जगदलपुर। शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में 118 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इनमें 91 लंबित प्रकरण और 17 प्री-लिटिगेषन प्रकरण शामिल हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रभारी एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री बलराम कुमार देवांगन ने बताया कि आज आयोजित ‘‘नेशनल लोक अदालत’’ के लिए बस्तर जिले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशगण की कुल 07 खण्डपीठ, परिवार न्यायालय की 01 खण्डपीठ, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवा) की 01 खण्डपीठ एवं श्रम न्यायालय की 01 खण्डपीठ सहित कुल 10 खण्डपीठों में सुनवाई की गई और पक्षकारों के मध्य सुलह-समझौतों के माध्यम से प्रकरणों का निराकरण किया गया।
जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती सुमन एक्का के मार्गदर्शन में आयोजित इस नेशनल लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा से संबंधित 89 प्रकरणों में से 17 प्रकरणों में अंतिम निराकरण करते हुए मोटर दुर्घटना से पीड़ित व्यक्तियों को कुल 63,43,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति दिये जाने का आदेश दिया गया । जिला न्यायालयों द्वारा 261 आपराधिक प्रकरणों में से 30 प्रकरण, व्यवहार वाद के 35 प्रकरणों में से 03 प्रकरण जिसमें 5,70,000/- डिक्री प्रदान की गई, धारा 138 नि0ई0एक्ट के 396 प्रकरणों में से 32 प्रकरण, परिवार न्यायालय जगदलपुर द्वारा 32 प्रकरणों में से 03 प्रकरणों जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित 05 प्रकरणों में से 01 प्रकरण एवं श्रम न्यायालय के 32 प्रकरणों में से 05 प्रकरणों का निराकरण किया गया । नेशनल लोक अदालत में कुल 850 लंबित प्रकरणों को चिन्हांकित कर रखा गया था, जिसमें से कुल 91 लंबित मामलों का निराकरण आपसी सुलह समझौता के आधार पर किया गया ।
इसी प्रकार सभी प्रमुख बैंकों, बीएसएनएल विभाग, नगरनिगम (जल प्रदाय शाखा) एवं विद्युत विभाग द्वारा रखे गये कुल 2648 प्रकरणों में से बैंकों के 17 प्रकरण में कुल रूपये 15,95,450/- के समझौता राशि के आधार पर प्रस्तुत प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का अंतिम निराकरण किया गया ।
‘‘सबको शीघ्र और सस्ता न्याय, जिसमें न किसी की जीत और न किसी की हार’’
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रभारी एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री बलराम कुमार देवांगन ने यह भी बताया कि आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में कई लोगों को आपसी सुलह समझाईस से राजीनामा किए जाने के कारण उन्हें न्यायालयीन प्रकरणों में राहत मिली।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर के न्यायालय में
1. छ.ग.राज्य विरूद्ध कार्मिक मल्ले के प्रकरण में:- आटो में सवारी बैठाने को लेकर हुये विवाद में दोनों पक्ष का नेशनल लोक अदालत में सुलह –
उक्त प्रकरण आज से 03 माह पूर्व गुरू गोविन्द सिंह चैक आटो स्टेण्ड के पास सवारी बैठाने को लेकर दो आटो चालकों में हुये विवाद में एक आटो चालक द्वारा दूसरे आटो चालक को गाली गलौच करते हुए मारपीट किया गया था, जिस पर दोनों पक्ष़्ाों को श्री बलराम कुमार देवांगन, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा आपसी समझाईस देते हुए लोक अदालत में राजीनामा कर विवाद को समाप्त करने हेतु प्रेरित करने पर दोनों पक्षों द्वारा नेशनल लोक अदालत में उपस्थित होकर पीठासीन अधिकारी के समक्ष न्यायालय में परस्पर राजीनामा कर अपने विवाद को समाप्त किया गया, जिससे दोनों पक्ष के आटो चालकों के मध्य खुशी देखने को मिली।
2. छ.ग.राज्य विरूद्ध सामनाथ बघेल के प्रकरण में:- शराब लेने की बात को लेकर मारपीट किये जाने के मामला में सुलह –
फरसागुड़ा भानपुरी निवासी आरोपी सामनाथ आज से 02 वर्ष पूर्व प्रार्थिया बुदाय कश्यप के घर शराब मांगने पहूंच गया, जिस पर प्रार्थिया शराब नहीं है बोली तो आरोपी सामनाथ नाराज हो गया । उसी समय प्रार्थिया बुदाय का पति लुदू आया जिसने आरोपी सामनाथ को उसकी अनुपस्थिति में शराब लेने आये हो मात्र बोलने पर उसे मां बहन की अश्लील गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी देकर घर के पास रखे बांस के डण्डे से लुदू कश्यप को मार दिया । आज नेशनल लोक अदालत में प्रार्थिया और उसके पति लुदू और आरोपी सामनाथ उपस्थित हुये जिस पर पीठासीन अधिकारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री बलराम कुमार देवांगन ने दोनों पक्ष को समझाया जिस पर दोनों पक्ष भविष्य में कोई विवाद नहीं करने का वचन देते हुये लोक अदालत में राजी खुशी से राजीना किये और दोनों पक्ष साथ-साथ घर गये ।
3. छ.ग.राज्य विरूद्ध कामता प्रसाद के प्रकरण में:- सगाई में भोजन कम पड़ जाने पर न बताने की बात को लेकर पति द्वारा अपनी पत्नि से मारपीट किये जाने पर लोक अदालत में दोनों के बीच सुलह करवाया गया ।
खसपारा दुबे उमरगांव भानपुरी निवासी प्रार्थिया तृप्ति के परिवार में उसकी लड़की की सगाई कार्यक्रम हो रहा था जहां सगाई में भोजन खतम हो गया था, तब उसके अनावेदक पति कामता प्रसाद ने प्रार्थिया को इस बात को क्यों नहीं बताये कहकर परिवार वालों के सामने अपनी प्रार्थिया पत्नि से मारपीट किया और दोनों के बीच मामला थाना तक पहूंच गया, जहां दोनों में कोई सुलह नहीं हुआ और मामला अदालत में पहूंचा । उक्त मामला को नेशनल लोक अदालत में रखकर पीठासीन अधिकारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री बलराम कुमार देवांगन ने दोनों पति-पत्नि को आपसी सुलह से सामंजस्यपूर्वक रहने की सलाह दिया जिस पर दोनों पति-पत्नि न्यायालय में कभी विवाद नहीं करने की कसम खाते हुये एक हो गये और न्यायालय से साथ-साथ राजी खुशी अपने घर वापस लौटे।
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