नगरनार स्टील-प्लांट के विनिवेशीकरण पर पुनर्विचार करने बस्तर भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी से लगाई गुहार

जगदलपुर। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एनएमडीसी नगरनार आयरन एण्ड स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण के फैसले पर बस्तर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संयुक्त रूप से पत्र लिखकर संबंधित फैसले पर एक बार फिर से पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।

बस्तर के जिन वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है उनमें प्रमुखतः छत्तीसगढ़ शासन में पूर्व मंत्री केदार कश्यप, प्रदेश भाजपा महामंत्री डाॅ. सुभाऊ राम कश्यप, पूर्व सांसद दिनेश कश्यप, पूर्व विधायक संतोष बाफना, प्रदेश भाजपा मंत्री किरण देव एवं बस्तर जिलाध्यक्ष रूपसिंह मण्डावी शामिल है। बस्तर भाजपा नेताओं के द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि, बस्तर में देश का उत्कृष्ट क्वालिटी का लौह अयस्क भण्डार दंतेवाड़ा जिले के बैलाडिला में मौजूद है, इसलिए बस्तरवासियों का दशकों से बस्तर में इस्पात संयंत्र स्थापित हो यह सपना रहा है। इसके लिए बैलाडिला में सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा लौह अयस्क खनन की औद्योगिक इकाईयाॅ स्थापित कर विगत् पाॅच दशक से लगातार लौह अयस्क का खनन भी किया जा रहा है। किन्तु आजादी के बाद कई दशक बीतने के उपरांत भी इस्पात संयंत्र स्थापित करने का सपना पूरा नहीं हो सका था। केन्द्र में एनडीए की सरकार आने के बाद बस्तरवासियों के इस सपनें को साकार करने 23 सितम्बर 2003 को नगरनार में एकीकृत इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए नींव रखी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी के निर्देश पर तत्कालीन उप प्रधानमंत्री आदरणीय श्री लालकृष्ण आडवानी जी इस्पात संयंत्र की आधारशीला रखने नगरनार भी आये थे।

इसके पूर्व 90 के दशक में अविभाजित मध्यप्रदेश में स्व. सुन्दरलाल पटवा जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा बस्तर में निजी क्षेत्र के दो इस्पात संयंत्रों की स्थापना के लिए भी प्रयास किया गया था। किन्तु स्थानीय लोगों के विरोध के कारण वह कोशिश सफल नहीं हो पाई थी। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद दिसम्बर 2003 से लगातार प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय डाॅ. रमन सिंह जी एवं बस्तर लोकसभा के पूर्व सांसद स्व. बलिराम कश्यप जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के उपक्रम एनएमडीसी के आयरन एण्ड स्टील प्लांट की स्थापना के मार्ग में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करते हुए इस्पात संयंत्र के निर्माण को अंतिम अवस्था तक पहुॅचाया गया। इसके पूर्व प्रदेश सरकार के द्वारा लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र में टाटा स्टील प्लांट की स्थापना के लिए भी आवश्यक संसाधन उपलब्ध करायें गए, किन्तु कई कारणों से यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।

वर्तमान में नगरनार स्टील प्लांट जो कि, बस्तरवासियों के सपनों का कारखाना है, संभवतः आगामी वर्ष 2021 में बनकर पूर्ण हो जाएगा और उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। पिछले कुछ समय से यहाॅ बस्तर में नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण को लेकर जन चर्चा है। जन चर्चा में लोग इस निर्णय को बस्तरवासियों की भावनाओं के विपरित बता रहे हैं। प्रदेश में सत्ताधारी दल के लोगों के द्वारा भी इसे आम जनमानस के बीच केन्द्र सरकार का निर्णय बताते हुए विरोध में माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री को सम्बोधित करते हुए आगे लिखा है कि, दिनांक 09 मई 2015 को दंतेवाड़ा आगमन पर आपके द्वारा बस्तर के औद्योगिक विकास के लिए 24 हजार करोड़ के निवेश से चार बड़ी परियोजनाओं के लिए एमओयू कराये गए हैं, जो सभी सार्वजनिक क्षेत्र के औद्योगिक इकाईयों की स्थापना से संबंधित है। नगरनार स्टील प्लांट में उत्पादन शुरू होने में अभी कुछ वक्त लगेगा, इस बीच विनिवेशीकरण की चर्चा से यहाॅ लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं।

इसलिए हमारा आपसे विनम्र आग्रह है कि, नगरनार स्टील प्लांट से उत्पादन शुरू होने एवं इसके बाद भी कुछ समय तक प्लांट का परिचालन एनएमडीसी अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के स्टील उत्पादन में सक्रिय किसी अन्य उपक्रम यथा सेल अथवा आरआईएनएल के साथ ज्वाइंट वेंचर स्थापित कर एनएमडीसी को संचालन करने दिया जाए। तत्पश्चात् इस्पात संयंत्र से मिलने वाले लाभ-हानि आदि परिस्थितियों का आंकलन कर निर्णय लिया जा सकता है। फिलहाल विनिवेशीकरण के निर्णय पर बस्तरवासियों की भावनाओं के अनुरूप पुनर्विचार करने की कृपा करें।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
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