जीवन को जल की तलाश : एक ऐसा गांव जहां आजादी के बाद से आज तक पानी की समस्या का निदान नहीं, जिम्मेदारों की अनदेखी और विकास के खोखले दावों के बीच पानी की किल्लत व मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जूझ रहे ग्रामीण

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बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक का सबसे बड़ा गांव है मद्देड़, जहां वोटरों की संख्या पांच हजार से अधिक, बावजूद इसके समस्याएं जस की तस

बीजापुर। जिले का आबादी व क्षेत्रफल की दृष्टि से एक ऐसा बड़ा गांव जहां आजादी के बाद से आज तक पानी की समस्या का निदान कोई सरकार नहीं कर सकी है, बावजूद इसके कि यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसा है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया गया है। प्रदेश में चुनावी तारीखों की घोषणा होने के बाद देश की दो बड़ी पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशी लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हुए है। इस बार स्थानीय मुद्दों की भरमार है। आज हम बात करने जा रहे है। बीजापुर के सबसे बड़े गांव मद्देड़ की। मद्देड़ में 05 हजार से अधिक मतदाता है। लेकिन इतनी बड़ी आबादी पीने के पानी को लेकर काफ़ी समस्याओं से जूझ रही है। मद्देड़ के स्थानीय लोगो ने कहा की भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की सरकार आई गई लेकिन उनकी मुलभुत समस्याएं जस की तस है जो भी प्रत्याशी आते है वो सिर्फ चुनाव में आकर हमसे वोट मांगते है और चुनावी वादें करते है लेकिन चुनाव जितने के बाद हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता। ऐसे में इस बार जो भी प्रत्याशी वोट मांगने आएंगे तो हम उन्हें ही वोट देंगे जो हमारी समस्याओं का समाधान कर सके।

60% आबादी के पास नहीं है पीने का शुद्ध पानी

मद्देड़ के मतदाताओं ने बताया की आज भी हमें पीने के पानी की सबसे बड़ी समस्या है। भोपालपटनम तहसील के इस सबसे बड़े गांव में 21 वार्ड है और मतदाताओं की संख्या 5 हजार से अधिक है। जिनके घर में बोर या कुआं है उन्हें तो पीने का शुद्ध पानी मिल जाता है । लेकिन जिनके घर में यह सुविधाएं नहीं है उन्हें पीने के पानी के लिए काफ़ी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। मद्देड़ के पशु अस्पताल के पास एक बोर करवाया गया है जहाँ पर पीने का शुद्ध पानी मिलता है यहाँ पर दिन भर लोग अपने वाहनो पर और पैदल आकर पानी के लिए लाइन लगाते है और अपनी ऊर्जा और समय ख़राब करने के बाद यहाँ के लोगो को पीने का पानी नसीब हो पाता है।

नल – जल मिशन का कार्य भी बहुत धीमा

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का हर घर नल – जल पहुँचाने का अभियान जारी है। लेकिन यह योजना भी अपनी सुस्त गति से चल रहा है जिस वजह से अब तक लोगो के घर में पानी नहीं पहुँच सका है।
ऐसे में यहाँ के मतदाताओं में पीने के पानी के लिए सरकार और प्रशासन के लिए काफ़ी नाराजगी देखने को मिल रही है।

खेल मैदान, शमशान घाट, तालाब भी इस बार चुनावी मुद्दे..

मद्देड़ के मतदाताओं का कहना है की यह गाँव राष्ट्रीय राजमार्ग 63 से लगा हुआ है और इस गांव में 5 हजार से भी अधिक वोटर्स हैं, जो अपने मतों का प्रयोग करके विधायक चुनते है लेकिन इतने बड़े आबादी के लिए यहाँ पर एक भी शमशान घाट नहीं है ऐसे में किसी के यहाँ किसी परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए काफ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यहां के लोगों की मांग है की यहां पर जल्द ही शमशान घाट बने जिससे अंतिम संस्कार आसानी से किया जा सके। वहीं मद्देड़ तालाब काफ़ी पुराना तालाब है, इसकी सौंदर्यता और गहरीकरण पर ध्यान दिया जाए तो यहां के किसानों को भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो पाएगी। साथ ही खेल के मैदान को लेकर भी लोगों में निराशा है, बताया जा रहा है कि शासन-प्रशासन द्वारा निर्मित खेल का मैदान गांव से दूर जंगल में और अव्यवस्थित सड़क की वजह से अनुपयोगी होता जा रहा है।

Dinesh KG (Editor in Chief)

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