मामला वानखेड़े परिवार के मकान पर हुए बेदखली आदेश का, दो जिम्मेदार अधिकारियों ने जांच के बाद ही दिया है ऐसा आदेश, भाजपा पार्षदों की राजनैतिक और सामाजिक छवि पर वार नहीं करेंगे बर्दास्त – नेता प्रतिपक्ष

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शहर के सांसद और विधायक को निभानी होनी अपनी जिम्मेदारी – नेता प्रतिपक्ष
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गर आरोप सिद्ध हुआ तो भाजपा से दे दूंगा इस्तीफा, मानहानि के दस्तावेज़ अधिवक्ता पास पहुंचे – राणा
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वानखेड़े परिवार ने 40 वर्ष से निवासरत होने की बात कही थी, जो की गलत है, सभी आरोप गलत – गौर
सीजीटाइम्स। 27 अगस्त 2019
जगदलपुर। वानखेड़े परिवार द्वारा लोकमान्य तिलक वार्ड और गुरुगोविंद सिंह वार्ड के द्वयपार्षदों के मध्य चल रहे अस्तित्व की लड़ाई में उक्त पार्षदों के पक्ष में अब निगम का भाजपा पार्षद मंडल आ गया है, मामले में निगम के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय पांडे सहित आधा दर्जन पार्षदगण और आदिवासी समाज के लोगों ने पत्रकार वार्ता ली. एक ओर जहाँ ये पार्षद मंडल, अपने लोगों पर लगे आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर रहा है, वहीँ दूसरी ओर मंगलवार की दोपहर वानखेड़े परिवार के पक्ष में सर्व समाज के दर्जनभर से अधिक लोगों ने हस्ताक्षरयुक्त शिकायत पत्र स्थानीय विधायक और कलेक्टर को दिया है. इधर राणा ने एसपी और कलेक्टर को अपने व अपने परिवार की सुरक्षा व शहर में धार्मिक उन्माद फैलाने व शांति भंग करने का शिकायत पत्र प्रेषित किया है.प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे ने बताया कि उक्त भूमि पर तक़रीबन डेढ़ वर्ष पूर्व वानखेड़े परिवार द्वारा बाउंड्री निर्माण करवाया गया था, जिसके बाद घर बना लिया गया और पार्षद से एनओसी लेकर नल, बिजली कनेक्शन लिया गया था. इस बीच आदिवासी वार्डवासियों ने उक्त भूमि को मरघट भूमि करार देते हुए विरोध प्रदर्शन किया और एसडीएम तथा तहसीलदार ने इसे सहीं पाते हुए बेदखली का आदेश हुआ. इस बात से बौखला कर वानखेड़े परिवार प्रशासनिक आदेश होने के बाद भाजपा के दो पार्षदों के ऊपर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं, जो की कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उनके द्वारा लगाये गए सभी आरोप निराधार व बेबुनियाद हैं.श्री पांडे ने बताया कि उक्त मामला पुर्णतः राजस्व विभाग का है और प्रशासन के दो बड़े जिम्मेदार अधिकारियों ने जांच के बाद ही बेदखली का आदेश दिया है. यह बहुत हास्यास्पद है की शहर के जनप्रतिनिधि जिनके ऊपर इस प्रकार के कृत्य को ठीक करने की जिम्मेदारी है ऐसे लोग मूकदर्शक बनकर दो छोटे जनप्रतिनिधियों का मखौल उड़ता देख रहे हैं, जो की बेहद संवेदनशील और गंभीर है. नगर के विधायक और सांसद की जिम्मेदारी है की ऐसे कृत्यों में न्याय प्रक्रिया के तहत कार्यवाई करनी चाहिए और शहर की शांति व्यवस्था को बरकार और धार्मिक उन्माद जैसी स्थिति को रोकने में सहभागिता देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शहर के कुछ लोग शहर की शांति व्यवस्था को हमेशा ख़राब करने में लगे रहते हैं, ऐसा लगता है की इस मामले की कड़ी में नाना प्रकार के आयोजन हो रहे हैं, सीधी सी बात है की कानून अपना काम कर रहा था, पार्षद अपनी जिम्मेदारियों का वहन कर रहे थे, प्रशासनिक अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का वहन कर रहे थे… इस बीच में कई समाज इसमें आ गए हैं, एक समाज से तो मैं भी ताल्लुक रखता हूँ, ऐसा नहीं लगता की सर्व समाज की बैठक कब हो गयी और कब निर्णय ले लिया गया. ऐसे लोगों की मंशा जानने की आवश्यकता है.उन्होंने बताया कि 21वीं सदी में भाजपा की केंद्र सरकार ने सबको घर का जो निर्णय लिया है उसे बरक़रार रखते हुए न्यायोचित निर्णय लेते हुए समाज की उक्त मरघट की भूमि को देते हुए वानखेड़े परिवार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. भाजपा के पार्षद के माध्यम से दोनों वार्ड की जनता पार्षदों के साथ है, और दोनों वार्ड की जनता को मरघट जमीन की आवश्यकता है, इसलिए जनांदोलन खड़ा करना बेहतर होगा. जब समय आएगा तो भाजपा का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पार्षदों की सामाजिक और राजनैतिक छवि धूमिल करने की कुछ लोगों की कोशिश को कभी पूरा होने नहीं दिया जायेगा.पत्रकार वार्ता में बैठे पार्षद संग्राम सिंह राणा ने कहा कि उनके ऊपर जो भी आरोप लगाया गया है वह बेबुनियाद है और उनके और परिवार की सुरक्षा हेतु जिला पुलिस अधीक्षक को शिकायत प्रेषित किया जा चुका है. साथ ही कलेक्टर को भी एक पत्र दिया गया है जिसमें शहर की शांति व्यवस्था को पूर्ववत करने और धार्मिक उन्माद को रोकने की बात कही गयी है. राणा ने कहा कि अगर वानखेड़े परिवार द्वारा लगाये गए आरोप सिद्ध होते हैं तो वे भाजपा से अपना इस्तीफा देने को तैयार हैं. वहीँ मानहानि के समस्त दस्तावेज़ अधिवक्ता के पास दिए जा चुके हैं.इसे भी पढ़ें: बड़ी ख़बर: सरपंच करेंगे सचिव की सीईओ से शिकायत, इधर ग्रामीणों का एक और खुलासाइस दौरान पार्षद संतोष गौर ने कहा कि उनके ऊपर 50 हज़ार लिए जाने का जो आरोप लगाया जा रहा है वह झूठा है, अगर कोई सबूत है तो वानखेड़े परिवार सार्वजानिक करे. मौके पर एसडीएम व तहसीलदार स्वयं जांच हेतु पहुंचे थे और वानखेड़े परिवार का कहना था की वे 40 वर्षों से यहाँ निवासरत हैं, जो की गलत है.