रोते-रोते जब उसने कहा कि “मैं मजदूरी करता हूं साहब, …….02 दिन से कुछ नहीं खाया हूं, बहुत भूखा हूं..” इतना सुनकर कर्तव्य के साथ ही संवेदनशीलता का उदाहरण पेशकर बस्तर पुलिस ने पहुंचाई राहत

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जगदलपुर। कहा जाता है कि भूखे को खाना खिलाने व प्यासे को पानी पिलाने से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता है। कोरोना की विपरीत परिस्थितियों में ऐसा ही एक उदाहरण पेश करते हुए आज बस्तर पुलिस ने मानवता का परिचय दिया। दरअसल पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा आज पेट्रोलिंग के दौरान अनावश्यक इधर-उधर घूम रहे एक व्यक्ति से पूछताछ की गई, जिसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था।

इस दौरान पेट्रोलिंग पुलिस टीम के द्वारा पूछताछ करने पर रोते-रोते कहने लगा कि “मैं मजदूरी का काम करता हूं साहब, संजय मार्केट में सामान अनलोड करके जीवन यापन करता हूं, 02 दिन से कुछ नहीं खाया हूं सर, बहुत भूखा हूं…” जिस पर समारू नाम के व्यक्ति को थाने में लाकर खाना खिलाया गया तथा थाना प्रभारी ‘एमन साहू’ के निर्देश पर उसके घर इतवारी बाजार तक पुलिस वाहन में छोड़ा गया एवं उसके साथी व परिजनों के लिए भी खाने की व्यवस्था करवायी गयी। साथ ही उसे थाना कोतवाली का नंबर भी दिया गया ताकि आगे से किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तत्काल कोतवाली पुलिस से संपर्क करें।

गौरतलब है कि महामारी के इस दौर में हर एक व्यक्ति व सामाजिक संगठन अपने अपने स्तर पर लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। वहीं बस्तर पुलिस भी इस मामले में पीछे नहीं है। लगातार पिछले कुछ दिनों से पुलिस द्वारा इसी तरह के उदाहरण पेश किये गये हैं। जैसे विगत दिनों माओवादियों के बनाए स्पाईक होल में गिरने से दरभा क्षेत्र का एक ग्रामीण बुरी तरह जख्मी हो गया था, जिसे पुलिस के जवानों ने लगभग 5 कि.मी. दूर पहाड़ी रास्तों से कंधे पर उठाकर कैंप पहुंचाया, साथ ही प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल भी पहुंचाया था।

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दिनेश के.जी. (संपादक)

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