पवन दुर्गम, बीजापुर। कोरोना नित नए स्वांग रच रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल कोरोना ने खोलकर रख दी है। बीजापुर में भी कोरोना से जुड़ा रोचक वाकिया सामने आया है। बीते 13 अप्रैल को एक युवक कोरोना टेस्ट कराने पहुंचा। जिसका ट्रूनेट टेस्ट किया गया, 15 अप्रैल को युवक का टेस्ट पॉजिटिव आया। आज तक स्वास्थ्य विभाग युवक की पतासाजी में लगा हुआ था। युवक की तलाशी में विभाग ने उसके घर परिजन और दोस्तों को संपर्क किया लेकिन हाथ खाली थे। आखिरकार हमने युवक का मोबाइल नंबर खोज निकाला। जिसके बाद बीजापुर के CMHO डॉ बी आर पुजारी से युवक की कॉन्फ्रेंस में बातचीत कराई गई। CMHO पुजारी ने युवक से नाराजगी जताते जानकारी छुपाने के लिए लताड़ा और टेस्ट कराने कहा।
जानिए पूरा वाकिया
13 अप्रैल को यश जव्वा बीजापुर जिला हॉस्पिटल कोरोना टेस्ट करवाने पहुंचा जहां उसने ट्रूनेट टेस्ट के लिये सैंपल दिया, जिसके बाद वो अपने घर चला गया। जहां वो सेल्फ क्वारंटाइन पर था। दो दिन बाद 15 अप्रैल को यस का रिपोर्ट पॉजिटिव आया। जिसके बाद स्वास्थ्य महकमा उसकी पतासाजी में लग गया। CMHO डॉ पुजारी के अनुसार युवक ने अपना जो मोबाइल नंबर दिया था वो बंद बता रहा था, जिसकी वजह से खासा मसक्कत करनी पड़ी।
आज जैसे ही युवक के लापता होने की खबर निकलकर आई तो हमने पता लगाना शुरू किया जिसके बाद जो जानकारी निकलकर आई वो कोरोना मरीजो को राहत देने वाली है। दरअसल युवक का त्रुनेट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अपने घर पर ही क्वारंटाइन था कोरोना के लिए जो सामान्य दवाइयां होती हैं, उसने उन्ही का सेवन किया। आज करीब 18 दिन बाद यस पूरी तरह स्वस्थ है। अभी किसी तरह के कोई सिम्पटम्स उसके अंदर कोरोना के नही हैं।
इस पूरे मामले से स्पष्ठ है कि टेस्ट कराने पहुंचने वाले संक्रमित या संभावित अपनी पहचान गोपनीय रखने या गलत जानकारी दे रहे है। जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग को पता ढूंढने में अतिरिक्त समय देना पड़ रहा है। वहां ऐसे कोरोनकाल में स्टाफ को ज्यादा मसक्कत करनी पड़ रही है। इस पूरे प्रकरण के बाद स्वास्थ्य विभाग को टेस्टिंग स्थल पर सीसीटीवी जरूर लगवा देना चाहिए ताकि जो कोई भी टेस्ट के लिए सैंपल दे उसकी वीडियोग्राफी के जरिये पहचान की जा सके। जिससे स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक मेहनत नही करनी पड़ेगी, साथ ही सैंपल देने वाले भी सीसीटीवी होने के भय से अपना सही नाम, पता और संपर्क नंबर छोड़ पाएंगे।