“समय-चक्र” एक संक्षेप प्रेम कहानी “स्वप्निल तिवारी” की कलम से

“समय-चक्र…” एक प्रेम कहानी

तेज की शादी तय हो चुकी थी विधि के साथ। तेज व विधि दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया था। घर वाले भी राज़ी थे। विधि के लिए तेज उसके जीवन का पहला लड़का था। प्यार नया नया था इसलिए विधि के लिए बहुत करीब भी था उसके दिल के। वो हमेशा तेज के साथ रहना उस से बात करना चाहती थी। तेज भी अपना पूरा समय देता था। दोनों दिन भर घंटो फोन पे साथ रहते या कहीं साथ घूमने निकल जाते। तेज कहता था विधि से कि उसके जीवन में जो भी आया है उस ने तेज को बहुत प्यार दिया है। विधि को लगता है तेज के जीवन में पहले बहुत लड़कियां होंगी जो उस से काफी चाहती होंगी, पर तेज अपने मां-पिता, अपनी बहनों, अपने रिश्तेदारों के बारे में कह रहा था।

विधि तेज को अगले दिन 6 बजे मिलने बुलाती है। तेज अगले दिन 5:30 को घर से निकल रहा होता है तभी उसकी मां बोलती है तेज रुको। शाम का समय रहता है और तेज की मां बड़े से घर में अकेले रहना पसंद नहीं करती। तेज ही उसकी मां का मित्र भी था, और इकलौता बेटा भी। मां बोलती है तेज रुको । तेज बोलता है मां जरूरी काम है मै जा रहा हूं। मां चाहती तो थी कि तेज रुक जाए और उससे बात करे पर वो मन मारकर चुप हो जाती है। तेज निकल कर विधि से मिलने चला जाता है।

कुछ दिन बाद मां तेज से कहती है, विधि दिन भर तुझसे बात करती है, अच्छी बात है। पर उसे समझना होगा कि शादी सिर्फ एक लड़के से नहीं उसके पूरे परिवार से होती है, उसको कभी मुझे फोन करके मुझसे भी बात कर लेना चाहिए, शादी में मुझसे भी तो रिश्ता जुड़ेगा, मुझे लगेगा की बहू नहीं एक सहेली मिल गई है। तेज अपनी मां की बात को ध्यान से सुन रहा होता है और हल्के से मुस्कुरा देता है। मन ही मन कुछ सोचता है और चुप हो जाता है।

एक वर्ष बाद तेज व विधि की शादी हो चुकी है, और राखी पर विधि अपने मायके जाती है। विधि अपने घर पर काफी दिन रुकती है पर उसका ध्यान लगातार तेज की ओर लगा रहता था। विधि की आदत बन चुकी थी तेज और उसके घर वालों के साथ बात करना। पर मायके में इतने दिन रहने के बाद भी विधि के पास तेज का फोन दिन में एक या दो बार आता था बस। वो चाहती थी की तेज की मां उसे फोन करे और पूछे की कब वापस आओगी। और एक दिन विधि तेज से कहती है कि मुझे आए 8 दिन हो गए लेकिन एक भी दिन तुम्हारी मां का कॉल नहीं आया। मुझे भी मन होता है कि मां का फोन आए, वो मुझसे बात करे जिससे मेरे मायके वालो को पता चले की मेरी सास मुझे कितना पसंद करती हैं। पर वो मुझे कॉल ही नहीं करती। तेज विधि की बात को ध्यान से सुनता है, और घड़ी के कांटों को देखता है जो घूम कर बार बार 4 पर ही आ जाते थे। तेज मुस्कुराता है और विधि को फोन पे बोलता है “समय-चक्र”। विधि कहती है क्या बड़बड़ा रहे हो और ये समय चक्र क्या है पर तेज कुछ नहीं कहता और एक साल पहले कही मां की बात को याद करता है। सामने टेबल पर राखी भागवत गीता को प्रणाम करता है और हल्की सी मुस्कान के साथ विधि को फोन पे बोलता है कि अब बाद में फोन करता हूँ।

_स्वप्निल तिवारी

दिनेश के.जी. (संपादक)

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Dinesh KG
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17 thoughts on ““समय-चक्र” एक संक्षेप प्रेम कहानी “स्वप्निल तिवारी” की कलम से

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