तेन्दूपत्ता बना बस्तर के आदिवासियों का हरा सोना, कांग्रेस के भ्रष्टाचार का लेंगे पूरा हिसाब – वन मंत्री केदार कश्यप

साय सरकार के हर वादे पर अमल, हर एक पत्ता खरीदा जाएगा
जगदलपुर। बस्तर के आदिवासियों के जीवन में बदलाव की बयार बह रही है, और इसकी एक बड़ी वजह बना है – तेन्दूपत्ता, जिसे आदिवासी ‘हरा सोना’ कहते हैं। आज गोलावंड क्षेत्र के तेन्दूपत्ता फड़ में वनमंत्री केदार कश्यप ने संग्रहण कर्ताओं से मुलाकात कर उनकी मेहनत और उम्मीदों को नमन किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि साय सरकार ने जो वादा किया था – हर पत्ता खरीदा जाएगा, हम उसे निभा रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस शासनकाल की तुलना करते हुए कहा कि उस समय आदिवासियों के बोनस पर डाका डाला गया था, जबकि अब भाजपा सरकार पारदर्शिता और जनहित के साथ काम कर रही है।
5500 रुपए प्रति क्विंटल – आदिवासी हित में बड़ा फैसला
श्री केदार कश्यप ने बताया कि भाजपा सरकार ने तेन्दूपत्ता की दर बढ़ाकर 5500 रुपए प्रति क्विंटल कर दी है। इससे 12 लाख 50 हजार संग्राहक परिवारों को सीधा फायदा होगा और लगभग 240 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी होगी।
विकास का मॉडल – ‘बस्तर का धन, बस्तर के लिए’
वनमंत्री ने जोर देकर कहा कि साय सरकार का फोकस बस्तर के समग्र विकास पर है। स्थानीय संसाधनों का लाभ अब यहीं के लोगों को मिलेगा। बस्तर में 65 प्रकार की लघु वनोपज जैसे इमली, महुआ, अमचूर का प्रसंस्करण और निर्यात किया जा रहा है। अब इनका वैल्यू एडिशन स्थानीय स्तर पर कर बस्तर के युवाओं, किसानों और महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा।
मोटे अनाज से सेहत और समृद्धि दोनों
बस्तर में उपजने वाले कोदो, कुटकी, रागी जैसे मोटे अनाजों को लेकर सरकार नई योजना बना रही है। इनका स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण कर उन्हें वैश्विक बाज़ार से जोड़ा जाएगा। इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेगा और पोषण का स्तर भी सुधरेगा।
“तेन्दूपत्ता हो या मोटा अनाज – आदिवासियों की हर उपज को मूल्य और सम्मान मिलेगा”
– केदार कश्यप, वनमंत्री