एक दिसंबर से धान ख़रीदी व्यवस्था का अता-पता नहीं-कश्यप
जगदलपुर। सरकार द्वारा एक माह विलंब से धान ख़रीदी के चलते किसान औने-पौने दाम पर धान बिचौलियों को बेचने मजबूर हुए हैं। असमय बारिश और मौसम की मार से किसानों का धान ख़राब हो गया है। कटाई मिजांई के समय किसानों को हुई क्षति को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। सरकार किसानों के फ़सल को पहुँची क्षति का शीघ्र मूल्यांकन कर उन्हें मुआवज़ा दे। 01 दिसंबर से धान ख़रीदी का निर्देश है लेकिन अभी तक ख़रीदी केंद्रों पर बारदाने की व्यवस्था नहीं हो पाई है। किसानों का पंजीयन भी नहीं हो पाया है। इन परिस्थितियों में सरकार केवल दिखावे के लिए ख़रीदी करेगी ऐसा प्रतीत हो रहा है। कांग्रेस सरकार की दोगली मानसिकता के चलते इस वर्ष भी अन्नदाता को धान बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
कांग्रेस की सरकार गत वर्ष के फसल की पूरी राशि भी किसानों को नहीं दे पा रही है। सरकार किसानों को उनकी फ़सल की पूरी राशि देने के लिए गांधी परिवार की जयंती या पुण्यतिथि का इंतज़ार करती है, क्योंकि कांग्रेस सरकार की निष्ठा केवल कांग्रेस परिवार के प्रति है। किसानों के पसीने से उनका कोई सरोकार नहीं है। कांग्रेस सरकार तत्काल किसानों को उनकी फ़सल का भुगतान करें साथ ही बेमौसम बारिश से हुए नुक़सान की भरपाई करे। पंजीयन की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ ही ख़रीदी केंद्रों में बारदाने की व्यवस्था तत्काल किया जावे, अन्यथा इन माँगो को लेकर किसानों के साथ भारतीय जनता पार्टी भी सड़क पर संघर्ष करने के लिये मजबूर होगी।