जगदलपुर। ऐतिहासिक बस्तर दशहरा मनाने जगदलपुर पहुंची माता मावली और मां दंतेश्वरी का बस्तरवासियों ने रविवार शाम भव्य स्वागत किया। शारदीय नवरात्रि के नवमी की शाम जोगी उठाई के बाद रात को मावली परघाव पूजा विधान कुटरू बाड़ा के पास पूरी हुई। इस कार्यक्रम में राजपरिवार के अलावा अन्य श्रद्धालु शामिल हुए और दंतेवाड़ा से पहुंची मावली माता के डोली का भव्य स्वागत किया। नवमीं को ही सुबह दंतेश्वरी मंदिर में कुंवारी पूजन विधान सम्पन्न किया गया। दशहरा पर्व के निर्विघ्न आयोजन के लिए सिरहासार में साधना में बैठे योग पुरूष को ससम्मान उठाकर जोगी उठाई की रस्म भी पूरी की गई।
बस्तर दशहरा का सबसे महत्वपूर्ण विधान मावली परघाव को माना जाता है। माता मावली की डोली तथा मां दंतेश्वरी का छत्र शनिवार शाम दंतेवाड़ा से सुसज्जित वाहन में जगदलपुर लाया गया। मां दंतेश्वरी का छत्र और मावली माता की डोली शनिवार शाम मावली गुड़ी (जिया डेरा) पहुंची। यहां भक्तों ने मावली मां के दर्शन किये। रविवार शाम को मावली गुड़ी से कुटरू बाड़ा तक पहुंचने के बाद पैलेस रोड में बनाए गए परघाव स्थल तक बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव, दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, संसदीय सचिव रेखचन्द जैन, आईजी पी.सुन्दरराज,कलेक्टर रजत बंसल, पुलिस अधीक्षक दीपक झा सहित दशहरा समिति के सदस्यों ने मावली माँ का स्वागत किया। विभिन्न गांवों से आए देवी-देवता भी मावली परघाव में शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को माईं दंतेश्वरी की छत्र नवनिर्मित आठ चक्के के विशाल विजय रथ में आरूढ़ होकर जगदलपुर की परिक्रमा करेगी। इस विजय रथ के समक्ष मावली माता की डोली सुसज्जित वाहन में सवार रहेगी। साथ ही बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे देवी देवताओं की डोली ,लाठ, छत्र भी अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के बीच झूमते नाचते शामिल होंगे।