बस्तर कमिश्नर ने कोरोना के रोकथाम के संबंध में कलेक्टरों को दिए दिशा-निर्देश, लॉकडाउन को हाफ लॉकडाउन करने संबंधी आगामी रणनीति पर किया विचार विमर्श

जगदलपुर। कमिश्नर श्री जी.आर. चुरेन्द्र ने संभाग के सभी कलेक्टर को कोरोना के रोकथाम के संबंध में जरूरी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कोरोना के रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जिले में प्रभावी कार्यप्रणाली के कारण अपेक्षित परिणाम भी प्राप्त हो रहा है। लेकिन जिस तरह वर्तमान में संक्रमण की स्थिति विद्यमान है, उसे देखते हुए अधिक प्रभावी व सुनियोजित तरीके से पूरे जिले में कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोविड अस्पताल एवं कोविज सेन्टर स्थापित कर आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ ही भारत सरकार व राज्य सरकार के निर्देशानुसार वेक्सिनेशन, टेस्टिंग व उपचार आदि का कार्य आगे किया जा रहा है तथा लॉकडाउन की व्यवस्था को पुलिस प्रशासन, राजस्व प्रशासन, ट्रेफिक व स्थानीय प्रशासन के द्वारा जिम्मेदारी के साथ सफल किया जा रहा है। साथ ही कृपया अब संक्रमण को बढ़ने से रोकने व प्रभावी परिणाम प्राप्त करने तथा विभिन्न रूप से पीड़ित व्यक्ति एवं परिवारों को राहत देने, जिले में त्वरित कार्यवाही योजनाबद्ध ढंग से कराया जाये।

उन्होंने कहा कि वैक्सिनेशन की प्रकिया के तहत जिन गांवों या शहरों आसपास पारा मोहल्ला में कोरोना पॉजीटिव के मामले मिले हैं, वहां पर वैक्सिनेशन शत-प्रतिशत पूर्ण कराया जाए । सामाजिक व्यक्तियों और जनप्रतिनिधियों आदि को साथ लेकर गांव-पारा मोहल्ला में कड़ी निगरानी के साथ जनजागरण अभियान चलाया जाए। इस अभियान में कोरोना बचाव दल और मोहल्ला समिति को केन्द्रीय भूमिका में रखा जाए। जिले के अंतर्गत जिन विभागों के अधिकारी/कर्मचारी अभी तक जहां कोरोना संक्रमित पाये गये हैं, उनके परिवार व उनके संपर्क में आये व्यक्तियों का वैक्सिनेशन एवं टेस्टिंग विशेष प्राथमिकता में कराई जाये। कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण पाने जिले में जो लोकजाउन की व्यवस्था 26 अप्रैल 2021 तक लागू की गई है, उसमें वर्तमान में जारी कोरोना संक्रमण के तहत ऐसा आभास होता है कि इसे आगे बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। यदि ऐसी स्थिति निर्मित होती है, तो यायावर/बंजारा परिवार के सदस्यों को भोजन व्यवस्था संकट का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इन स्थानों में रहने वाले भिखारी अन्य घुमन्तु व्यक्तियों को भी भोजन की समस्या सामना करना पड़ सकता है। शहरों में होटल बंद होने से आवारा कुत्तों को भोजन की समस्या हो सकती है। साथ ही पेयजल की व्यवस्था में भी दिक्कत हो सकती है। आवारा मवेशियों को पेयजल संकट से जूझना भी पड़ सकता है।

कृपया उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखकर बंजारा, घुमन्तु, भिखारियों को धार्मिक संस्थाओं और स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से भोजन की व्यवस्था कराई जानी चाहिए। साथ ही आवारा कुत्तों को भोजन दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आवारा मवेशियों के लिए पेजयल व्यवस्था उनके ठहराव विचरण क्षेत्र में किया जाना चाहिए। यह कार्य नगरीय निकाय के अधिकारी-कर्मचारियों से कराया जाये। जैसे ही जिले के अन्तर्गत लॉकडाउन हटाने का निर्णय लिया जावेगा उसके बाद से पूरी तरह छूट दिया जाना कदापि उचित नहीं होगा। जन जीवन बहाल करने की दृष्टि से जिला मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय, सेक्टर मुख्यालय व कस्या मुख्यालयों में हाफ लॉकडाउन की व्यवस्था बनायी जानी चाहिए। अर्थात पूर्वान्ह 10.00 बजे से अपरान्ह 3.00 बजे तक की अवधि में सभी संस्थाएँ व्यापारिक गतिविधियों आदि का कामकाज की व्यवस्था सूचारू रूप से संचालित किया जाये। इसके पश्चात ठीक अपरान्ह 3.00 बजे से दूसरे दिन प्रातः 10.00 बजे तक पूरी कड़ाई के साथ हाफ लॉकडाउन की व्यवस्था लागू किये जाने से जन जीवन सूचारू रूप से संचालित होगा।

सभी संस्थाओं में आर्थिक/व्यापारिक गतिविधियों संचालित होगी। सभी आवश्यक कार्य 5 घण्टे की अवधि में संचालित हो सकेगा। जो ज्यादा भीड़-भाड़ की समस्या होती है, लोग मेल-मिलाप करते है, अर्थात अपरान्ह 3.00 बजे से दूसरे दिन प्रातः 10.00 बजे
तक पूरी कड़ाई के साथ भीड़भाड़ को नियंत्रित करने/हाफ लॉकडाउन किया जाता है तो निश्चित रूप से कोरोना संक्रमण रोका जाकर नियत्रंण किया सकता है। इससे लोग अनुशासन में रहेगें। लोगों में संकट को देखते हुए संवेदनशीलता व गंभीरता भी आयेगी।

लॉकडाउन हटने के बाद बसों का संचालन व परिवहन की व्यवस्था सामान्य रूप से जब चलना शुरू हो जायेगा तो बसों से, यहाँ तक की स्वयं के वाहनों से आवाजाही करने वाले व्यक्तियों का एन्टीजन टेस्ट, रेपीट टेस्ट या विशेष परिस्थितियों में आरटीपीसीआर टेस्ट शहर के प्रवेश स्थल पर, बस स्टेण्ड में या अन्य अन्य महत्वपूर्ण स्थानों में कोरोना स्वास्थ्य कर्मियों व अन्य कर्मचारियों की डयूटी लगाकर कोरोना टेस्टिंग की गहन व्यवस्था की जाये, जिससे कोरोना संकमण को रोकने एवं नियंत्रण करने में सफलता मिल सके। जब तक जिले में स्थिति सामान्य न हो जाये कोई भी उद्यान, पार्क, चौपाटी, पर्यटन स्थल व अन्य भीड़भाड़ वाले जगहों में व्यापार व आवाजाही, मेल मिलाप सैर सपाटा पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाए। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में हाट-बाजारों को गांव में बाजार स्थल से चारों तरफ एक किलोमीटर की सर्किल में घेरा लगाकर दूर-दूर बाजार अर्थात पसरा लगाये जाने की व्यवस्था करना चाहिए। हाट-बाजारों के नाम से अनावश्यक भीड़ न हो।

जब तक कोरोना संकट पर नियंत्रण न हो, तब तक जिले अन्तर्गत जहाँ भी मुर्गा लड़ाई होता है, उस मुर्गा लड़ाई को पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाये। जब तक मुर्गा लड़ाई प्रतिबंधित रहेगा, उस अवधि में ग्राम पंचायत व ग्राम सभाओं की बैठक में भविष्य में मुर्गा लड़ाई के भीड़ को नियंत्रण करने व एक प्रकार से जुआ की व्यवस्था दाव को बंद कराने का निर्णय/ ठहराव पारित कराया जाए, कि अब नगरीय क्षेत्र या ग्राम पंचायत क्षेत्र व गांवों में मुर्गा लड़ाई दाव नहीं लगाया जावेगा। यदि इस निर्णय के बाद भी मुर्गा लड़ाई में दाव लगाया जाता है, तो ग्राम पंचायत व ग्राम सभाओं के माध्यम से संबंधित को दण्डित किया जायेगा।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
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