कोरोना व बाढ़ आपदा के बीच बैंक सखियां घर-घर जाकर कर रहीं पेंशन भुगतान, सुरक्षित दादा-दादी, नाना-नानी अभियान के तहत् बुर्जुगों को जागरुक कर रखा जा रहा ख्याल

बीजापुर। जिले में सुरक्षित दादा-दादी, नाना-नानी अभियान के तहत् लोगों को जागरुक किया जा रहा है। जिसमें खासकर ऐसे बुर्जुगों को जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है। कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा बुर्जुगों में ज्यादा रहता है एवं उनको देखभाल की ज्यादा होती है। इसलिये कोरोना वायरस से संक्रमण एवं उनकी बचाव हेतु बुर्जुगों का विशेष देखभाल की आवश्यकता है। इस अभियान को नीति आयोग के दिशा-निर्देश के अनुरूप संचालित किया जा रहा है। बीजापुर जिले में कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन अन्य विभागों के आपसी समन्वय से इस अभियान को सुचारु रुप से चलाया जा रहा हैं।

जिले में इस अभियान के नोडल अधिकारी गौरव पाण्डेय ने बताया कि सुरक्षित दादा-दादी, नाना-नानी अभियान अंतर्गत बुर्जुगों को लगातार फोन के माध्यम से जानकारी लिया जा रहा है। जिसमें 3241 लोगों को फोन किया गया। जिसमें 1814 बुर्जुगों से संपर्क हुआ, फोन करके उनके स्वास्थ्य, पेंशन एवं राशन जैसे सुविधा एवं आवश्यकता के बारे मे जानकारी लिया जाता है, कुशलक्षेम पूछा जाता है। अभी तक संपर्क के दौरान 207 लोगों ने अपनी समस्याएं बतायी है, जिनका निराकरण किया जा रहा है। जिसमें 42 लोगों ने स्वास्थ्य संबंधी समस्या बताई है, जिसे घर पहुंचकर स्वास्थ्य अमला द्वारा स्वास्थ्य जांच कर बेहतर ईलाज कर दवाईयां एवं आवश्यक परामर्श दिया गया। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के टीम ने बीएमओ. डॉ. आदित्य साहू एवं बीपीएम योगेश भगत का विशेष सहयोग रहा। वहीं पेंशन की 133 प्रकरण सामने आयी जिसका निराकरण किया गया, शेष प्रकरणों का निराकरण किया जा रहा है। राशन कार्ड से संबंधित 6 प्रकरणों का निराकरण विभाग द्वारा किया जा रहा है।

सुरक्षित दादा-दादी, नाना-नानी अभियान के तहत् भोपालपटनम ब्लॉक में सीईओ जनपद पंचायत मनोज बंजारे ने स्वयं बैंक सखी के साथ जाकर बुर्जुगों को घर पहुंच पेंशन प्रदाय के तहत् घर पर ही पेंशन प्रदाय किया। इस अभियान के तहत् वृद्धजनों को कुल 169 लाख 83 हजार 612 रुपये पेंशन भुगतान किया जा चुका है। 926 वृद्धजन हितग्राहियों को अभियान से जुड़े हुए प्रशासन की टीम ने बताया कि इस विकट घड़ी में बुर्जुगों का देखभाल करने एवं उनको जागरुक करने उनकी स्वास्थ्यगत् समस्याओं को जानने एवं निराकरण की बहुत आवश्यकता होती है। ऐसे में इस कार्य को करने में स्वतः ही अच्छा महसूस होता है। खासकर तब जब बुर्जुगों की समस्याओं का निराकरण होने में उनको खुशी होती है और वह जाहिर करते हैं कि प्रशासन को उनकी चिंता है। इसलिए इस परिस्थिति में भी प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी उनके सहयोग के लिए मदद करने घर तक आ रहे हैं।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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