सौभाग्यवती महिलाओं ने सहर्ष ‘हरतालिका तीज-व्रत’ मनाया, अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने हेतु की पूजा-अर्चना

जगदलपुर। जगदलपुर स्थित महादेव घाट, इंद्रावती नदी, गंगामुण्डा तालाब व शहर में स्थित तालाबों पर शहर की सुहागन महिलाओं ने हरतालिका तीज व्रत सहर्ष मनाया। उक्त धार्मिक स्थलों पर महिलाओं ने भगवान गौरी-शंकर की पुजा अर्चना की।

हरतालिका तीज भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 12 सितंबर की तारीख को है। हिन्‍दू धर्म में इस व्रत का बड़ा महात्‍म्‍य है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से माता गौरी और भगवान शंकर प्रसन्‍न होते हैं। मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रताप से अखंड सौभाग्‍य का वरदान मिलता है। यहां तक कि पुराणों और लोक कथाओं में भी इस व्रत की महिमा गुणगान मिलता है। यह व्रत जितना फलदायी है उतने ही कठिन इसके नियम हैं। हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है। इस व्रत के नियम हरियाली तीज और कजरी तीज के व्रत से भी ज्‍यादा कठोर हैं।

इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। विशेषकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।

सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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Dinesh KG
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13 thoughts on “सौभाग्यवती महिलाओं ने सहर्ष ‘हरतालिका तीज-व्रत’ मनाया, अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने हेतु की पूजा-अर्चना

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