जगदलपुर। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का प्रमुख आकर्षण फुलरथ की पहली परिक्रमा रविवार को पूरी हुई। फूलों से सजे आठ चक्के के इस रथ को लेकर जगदलपुर और तोकापाल तहसील के 36 गांवों से पहुंचे लगभग 400 ग्रामीणों ने खींचकर गोलबाजार का परिक्रमा किया। उल्लेखनीय है कि काकतीय नरेश पुरुषोत्तम देव ने एक बार श्री जगन्नाथपुरी तक पैदल तीर्थयात्रा कर मंदिर में स्वर्ण मुद्राएँ तथा स्वर्ण भूषण आदि सामग्री भेंट में अर्पित की थी। यहाँ राजा पुरुषोत्तम देव को रथपति की उपाधि से विभूषित किया गया। जब राजा पुरुषोत्तम देव पुरी धाम से बस्तर लौटे तब उन्होंने धूम-धाम से दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा का शुभारम्भ किया और तभी से गोंचा और दशहरा पर्यों में रथ चलाने की प्रथा चल पड़ी।

बस्तर दशहरा में शारदीय नवरात्रि की द्वितीया तिथि से सप्तमी तिथि तक फुलरथ को खींचने के लिए हर वर्ष बड़ी संख्या में जगदलपुर और तोकापाल तहसील के 36 गाँवों के ग्रामीण यहाँ पहुंचते हैं। इस साल कोरोना के संक्रमण को देखते हुए बस्तर दशहरा समिति और जिला प्रशासन द्वारा पूरी सावधानी के साथ इस रस्म को मनाने का निर्णय लिया गया और लगभग 400 स्वस्थ युवाओं को ही इस रस्म में भागीदारी निभाने की जिम्मेदारी दी गई। इन सभी युवाओं को पहले से ही क्वारन्टीन में रखने के साथ ही कोरोना जांच भी की गई है, ताकि संक्रमण की किसी भी संभावना को खत्म किया जा सके।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Spread the love

By दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

You missed

error: Content is protected !!