“हर गहरी सुरंग के बाद एक उजाला आता है।” बस 73 साल की इसी उम्मीद का सहारा, बना पामेड़वासियों के घर का उजियारा, जहां की पीढ़ियां नहीं देख सकीं बल्बों की रौशनी, तेलंगाना के सहारे जागी वहां उम्मीद-ए-रौशनी


दिनेश के.जी., बीजापुर। इंटर स्टेट कॉरिडोर पामेड़ अब प्रकाशविहीन नहीं रहा। यहां अब रात में मिट्टी के दिये नहीं बल्कि बल्ब जला करेंगे। दीये कि धुंधली रौशनी का युग पामेड़ से समाप्त होने को है। यूपीए सरकार में तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भी वर्ष 2011-12 में पामेड़ का दौरा कर वहां की वस्तुस्तिथि का जायजा लिया था। कुछ दिन पूर्व कवासी लखमा और बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने इसओर ध्यानाकर्षित भी किया था। तेलांगाना के चेरला से लगे तिप्पापुरम से पामेड़ तक करीब 10 किमी तक बिजली पहुंचाई जा रही है जिसमे मंत्री कवासी लखमा और बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी का महत्वपूर्ण प्रयास रहा है।

पामेड़ नक्सली इलाके के साथ साथ वनाच्छादित घने वनों से घिरा अभ्यारण्य क्षेत्र है। बीजापुर जिला मुख्यालय से आवापल्ली- बासागुड़ा होते करीब 48 किमी का सफर नक्सल दहसत और ऊबड़खाबड़ सड़को की वजह से असंभव है। बारिश के दिनों में यहां सड़कें नदी नालों से भर जाती हैं। जिसकी वजह से पामेड़ और ज्यादा संवेदनशील और खतरनाक टापू में तब्दील हो जाता है। प्रदेश से कटा यह इलाका पूरी तरह से तेलांगाना के चेरला- भद्राचलम और वेंकटापुरम पर आश्रित और जीवित रहने को मजबूर है।

पामेड़ रहवासियों के लिये सड़क बनी वरदान

चेरला से पामेड़ तक डामरीकरण सड़क बनी है। जिससे घंटो का सफर अब मिनटों का रह गया है। सड़क निर्माण के दौरान घटिया सड़क की गुणवत्ता पर ग्रामीणों ने भी विरोध किया था। जिसके बाद ठेकेदार और विभाग ने मरम्मत करने की नाकाम कोशिश भी की थी। मगर यही बदहाल और घटिया सड़क पामेड़वासियों के लिए वरदान साबित हो रही है। पामेड़ तक जाने का दूसरा और कम रिस्क वाला सड़क है बीजापुर- भोपालपटनम- तारलागुड़ा होते तेलांगाना में वेंकटापुराम-कॉलनी-चेरला होते पामेड़ पहुंचा जा सकता है, जो कि नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के जरिये पामेड़ तक जाती है। मगर यह सड़क लंबी होने की वजह से ज्यादा समय लेती है। ज्यादातर पामेड़वासी बारिश के दिनों में बीजापुर आने के लिए इस सड़क का इस्तेमाल करते हैं।

नक्सलियों की पैठ वाला इलाका

पामेड़ का नाम बड़े नक्सली लीडर और नक्सली घटनाओं के बाद ही जेहन में आता है। यही वजह थी कि पामेड़ तक बन रही पक्की सड़क बनने के दौरान दर्जनों बार नक्सलियों से सुरक्षाबलों ने लोहा लिया था। पामेड़ क्षेत्र तेलांगाना से लगा सरहदी इलाका है जिसकी वजह से नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। जहां बड़े नक्सली लीडर पामेड़ क्षेत्र में बेख़ौफ़ रहते हैं। पामेड़ सड़क को जोड़ती तेलांगाना की आखिरी चौकी तिप्पापुरम है।

वन्य प्राणी अभ्यारण्य है पामेड़

घनी पहाड़ियों और जंगलो से घिरा पामेड़ वन्यप्राणियो की पनाहगाह है। पामेड़ अभयारण्य 262 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, पामेड़ छत्तीसगड़ प्रदेश में आवश्यक वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। जंगली बाइसन की अत्यधिक मात्रा में आबादी को समायोजित करने के लिए पामेड़ अभ्यारण्य को 1983 में स्थापित किया गया। यह अभयारण्य बाघ, पैंथर, चीतल और विभिन्न प्रकार के जीवों का भी घर है। पामेड़ वन्यजीव अभयारण्य महत्वपूर्ण अभयारण्य में से एक है। तेलांगाना की सीमा अभयारण्य के नजदीक है। कुल क्षेत्रफल 260 वर्ग किमी है और एक मिश्रित पर्णपाती वन है। निकटतम रेलवे स्टेशन किरंदुल है।

नक्सली दहशत ऐसा की हेलीकाप्टर से आता है ग्रामीणों-जवानों का राशन

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर बसा प्रदेश का अंतिम ग्राम पामेड़ सड़क मार्ग से कटे होने के कारण यहां वर्ष भर आपदा की स्थिति बनी होती है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आज भी जवानों के साथ ही ग्रामीणों के लिए भी राशन हेलीकॉप्टर से पहुंचता है। आवास, पानी, जैसे मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे जांबाजों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी मोहताज होना पड़ता है। 1984 में पामेड़ में थाने की स्थापना हुई थी। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पुलिस बल माओवादियों से लोहा लेते डटे हुए हैं। बिजली के पहुंचने से ग्रामीण सहित सुरक्षाबल के जवानों को भी सहूलियत होगी।

पामेड़वासियों की समस्याओं की है लंबी लिस्ट

वहीं पामेड़ क्षेत्रवासी लंबे समय से सरकारी योजनाओं के लाभ से महरूम रहे हैं। बिजली, पानी, शिक्षा स्वाथ्य की सबसे बड़ी बड़ी समस्या बीते एक दशक में थोड़ी कम जरूर हुई है। वहीं अभी भी ग्रामीणों की मांगों की फेहरिस्त लंबी है जिसमे मुख्यरूप से सर्वसुविधायुक्त हॉस्पिटल, पामेड़ में पीने के पानी की वजह से किडनी की समस्या की वजह से फिल्टर, एम्बुलेंस, पानीटैंकर, अम्बेडकर पारा में सीसी सड़क, वनाधिकार पट्टा आदि प्रमुख मांगे हैं।

जल्द होगी मांगे पूरी- विधायक विक्रम मंडावी

बस्तर विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष और विधायक विक्रम शाह मंडावी ने बताया कि बिजली पामेड़ तक पहुंचाना मुश्किल था, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के दूरदृष्टि से यह अब आसान हो गया है। 15 सालों से भाजपा सिर्फ मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखा रही थी। पामेड़वासियो से भाजपा का कोई सरोकार कभी रहा ही नहीं। पामेड़ क्षेत्रवासियों की जो अन्य मूलभूत मांगे हैं उनको भी जल्द पूरी की जाएगी। आने वाले दिनों में पामेड़ की हर समस्या का जल्द निदान हो इस ओर प्रयास होगा।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

1 thought on ““हर गहरी सुरंग के बाद एक उजाला आता है।” बस 73 साल की इसी उम्मीद का सहारा, बना पामेड़वासियों के घर का उजियारा, जहां की पीढ़ियां नहीं देख सकीं बल्बों की रौशनी, तेलंगाना के सहारे जागी वहां उम्मीद-ए-रौशनी

  1. 577596 500680 Youre so cool! I dont suppose Ive read anything like this before. So good to find somebody with some original thoughts on this topic. realy thank you for starting this up. this site is something that is necessary on the web, someone with slightly originality. valuable job for bringing something new to the internet! 514968

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!