रा में भण्डारण सुनिश्चित रखें। इसके साथ ही अस्थायी शिविरों में भी जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने की व्यवस्था रखने और शिविरार्थियों का परीक्षण करने की भी व्यवस्था रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।
जलस्तर की निगरानी करेंगे जल संसाधन विभाग के अधिकारी
अतिवर्षा से उत्पन्न होने वाली स्थितियों को ध्यान में रखकर जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री को उड़ीसा में स्थित खातीगुड़ा बांध के परियोजना अधिकारी के सतत सम्पर्क में रहने और डेम से पानी छोड़े जाने के कम से कम 24 घंटे पूर्व जिला प्रशासन को इसकी सूचना देने को कहा गया। इसके साथ ही जलस्तर की निगरानी नियमित रूप से करने को भी कहा गया।

सभी तहसीलों में वर्षामापक यंत्र

बस्तर जिले के सभी तहसीलों में वर्षामापक यंत्र स्थापित हैं। सभी तहसीलदारों को इन वर्षामापक यंत्रों की जांच कर तत्काल प्रतिवेदन देने के साथ ही प्रतिदिन वर्षा की जानकारी वायरलेस संदेश के जरिए जिला कार्यालय को अनिवार्य रूप उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये।
आकस्मिक व्यवस्था हेतु सभी इंतजाम सुनिश्चित
बचाव सामग्रियों की व्यवस्था लोक निर्माण विभाग द्वारा और बचाव दल की व्यवस्था संबंधित थाना प्रभारियों के द्वारा की जाएगी। इसके अतिरिक्त जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अपने-अपने अनुविभाग में समाज सेवी संस्थाओं, व्यक्तियों और दानदाताओं की बैठक बुलाकर बाढ़ से उत्पन्न होने वाली स्थिति और उससे निपटने के उपाय के संबंध में पूर्व से ही चर्चा करेंगे तथा अनुभाग स्तर पर बाढ़ आपदा राहत समिति गठित करते हुए 15 दिनों के भीतर जिला कार्यालय को भी इसकी सूचना देंगे।
बाढ़ के पश्चात महामारी से निपटने की जाएगी आवश्यक व्यवस्था
बाढ़ खत्म होने के बाद महामारी फैलने की अत्यधिक संभावनाओं को देखते हुए इस पर तत्काल नियंत्रण की कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा गया। जल प्रदूषण को रोकने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जलस्रोतों का शुद्धिकरण और ’’क्लोरीनेशन’’ करने के साथ क्लोरीन टेबलेट भी जरूरतमंदों को प्रदान करने को कहा गया। इसके लिए पंचायतों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बिगड़े हैंडपंपों को भी सफाई कर सुधारे जाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया है कि वे प्रभावित क्षेत्रों में डीडीटी और कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव करेंगे और सभी प्रभावित परिवार और व्यक्तियों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा बीमार और घायल पशुओं का उपचार और टीकाकरण किया जाएगा। संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा को कहा गया है कि वे भू-जन्य और सामान्य रोगों के उपचार हेतु पर्याप्त औषधियों का भण्डारण रखें। वन विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करें। वन विभाग को आवश्यकतानुसार बाढ़ के समय और बाढ़ के पश्चात इंधन के लिए लकड़ी और अस्थायी शिविर जहां बांस-बल्ली की आवश्यकता होगी, उसकी आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है। बैठक में अपर कलेक्टर श्री जगदीश सोनकर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रभात मलिक, सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

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