भारतीय महिला एथलीट के पास जूते खरीदने के नहीं थे पैसे, एशियाई खेल में रचा इतिहास, 100 मीटर रेस में भारत के लिए जीता रजत पदक

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जकार्ता। भारतीय महिला एथलीट दुती चंद ने 18वें एशियाई खेलों के आठवें दिन रविवार को 100 मीटर रेस में रजत पदक जीत लिया। दुती ने फाइनल में 11.32 सेकेंड के समय लेकर दूसरा स्थान हासिल किया। दुती ने सेमीफाइनल में 11.43 सेकेंड के समय लेकर तीसरा स्थान हासिल किया और फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था बहरीन की इडिडोंग ओडियोंग ने 11.30 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता. चीन की वेंगली योई ने 11.33 सेकेंड के साथ कांसा अपने नाम किया।

इसके पहले वर्ष 2016 में 36 साल बाद कोई भारतीय महिला ओलिंपिक खेलों की 100 मी. फर्राटा दौड़ के लिए क्वालिफाई करने में सफल रही थी, यह उपलब्धि सुनने में भले ही गौरवशाली लगे, लेकिन इसके पीछे की हकीकत दुखद है।

दुती रियो ओलिंपिक में देश की उम्मीद हैं, लेकिन उसके पास दौड़ के दौरान पहनने के लिए जूते नहीं थे। ओडिशा की 22 साल की दुती ने तब कहा था- मुझे दुनिया की श्रेष्ठ धाविकाओं से मुकाबला करना है, इसलिए कड़ी मेहनत कर रही हूं। मेरा लक्ष्य देश के लिए पदक जीतना है। मगर मेरे पास अच्छे जूते नहीं है, जो दौड़ के दौरान पहने जाते हैं। अब तक जो मैं पहनती थी वे फट गए हैं। ये बहुत महंगे आते हैं। उन्होंने कहा था मैंने राज्य सरकार से निवेदन किया है कि मुझे ट्रेकसूट और एक जोड़ी दौड़ने वाले जूते दिए जाएं। मुझे बुरा लगता है कि देश और प्रदेश के लिए सम्मान हासिल करने के बावजूद मुझे भिखारियों की तरह सरकार से मांगना पड़ रहा है।

आर्थिक रूप से अत्यन्त गरीब परिवार

दुती जाजपुर के गोपालपुर गांव के बेहद गरीब परिवार की लड़की है। दो साल पहले उन्हें इसलिए प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि शरीर में पुरुषों वाले हार्मोन ज्यादा थे। लिंग विवाद के कारण लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद प्रतिबंध हटा व दुती ने रियो की पात्रता हासिल की थी।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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