शिकार के लिए लगाए गए विद्युत तार की चपेट में आने से नक्सल-ऑपरेशन पर निकले सीआरपीएफ जवान की मौत, आखिर शिकारियों का हौसला व जवानों के जोखिमों को बढ़ाने में कौन है जिम्मेदार..?

बीजापुर। जिले के चिन्नाकोडेपाल के जंगलों में बड़ा हादसा हो गया, शिकारियों द्वारा जानवरों के शिकार के लिए लगाए गए विद्युत तार की चपेट में आने से सुरक्षाबल के जवान की मौत हो गई है। यह हादसा तब हुआ जब जवान एंटी नक्सल ऑपरेशन पर निकले थे। सीआरपीएफ डीआईजी “कोमल सिन्हा” के मुताबिक पुलिस पार्टी एंटी नक्सल ऑपरेशन पर थी। इसी दौरान चिन्नाकोडपाल के जंगलों में जंगली जानवरों के शिकार के लिए अज्ञातों के द्वारा बिजली का फंदा लगाया गया था। जिसकी चपेट में आने से 170वीं बटालियन के जवान श्रीगोपाल (25 वर्ष) की मौत हो गई। जवान के पार्थिव शरीर को हेलीकाप्टर से बिहार के जहानाबाद गृहग्राम के लिए भेज दिया गया है।

चिंतनीय विषय है कि नक्सलियों से लोहा लेने जवानों को वैसे ही कई तरह की परेशानियों व जोख़िमों का सामना करना पड़ता है। वहीं जिम्मेदारों द्वारा इस तरह की बड़ी लापरवाही व अनदेखी पर कई सवाल खड़े होते हैं। इस घटना से कहीं न कहीं वन विभाग की बड़ी लापरवाही भी उजागर हुई है। चूंकि बिजली के खंभों की नजदीकी के बगैर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना संभव नहीं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क पर लगे खंभों से कितनी दूरी पर इस तरह की दुर्घटना हुई है। बताया जा रहा कि वन विभाग के बफर क्षेत्र से लगा है यह इलाका, जहां विभाग जानवरों के अवैध शिकार को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। जिसका खामियाजा सुरक्षाबल के जवानों को उठाना पड़ रहा है। एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवानों को वैसे भी फूंक-फूंककर कदम रखना पड़ता है, क्योंकि नक्सल आईईडी कहीं भी लगे हो सकते हैं, बावजूद इस तरह के जोखिमों के जवानों को अब बिजली के फंदों से भी सावधानीपूर्वक निपटना होगा।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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